बुधवार को उनके पैतृक बटाला के गांव मलकपुर में पूरे सैन्य सम्मान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। तिब्बड़ी कैंट से पहुंची सेना की 11 गढ़वाल यूनिट के जवानों ने शहीद सैनिक गुरप्रीत सिंह को सलामी दी। इससे पहले तिरंगे में लिपटी सिपाही गुरप्रीत सिंह की पार्थिव देह को श्रीनगर से एयरलिफ्ट कर अमृतसर राजासांसी एयरपोर्ट लाया गया। जहां से सैन्य वाहन में पार्थिव शरीर गांव मलकपुर लाया गया। तिरंगे में लिपटा गुरप्रीत का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा तो हर ग्रामीण की आंखें नम हो गईं।
बेटा कहता था मां अगर मुझे कुछ हो गया तो रोना मत तिरंगे में लौटे सिपाही गुरप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर जब घर पहुंचा तो मां कुलविंदर कौर सूनी आंखों से एक टक शहीद बेटे को निहार रही थीं। मां कुलविंदर कौर ने बताया कि शहीद गुरप्रीत सिंह कहता था कि अगर ड्यूटी के दौरान कभी मुझे कुछ हो गया तो रोना मत क्योंकि जब एक सैनिक वर्दी पहन लेता है तो उसकी जिंदगी देश की अमानत बन जाती है। इसलिए मैं रोऊंगी नहीं। मां कुलविंदर के इस जज्बे को देख हर कोई नम आंखों से उन्हें सलामी दे रहा था।
बेटे की अर्थी को कंधा देकर मां ने दी अंतिम विदाई शहीद सिपाही गुरप्रीत सिंह की मां कुलविंदर कौर ने वीरता का सबूत देते हुए जब अपने बेटे की अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले जाने लगी तो अंतिम यात्रा में शामिल सैकड़ों लोग शहीद की माता जिंदाबाद, भारत माता की जय, भारतीय सेना जिंदाबाद, सिपाही गुरप्रीत सिंह अमर रहे के जयघोष करने लगे। शहीद की चिता को मुखाग्नि उनके बड़े भाई सुमित पाल सिंह ने दी।
परिषद परिवार को टूटने नहीं देगी, गांव में बने शहीद की यादगार: कुंवर विक्की शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि गुरप्रीत के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी थी, उनके जाने से परिवार पर दुखों का जो पहाड़ टूटा है इस सदमे से उभरने के लिए उन्हें समय लगेगा। परिषद इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ी है और उनके मनोबल को हम टूटने नहीं देंगे। उन्होंने सरकार से गांव में सिपाही गुरप्रीत सिंह की याद में यादगार गेट बनवाने और सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखने की अपील की।