प्रतिभा को सलाम! यह लड़का कबाड़ से 600 ड्रोन बना चुका है, दुनिया भर में रौशन किया भारत का नाम

आज जब दुनिया में भारत की धमक बढ़ रही है तो उसका एक बड़ा कारण भारत का प्रतिभावान युवा भी है. समय-समय पर अपनी इनोवेटिव सोच से यहां के युवाओं ने दुनिया भर में भारत का नाम रौशन किया है. कर्नाटक के मांड्या से आने वाले प्रताप एनएम इसके एक बड़े उदाहरण हैं.

प्रताप को कुछ लोग ड्रोन वैज्ञानिक भी कहते हैं. दरअसल, वो ई-कचरे की मदद से ड्रोन विकसित करने के लिए मशहूर हैं. अभी तक वह खुद से 600 से भी अधिक ड्रोन विकसित कर चुके हैं. अपनी इस प्रतिभा के लिए प्रताप इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो 2018 में गोल्ड मेडल से सम्मानित किए गए थे.

प्रताप का ड्रोन तस्वीरें भी खींचता है!  

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जानकारी के मुताबिक ड्रोन महज़ 14 साल के थे, जब उन्होंने अपनी इनोवेटिव सोच को विकसित करना शुरू कर दिया था. खेल-खेल में वो अक्सर ड्रोन को खोलकर उसके अंदर की संरचना को समझने की कोशिश करते थे. आगे 16 साल की उम्र में उन्होंने ई-कचरे की मदद से खुद का ड्रोन बनाकर सभी का ध्यान अपनी तरफ खींचा. कबाड़ से बना उनका यह ड्रोन, हवा में उड़ सकता था और तस्वीरें भी खींच सकता था. साथ ही बाढ़ जैसी आपदाओं में मददगार साबित हो सकता है.

कर्नाटक में बाढ़ आपदा में मदद की 

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मैसूर के जेएसएस कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स से बीएससी की पढ़ाई कर चुके प्रताप का सफ़र एक ड्रोन तक ही सीमित नहीं रहा. अपनी इनोवेटिव सोच के चलते वह अभी तक 600 से अधिक ड्रोन बना चुके हैं. इनमें यातायात प्रबंधन संबंधी ड्रोन, रेसक्यू ऑपरेशन के लिए यूएवी, और ऑटोपायलेट ड्रोन इत्यादि शामिल हैं. बताते चलें कि कर्नाटक में आई बाढ़ आपदा को दौरान प्रताप के बनाए ड्रोन खासे मददगार साबित हुए थे. इनसे पीड़ितों को दवाई और भोजन पहुंचाने का काम लिया गया था.

देश-विदेश में सम्मान ही सम्मान 

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अपने काम के लिए प्रताप कई मंचों पर सम्मानित किए जा चुके हैं. इंटरनेशनल ड्रोन एक्सपो 2018 में एलबर्ट आइंस्टीन इनोवेशन गोल्ड मेडल के अलावा उन्हें 2017 में जापान में  इंटरनेशनल रोबोटिक्स प्रदर्शनी में गोल्ड और सिलवर मेडल से नावाजा गया था. वर्तमान समय में वह डीआरडीओ के एक प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं. भविष्य के लिए प्रताप को शुभकामनाएं.