Mainpuri By poll: मैनपुरी उपचुनाव के बीच में साल 1995 का गेस्ट हाउस कांड भी चर्चा में आ गया। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसकी चर्चा करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के लोग तो बहन मायावती पर भी हमला करने से पीछे नहीं हटे। वह तो बीजेपी के नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी थे जिन्होंने मौके पर पहुंचकर उन्हें बचाया।
लखनऊ: मैनपुरी उपचुनाव (Mainpuri By Poll 2022) के लिए प्रचार जोरों पर है। यहां से सपा की उम्मीदवार डिंपल यादव (Dimple Yadav) हैं जो मुलायम सिंह यादव की पारंपरिक सीट पर उनकी राजनीतिक विरासत को बचाए रखने के लिए लड़ रही हैं। गुरुवार को यहां यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक चुनावी सभा की थी। बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य के समर्थन में बोलते हुए उन्होंने साल 1995 के गेस्ट हाउस कांड की याद दिला दी। मौर्य ने बताया कि समाजवादी तो बहन मायावती (Mayawati) पर भी हमला करने से नहीं चूके, उन्हें बीजेपी के दिवंगत नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने बचाया था। यूपी की राजनीति में इस घटना की अकसर चर्चा होती है।
ब्रह्मदत्त द्विवेदी के इस अहसान को मायावती कभी नहीं भूलीं। जब साल 1997 में द्विवेदी की हत्या हुई तो बताया जाता है मायावती फूट-फूटकर रोई थीं। उनके लिए ब्रह्मदत्त उनके भाई थे। इसके बाद जब द्विवेदी की पत्नी ने चुनाव लड़ा तो मायावती ने अपील की थी- ‘मेरे लिए अपनी जान देने वाले मेरे भाई की पत्नी को वोट दें।’
मुलायम सिंह और कांशीराम ने किया था गठबंधन
असल में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी साल 1993 में उस समय साथ-साथ आए जब बाबरी विध्वंस के बाद उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार बर्खास्त कर दी गई थी। समाजवादी पार्टी बनाने वाले मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए यह गठबंधन किया था।
बसपा ने दिया था बाहर से समर्थन
साल 1993 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 110 सीटें और बीएसपी को 67 सीटें मिली थीं। मुलायम सिंह यादव ने बसपा और दूसरे कुछ दलों के सहयोग से सरकार बनाई। बसपा सरकार में शामिल नहीं हुई बस बाहर से समर्थन देने का ऐलान किया।
जल्द ही रिश्तों में आई खटास
लेकिन जैसा कि होता है राजनीति में दोस्ती को दुश्मनी में बदलते देर नहीं लगती। धीरे-धीरे सपा और बसपा के रिश्तों में खटास आई और नौबत गठबंधन टूटने की आ गई। समाजवादी पार्टी को अंदरखाने से यह जानकारी मिली कि बसपा ने केवल मुलायम सरकार से समर्थन वापसी का मन बना चुकी है बल्कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने पर भी सोच रही है।
2 जून 1995 को बुलाई थी बसपा ने बैठक
इसी घटनाक्रम में 2 जून 1995 को बसपा प्रमुख कांशीराम के कहे मुताबिक मायावती ने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई। यह बैठक लखनऊ के मीराबाई स्टेट गेस्ट हाउस में बुलाई गई थी। यह गेस्ट हाउस शहर के बीचोंबीच था। शाम के समय करीब 200 सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया।
सपा कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस पर बोला हमला
अचानक हुए इस घटनाक्रम से सब हैरान रह गए, क्योंकि इन लोगों ने बसपा विधायकों के साथ मारपीट और गाली-गलौच शुरू कर दी। यह हंगामा देखकर मायावती ने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया। लेकिन बलवा करते हुए सपाइयों की भीड़ मायावती के कमरे के बाहर पहुंच गई। इन लोगों ने मायावती को अभद्र गालियां देते हुए दरवाजा तोड़ने की कोशिश की।
मौके पर पहुंचे ब्रह्मदत्त द्विवेदी
इसी समय बीजेपी नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी मौके पर पहुंचे और सपा कार्यकर्ताओं से भिड़ गए। इसके कुछ देर बाद एसपी और डीएम पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और मायावती की जान बचाई। मायावती को बचाने वाले अधिकारियों में विजय भूषण सुभाष सिंह बघेल और तत्कालीन एसपी राजीव रंजन का जिक्र किया जाता है। बीजेपी के ब्रह्मदत्त द्विवेदी के अलावा लालजी टंडन ने भी मायावती को बचाने में अहम भूमिका भूमिका निभाई थी। गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के तत्कालीन एसपी ओपी सिंह को कांड के दो दिन बाद ही निलंबित कर दिया गया था।
इस तरह माया बनीं यूपी की सीएम
बवाल शांत होने के बाद बसपा ने सपा से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया। मुलायम सरकार अल्पमत आ गई और गिर गई। बीजेपी ने तुरत मायावती को समर्थन का ऐलान कर दिया। अगले दिन यानी 3 जून 1995 को मायावती बीजेपी के समर्थन से यूपी की सीएम बनीं।