संगड़ाह : दशहरे पर तीन चिताएं जलने तक नहीं जला गांव में चूल्हा, व्यापार मंडल ने नहीं मनाया दशहरा

संगड़ाह, 5 अक्तूबर : उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह के श्मशान घाट में बुधवार को एक साथ तीन चिंताएं जलने का दिल दहलाने वाला मंजर दिखा। संगड़ाह के साथ लगते टिकरी गांव में मंगलवार रात को हुए पिकअप हादसे में इसी गांव के 40 से 50 साल के बीच की उम्र के 3 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। साथ लगते टिकरी व डाहर गांव के श्मशान घाट सदियों से संगड़ाह में ही है और यहीं मृतकों का अंतिम संस्कार हुआ।

     गमगीन माहौल में न तो इस बार संगड़ाह में रावण दहन हुआ और न ही दशहरा मनाया गया। बुधवार दोपहर पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही तीनों डेड बॉडी परिवार को सौंपी गई परिजनों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अर्थियां उठने के दौरान मृतकों की माताएं, बच्चे, बहन व अन्य परिजन फफक-फफक कर रो पड़े।

   ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार हादसे में मारे गए चालक ईश्वर उर्फ बंटा अपने पीछे दो लडके व दो बेटियों को छोड़ गया है। बेटे मात्र 10 व 12 वर्ष के है, ज़बकि बेटियां दसवीं व +2 में पड़ती है। ईश्वर की मां बसंती देवी को जब बेटे की मृत्यु की खबर मिली तो कुछ समय तक बेसुध हो गई।

    वहीं रामस्वरूप अपने पीछे एक बेटा व तीन बेटियों को छोड़ गया है। माता जानकी देवी को बेटे के न रहने की बात पर यकीन नहीं हुआ। गीताराम के दो लडके व एक लड़की के सिर से भी पिता का साया उठ गया। बूढ़ी मां का रो-रो कर बुरा हाल है। संयोग देखिए कि, तीनो मृतकों के पिता की मृत्यु पहले ही हो चुकी है और रोने के लिए मांए ही बची है।

    परिजनों व बच्चों को कहां तो दशहरे की खुशियों का त्योहार मनाना था और अब कहां मातम की घड़ी देखनी पड़ी। ऐसे में जहां संगड़ाह कस्बे में रावण नहीं जला वहीं, शोक संतप्त परिवारों के घरों में मंगलवार रात से बुधवार रात को अंतिम संस्कार होने तक चूल्हा नहीं जला। ऐसे मातम के माहौल में पिछली रात से इलाके के प्रशासनिक अधिकारी व नेता शोक संतप्त परिवारों के लोगों के पास तो दूर उपमंडल मुख्यालय संगड़ाह में भी नजर नहीं आए।

  चर्चा इस बात की है कि बड़े लोगों को तो दशहरा मनाना है। एसड़ीएम, तहसीलदार व नायब तहसीलदार संगड़ाह क्षेत्र से बाहर बताए गए है। वहीं तहसील कार्यालय के एक कर्मचारी ने सिरमौर जिला प्रशासन व हिमाचल की जयराम सरकार की तरफ से 20-20 हजार की राहत राशि जारी की है।