पानी और पर्यावरण इस समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती के रूप में हैं। एक तरफ जहां लोग जल संकट से जूझ रहे हैं, तो दूसरी तरफ खराब पर्यावरण की वजह से हुए कई तरह की जानलेवा बीमारियों का इलाज करा रहे हैं। केंद्र से लेकर राज्य सरकारों ने इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है लेकिन कुछ आईएएस अफसर भी हैं, जो समाज के प्रति अपनी हिस्सेदारी निभा रहे हैं। वह छोटे-छोटे प्रयासों से जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे ही आईएएस अफसरों से मिलते हैं, जिन्होंने समाज में न सिर्फ एक संदेश दिया, बल्कि बदलाव ला कर मिसाल भी पेश की:
हरी चांदना देसारी
हरी चांदना देसारी इस समय हैदराबाद की जोनल कमिश्नर हैं। उन्होंने प्लास्टिक की पानी की बोतल और कोल्ड ड्रिंक की बोतल पर काम करना शुरू किया। कचरे के ढेर में पड़ी इन बोतलों पर उन्होंने रिसर्च की। मसलन ये बोतल यूज होने के बाद कहां इकट्ठे होती हैं, उनका क्या किया जाता है, उन्हें रिसाइकल कैसे किया जाता है, जैसे बिंदुओं पर जानकारी जुटाई और काम शुरू किया।
सबसे पहले उन्होंने इन बोतलों को वेस्ट मैनेजमेंट के तौर पर यूज करना शुरू किया। उन्होंने इसके लिए ग्रीन रेवोलुशन का सहारा लिया और इन बोतलों में पौधे लगाने शुरू कर दिए। शहर के पार्क और सड़कों को कचरों की बोतलों से सजा दिया। इसके बाद उन्होंने खराब पड़े ड्रम और टायर्स भी कलर कर पार्क में उन्हें लगवा दिया। इसमें लगे पौधे पूरे पार्क की खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने एक डॉग पार्क का निर्माण कराया है। यहां शहर वाले अपने पालतू कुत्तों को लेकर टहलने जा सकते हैं। पार्क में 24 तरह के ऐसे इक्विपमेंट हैं, जिनसे कुत्तों को एक्सरसाइज कराइ जा सकती है।
आशीष सिंह
मध्यप्रदेश का इंदौर पिछले तीन साल से स्वच्छता अभियान में नंबर-1 बना हुआ है। बताया जाता है कि इसके पीछे नगर निगम कमिश्नर आशीष सिंह का बड़ा रोल है। उन्होंने माइनिंग मॉडल से 13 लाख टन कूड़े को 6 महीने के अंदर ही रिसाइकल करा दिया। इन चीजों का प्रयोग बारीकी से खाद बनाने में किया जाने लगा और देखते ही देखते इंदौर की तस्वीर बदल गई।
आशीष 2010 बैच के अफसर हैं। उन्होंने गीले कूड़े का उपयोग मिथेन गैस बनाने में किया। इसकी खाद का प्रयोग किसान कर रहे हैं। दूसरी तरफ सूखे कूड़े की रिसाइकलिंग की जा रही है। आशीष अब शहर में बह रही नदियों, कान्हा और गंभीर को साफ करने के लिए काम कर रहे हैं।
स्मिता सभरवाल
स्मिता ने 23 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा क्वालिफाई कर ली। 15 साल के अब तक के करियर में स्मिता की तैनाती तेलंगाना के वारंगल, विशाखापट्टनम, करीमनगर और चित्तूर में हुई है। स्मिता जहां-जहां काम करने गईं, लोग उन्हें याद रखते हैं और उनकी छवि पीपल अफसर (जनता की अफसर) के तौर पर बनी है।
करीमनगर की डीएम के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। वहां उन्होंने स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के लिए काम किया। उनके प्रयास से वहां हॉस्पिटल में सुविधाएं और सफाई बेहतर हुई। साथ ही उन्होने प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए फ्री चेकअप की व्यवस्था शुरू की। स्मिता ने बीमार महिलाओं के लिए कैंपेन भी चलाया, जिससे वह सही इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंच पाएं। अपने काम पर स्काईप के जरिए नजर बनाए रखने के लिए उन्होंने हॉस्पिटल में कंप्यूटर और इंटरनेट की भी व्यवस्था की। साल 2017 में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने स्मिता को एडिशनल सेक्रेटरी के रूप में अपॉइंट किया। मुख्यमंत्री कार्यालय में इतनी बड़ी जिम्मेदारी लेने वाली वह सबसे युवा अफसर हैं।
रितु सेन
आईएएस अफसर रितु सेन का नाम आते ही छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में उनके द्वारा किए गए काम की याद आ जाती है। उनके प्रयास से कूड़े-करकट से भरी बदबूदार जगह को एक साफ-सुथरे क्षेत्र के रूप में बदल दिया गया। एक ऐसी जगह जहां लोग रहने में घबराते थे, वहां से उन्हें प्यार हो गया। रितु वर्तमान में आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय में तैनात हैं।
रितु सेन 2003 बैच की आईएएस अफसर हैं। अंबिकापुर में कलेक्टर रहते हुए रितु ने जिस तरह से काम किया, उसकी वजह से अंबिकापुर को 2018 में सबसे साफ छोटा शहर घोषित किया गया।
रोहिणी भजीभकरे
महाराष्ट्र के सोलापुर के छोटे से गांव उपलाई की रहने वाली रोहिणी के पिता एक मार्जनल (सीमांत) किसान थे। गांव से ही 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 12 वीं की पढ़ाई करने सोलापुर चली गईं। वह स्कूल की टॉपर रहीं। बैचलर ऑफ इंजनीयरिंग (BE) की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोहिणी ने आईएएस की तैयारी शुरू की और साल 2008 में उन्होंने यूपीएससी क्वालिफाई कर लिया।
2008 में उनकी पहली पोस्टिंग तमिलनाडु के मदुरै में असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर हुई। इसके बाद वह तिंदिवनम में सब कलेक्टर के तौर पर अपॉइंट हुईं। मदुरै में रोहिणी द्वारा किए गए काम की हर शख्स तारीफ करता है। उनके प्रयास से ही यह जिला राज्य का पहला खुले में शौच से मुक्त जिला बना था। रोहिणी ने इलाके में न सिर्फ शौचालय बनवाएं, बल्कि ये सुनिश्चित किया कि लोग इनका प्रयोग करें।
साल 2016 में उन्हें MNREGA को बेहतर तरीके से इंप्लीमेंट करने के लिए अवार्ड दिया गया। उन्होंने इस प्रोग्राम के तहत मधुरई में ग्राउंड वाटर के लिए काम किया। रोहिणी बताती हैं कि जब वह आईएएस अफसर की ट्रेनिंग के लिए जा रही थी तो उनके पिता ने कहा था कि तुम्हारे टेबल पर ढेर सारी फाइलें आएंगी। तुम उन्हें सामान्य कागज की तरह मत लेना। तुम्हारे एक साइन से लाखों लोगों की जिंदगी में सुधार आ सकता है। हमेशा ये सोचना कि लोगों के लिए अच्छा क्या है।
2016 में उन्हें MNREGA को बेहतर तरीके से इंप्लीमेंट करने के लिए अवार्ड दिया गया। उन्होंने इस प्रोग्राम के तहत मदुरै में ग्राउंड वॉटर का स्तर बेहतर करने के लिए काम किया। रोहिणी बताती हैं कि जब वह आईएएस अफसर की ट्रेनिंग के लिए जा रही थी तो उनके पिता ने कहा था, “तुम्हारे टेबल पर ढेर सारी फाइलें आएंगी। तुम उन्हें सामान्य कागज की तरह मत लेना। तुम्हारे एक साइन से लाखों लोगों की जिंदगी में सुधार आ सकता है। हमेशा ये सोचना कि लोगों के लिए अच्छा क्या है।”
ये सभी लोग अपने काम के ज़रिये कई ज़िन्दगी संवार रहे हैं और इसके लिए इनकी जितनी तारीफ हो, कम है. सरकारी तंत्र में भ्रष्ट लोगों की कमी नहीं लेकिन हज़ार मुश्किलों के बावजूद अच्छा काम करने को प्रतिबद्ध, ऐसे ही लोग प्रेरणा का काम करते हैं.