बिहार बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. इस दौरान कई छात्र काफी संघर्ष करते हुए परीक्षा देने आते हैं. हाल ही में एक महिला की काफी चर्चा हुई थी, जो अपनी बेटी को परीक्षा दिलाने के लिए रोजाना 80 किमी का सफर करती थीं. ऐसी बहुत सी कहानियां हैं जो ये बताती हैं कि समय के साथ बच्चों में पढ़ने को लेकर कितनी ललक बढ़ी है. ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी एक महिला ने हाल ही में लिखी है.
गर्भवती महिला परीक्षा देने पहुंची
एक बच्चे को जन्म देते हुए एक मां कितनी पीड़ा सहन करती है, इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. इस दौरान शरीर की हड्डियां टूटने से भी ज्यादा दर्द होता ही. ऐसे स्थिति जब एक महिला के लिए सांस लेना तक मुश्किल हो रहा हो, उसमें परीक्षा देने के बारे में सोचना भी संभव नहीं लेकिन बिहार की रुक्मिणी ने न केवल इसके बारे में सोचा, बल्कि बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद एग्जाम सेंटर पहुंच कर परीक्षा भी दी. ये असंभव लगने वाली घटना Bihar Board 10वीं की परीक्षा के दौरान हुई.
परीक्षा के बीच ही उठी प्रसव पीड़ा
बिहार के बांका की रुक्मणी बिहार बोर्ड मैट्रिक 2023 की परीक्षा दे रही हैं. 14 फरवरी को उनकी गणित की परीक्षा थी. हैरान करने वाली बात ये है कि 22 वर्षीय 9 माह की गर्भवती थीं और इसी अवस्था में वह परीक्षा देने गईं. गणित का पेपर देकर लौटी तो रात में उन्हें तेज प्रसव पीड़ा उठी. इस असहनीय पीड़ा को इग्नोर करते हुए उन्होंने अगले दिन 15 फरवरी को साइंस का पेपर देने का फैसला किया.
रुक्मणी लगातार प्रसव पीड़ा से जूझ रही थीं लेकिन इसके बावजूद वह परीक्षा देने पहुंचीं. हालांकि जल्द ही ये दर्द उनके बर्दाश्त से बाहर हो गया, जिसके बाद तुरंत उन्हें एंबुलेंस से नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. वहां उन्होंने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया. रुक्मिणी की डिलीवरी करने वाले डॉक्टर भोलानाथ के अनुसार, परीक्षा सेंटर से इमरजेंसी कॉल आते ही हॉस्पिटल में लेबर रूम तैयार कर लिया गया था. जिसके बाद रुक्मणी की नॉर्मल डिलीवरी की गई.
बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद दी परीक्षा
बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद ही रुक्मणी डॉक्टर और शिक्षा अधिकारियों से जिद करने लगी कि उसे अपनी परीक्षा पूरी करनी है. इसके बाद आनन-फानन में उन्हें अनुमति दी गई. वो वापस एग्जाम हॉल के लिए निकलीं और अपना पेपर पूरा किया. परीक्षा देने के बाद रुक्मणी ने एक मां होने का फर्ज निभाया और अपने नवजात शिशु के पास लौट आईं.
बिहार के बांका की रुक्मिणी के इस साहस और पढ़ने की लगन की हर कोई तारीफ कर रहा है. जहां डॉक्टर और दूसरे लोग उसके अंदर की ‘मां की ताकत’ को सलाम कर रहे हैं. वहीं शिक्षा अधिकारी पवन कुमार ने कहा, ‘रुक्मणी ने पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल पेश की है कि पढ़ना कितना जरूरी है, फिर चाहे वक्त कितना भी मुश्किल क्यों न हो.’
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रुक्मिणी बिहार के बांका के आंबेडकर आवासीय उच्च विद्यालय की छात्रा हैं. उसका एग्जाम सेंटर वहीं MMKG इंटर कॉलेज में है. अभी Bihar Board 10th क्लास एग्जाम चल रहा है. वह अब अंग्रेजी की परीक्षा दे रही हैं. उनकी अंतिम परीक्षा 22 फरवरी को है.