बिहार से सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे जॉर्ज फर्नांडिस गांधी परिवार के कट्टर विरोधियों में से थे। एक बार उन्होंने बैठक के दौरान सरकारी कार्यालय के कमरे में लगी सोनिया गांधी की तस्वीर को हटवा दिया था। जॉर्ज के गांधी परिवार के प्रति इस गुस्से को समझने के लिए इस स्टोरी को आप पढ़ सकते हैं।
जार्ज भाई के घर ठहरे थे
इमरजेंसी के दौरान एक रात जॉर्ज अपनी पत्नी के साथ अपने भाई लारेंस के घर ठहरे थे। उसके बाद उन्हें एक रात पुलिसवालों ने उठा लिया। इस घटना में शामिल पुलिस के बड़े पदाधिकारी संजय गांधी के इशारे पर सबकुछ करते थे। लारेंस के साथ जो संजय गांधी के कारिंदों ने किया। उसके बारे में जानकर आपकी रूह कांप जाएगी। जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं। बकायदा लारेंस ने अपनी जुबानी ये कहानी वरिष्ठ पत्रकार स्व. कुलदीप नैय्यर को बताई थी।
लारेंस ने कुलदीप नैय्यर को जो बताया
मई 1976 की उस रात मैंने किसी को अपना नाम पुकारते सुना। मुझे लगा कि मेरा कोई दोस्त होगा। मैं गेट की तरफ बढ़ गया। फौरन मैंने घर के बाहर खड़ी पुलिस जीप को देख लिया। नाम पुकारनेवाला एक पुलिस ऑफिसर था, जो सादे कपड़ों में था। उसने मुझे बताया कि पुलिस कोर्ट में दायर माइकल ( उनके छोटे भाई)। जो भारतीय टेलीफोन उद्योग में इंजीनियर थे। (मीसा के तहत गिरफ्तार किए गए थे) की याचिका के संबंध में मेरा बयान दर्ज करना चाहती है। मुझे लगा कि ज्यादा देर नहीं लगेगी। इस वजह से अपने बुजुर्ग मां-बाप को बताए बिना ही मैं उनके साथ चला गया।
पुलिस झूठ बोलकर उठा ले गई
आपको बता दें कि पुलिस ने जॉर्ज के भाई से झूठ बोलकर उन्हें घर से बाहर ले आई। उसके बाद उसी झूठ के आधार पर उन्हें थाने लेकर पहुंची। लारेंस फर्नांडिस ने आगे कहा कि- एक घंटे तक पुलिस ने बयान दर्ज किया। फिर मुझे जासूसों के एक दल के पास ले गए। वहां अचानक किसी ने मुझे थप्पड़ ( कई मिनट तक मेरी आंखों के आगे अंधेरा छाया रहा) जड़ दिया। जब मुझे होश आया, तब तक वे मुझे निवस्त्र कर चुके थे। वहां करीब 10 लोग (पुलिसवाले) थे। उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया। चार लाठियां टूट गईं। वे मेरे शरीर के हर अंग पर वार कर रहे थे। मैं फर्श पर पड़ा दर्द से कराह रहा था। मैंने भीख मांगी, रेंगने लगा और फिर से रहम की भीख मांगी। इस बीच वे मुझे किसी फुटबॉल की तरह लात मारते रहे।
रातभर बरगद की जड़ से पीटते रहे
उन्होंने आगे कहा कि- फिर न जाने कहां से उन्होंने लकड़ी की एक छड़ी निकाली। वह भी टूट गई और मैं दर्द से चीख उठा। इसके बाद आखिरी हमला किया गया। मैं फर्श पर पेट के बल गिरा पड़ा था और उन सबने मुझे बरगद की पेड़ की जड़ से पीटना शुरू कर दिया। मैं अर्ध मूर्च्छित और पूर्ण मूर्च्छित अवस्था के बीच झूलने लगा। उन्होंने आगे कहा कि- सुबह के करीब तीन बजे प्यास से मेरी नींद खुल गई। मैंने पानी मांगा। मैं प्यास से मरा जा रहा था। मैंने जैसे ही पानी के लिए भीख मांगी। एक अफसर ने पुलिस के जवानों से कहा कि वे मेरे मुंह पर पेशाब करें। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। मेरा दम लगभग घुटनेवाला होता, तब वे चम्मच में पानी भरकर मेरे होठों को भिगो देते थे। वे जानना चाहते थे कि सिंतबर 1975 में जार्ज और लीला( जार्ज की पत्नी) अपने बेटे के साथ बैंगलोर क्यों आए थे ? वे ये भी जानना चाहते थे कि मैं जॉर्ज की पत्नी लीला के साथ मद्रास क्यों गया था।
जॉर्ज से ज्यादा दर्द उनके भाई ने झेला
इस दर्द को आप महसूस सकते हैं. यदि ऐसा किसी के परिजन के साथ हो, तो कैसा लगेगा ? शायद जार्ज साहब इसीलिए श्रीमती गांधी परिवार से सख्त नफरत करते थे। उन्होंने दिल्ली की एक बैठक में कमरे में टंगी सोनिया गांधी की तस्वीर को तुरंत हटवा दिया। उनके भाई लारेंस ने इमरजेंसी में अपने भाई जार्ज से भी ज्यादा दर्द झेला। उनके दर्द को शब्दों में बयां करना कठिन है। लेकिन, लोगों को ये जानना जरूरी है। जो इमरजेंसी को आज भी सिस्टम सुधारने की कवायद बताकर उसका बचाव करते हैं।