UPSC सिविल सर्विस परीक्षा 2022 के रिजल्ट मंगलवार, 23 मई को घोषित कर दिए गए. जिसमें 933 उम्मीदवारों ने कामयाबी हासिल की है. इनमें से कई ऐसे हैं, जिनके संघर्ष की कहानी दूसरों के लिए प्रेरणादायक है. उन्हीं में एक नाम उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के रहने वाले सूरज तिवारी (Suraj Tiwari) का है, जिन्होंने भले ही 917 रैंक हासिल की, लेकिन जिन मुश्किल हालातों में दिव्यांग सूरज ने पढ़ाई कर सफलता प्राप्त की है, वो अपने आप में अविश्वसनीय है.
हादसे में गवां दिए दोनों पैर और एक हाथ
सूरज तिवारी के दोनों पैर नहीं हैं. एक हाथ भी भी नहीं है. दूसरे हाथ में सिर्फ 3 उंगलियां हैं. उन्होंने एक हादसे में अपने शरीर के बेहद जरूरी अंग खो दिए, मगर अपने अंदर के जज्बे को कम नहीं होने दिया. मुश्किल हालात और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने मेहनत के साथ पढ़ाई की, जिसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा.
साल 2017 में एक ट्रेन हादसे में सूरज ने अपने दोनों पैर और एक हाथ गवां दिया. एक हाथ में दो उंगलियां भी खो दीं. इस हादसे ने सूरज और उनके परिवार को पूरी तरह से तोड़ दिया था. उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. सूरज बिस्तर पर पड़ गए और पूरी तरह परिवार पर निर्भर हो गए.
पिता हैं दर्जी
सूरज के पिता दर्जी हैं. मैनपुरी के कुरावली गांव में उनकी छोटी सी एक सिलाई की दुकान है. बेटे के साथ हुए हादसे से उन पर क्या बीती होगी, इसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता. लेकिन आफत उनके दरवाजे में खड़ी थी. उनके दूसरे बेटे की मौत हो गई. सूरज के बड़े भाई की मौत से परिवार बुरी तरह आर्थिक संकट के दौर से गुजरने लगा. हालात बदतर हो गए थे.
सूरज ने हिम्मत नहीं हारी
त्रासदी ने ना केवल सूरज के चलने और लिखने की क्षमता को छीन लिया, बल्कि उन्हें अवसाद में धकेल दिया. वह उनके परिवार के लिए सबसे बुरा दौर था. खैर, इन मुश्किल हालातों में सूरज ने हिम्मत नहीं हारी. उन्हें पता था कि उसे फिर से चमकने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. जब पुलिस वालों की मदद से AIIMS में उनका इलाज चल रहा था तब एक लड़के से उनकी मुलाकात हुई, जिसने उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया.
पहली बार जवाहरलाल नेहरु विश्विद्यालय के एंट्रेस एग्जाम में फेल हो गए. दूसरे प्रयास में उनका एडमीशन हो गया. हादसे के बाद सरकार ने उनकी पढ़ाई का जिम्मा लिया. JNU में पढ़ाई करने के दौरान ही उनमें उम्मीद की एक नई किरण जगी. सूरज ने फैसला किया कि वह जरूर चमकेंगे. उन्होंने UPSC की तैयारी करना शुरू कर दिया.
दूसरे प्रयास में क्लियर किया UPSC
सूरज ने अपने पहले प्रयास में मेंस क्लियर किया, लेकिन इंटरव्यू में लटक गए. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी. दूसरे प्रयास में उन्होंने UPSC क्लियर कर दूसरों के लिए मिसाल बन गए.
सूरज के पिता रमेश कुमार ने समाचार एजेंसी ANI के हवाले से कहा, “मैं आज बहुत खुश हूं, मेरे बेटे ने मुझे गौरवान्वित किया है. वह बहुत बहादुर है. उसकी तीन उंगलियां सफल होने के लिए काफी हैं.”
दरअसल, सूरज ने अपने पिता से कहा था कि “पापा आप चिंता मत करो, अभी तो तीन उंगलियां हैं, अगर एक उंगली भी होती तो भी हम आपका नाम नीचे नहीं गिराएंगे.”
इस बीच उनकी मां आशा देवी का कहना है कि उनका बेटा बहुत ‘बहादुर’ है. उन्होंने कहा, “सूरज ने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत की. वह हमेशा अपने छोटे भाई-बहनों को कड़ी मेहनत करने के लिए कहता है.”
सूरज तिवारी की सफलता पर उनका परिवार काफी खुश है. उनके दोस्तों ने भी उनके साथ उनकी कामयाबी का जश्न मनाया.