सफला एकादशी का व्रत 19 दिसंबर को रखा जाएगा। यह इस साल की आखिरी एकादशी तिथि है। बता दें कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। तो आइए जानते हैं एकादशी तिथि का महत्व और पूजा विधि।
अपना यह राशिफल हर दिन ईमेल पर पाने के लिए क्लिक करें – सब्सक्राइब करेंक्लिक करे
पौष मास में जो एकादशी आती है उसे सफला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार 19 दिसंबर को सफला एकादशी का व्रत किया जाएगा। बता दें कि एक वर्ष में कुल 24 एकादशी आती हैं। एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को जीवन में सुख समृद्धि मिलती है। आइे जानते हैं सफला एकादशी का पूजा मुहूर्त और उससे जुड़ी खास बातें।
सफला एकादशी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादाशी तिथि यानी 19 दिसंबर 2022 को सुबह 3 बजकर 33 मिनट तक एकादशी तिथि लग जाएगी और यह मंगलवार 20 तारीख को प्रात: 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में आपको व्रत का पारण सुबह 9 बजे तक कर लेना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एकादशी का पारण सूर्योदय के 2 घंटे के अंदर कर लेना उचित रहता है। एकादशी व्रत की पूजा 19 तारीख को प्रात: संकल्प लेकर शुरु करें। रात के समय जागरण करके यदि व्रत का पारण किया जाए तो यह बहुत ही उत्तम फलदायी माना जाता है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत ही लाभकारी रहता है।
सफला एकदाशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम
एकादशी के दिन पीपल और तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए। गलती से भी इस दिन चीटियों या छोटे छोटे डीवों जीवों को नुकसान न पहुंचाएं। कहा जाता है कि इस दिन यदि कोई गेंदा का फूल लगाता है तो ऐसा करने बहु ही शुभ रहता है। गेंदे का फूल उत्तरी दिशा में लगाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गेंदे का फूल भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत या जागरण करने से व्यक्ति इस लोक में यश पाकर अंत में मोक्ष हासिल करता है। मान्यताओं के अनुसार, पांच हजार वर्ष तक तप करने से जो फल प्राप्त होता है वह इस एक सफला एकादशी का व्रत और जागरण करने से प्राप्त हो जाता है।
सफला एकादशी पूजा विधि
एकादशी के दिन सुबह और शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा उपासना की जाती है। इस दिन सुबह जब भगवान विष्णु की पूजा करें तो अपने मांथे र सफेद चंदन या गोपी चंदन जरुर लगाएं। भगवान विष्णु की पूजा उपासना के लिए पंचामृत जरुर बनाए। इसके बाद पंचामृत, और कोई भी मौसमी फल अर्पित करें। सुबह दिपक जलाकर व्रत का संकल्प लें और एकादशी व्रत की कथा जरुर पढ़ें।