वो अब इस दुनिया में नहीं है. लेकिन अमरनाथ तीर्थयात्री को बचाने के लिए उसने जो किया वो बताता है कि इस दुनिया में अच्छे लोगों की कमी नहीं है. हम 22-वर्षीय इम्तियाज़ की बात कर रहे हैं, जिसने एक अमरनाथ तीर्थयात्री को चट्टान से गिरने से बचाने की कोशिश में अपनी जान गंवा दी.
इम्तियाज अपने घोड़े के साथ चल रहा था. इसी दौरान उसने महसूस किया कि तीर्थयात्री सो रहा है. ऐसा लग रहा था कि वह काठी से गिर जाएगा. वह उसे सतर्क करने के लिए तेजी से दौड़ा और उसे हिलाया. वह उसे जगाने की कोशिश कर रहा था. इसी दौरान वह अपना संतुलन खो बैठा और चट्टान से नीचे 300 फीट खांई में गिर गया.
पहलगाम के पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलाम नबी लोन ने कहा कि इम्तियाज खान ने यात्री को बचाने की कोशिश की, जो घोड़े की पीठ पर सो रहा था और गिर रहा था. उसने उसे जगाया लेकिन खुद हमेशा के लिए सो गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस के पर्वतारोही रेस्क्यू टीम ने बड़ी मुश्किल से युवक के शव को बाहर निकाला.
MRT के प्रमुख राम सिंह ने न्यूज 18 से कहा कि उनके लड़कों ने उन्हें रस्सियों पर नीचे भेजकर दरार से निकाला. सिंह ने कहा, ‘हमने उसे खींच लिया और बचाने की कोशिश की. हम उसे स्ट्रेचर पर पंचतरणी चिकित्सा इकाई में ले गए, लेकिन उसकी मौत हो गई.’
परिवार में अकेले कमाने वाला था
इम्तियाज खान के निधन से उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके मामा नजीर खान के मुताबिक, इम्तियाज अपनी पत्नी और आठ महीने के शिशु, अपने माता-पिता और चार भाई बहनों का भरण-पोषण करता था. उनके पिता आंशिक रूप से अंधे हैं और कठिन श्रम करने में सक्षम नहीं हैं. उनकी तीन बहनों की शादी अभी बाकी है. अब परिवार का बोझ इम्तियाज के छोटे भाई पर आ गया है.
मृतक के परिवार को उम्मीद है कि वे कुछ मुआवजा देकर परिवार की मदद करेगी. तहसीलदार की तरफ से एक लाख रुपए का चेक परिजनों के लिए अनुग्रह राशि जारी की गई है.