जयपुर: राजस्थान के पूर्व मंत्री और अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाने वाले हरीश चौधरी का बयान इन दिनों सुर्खियों में है। उन्होंने ओबीसी वर्ग की नौकरियों में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए अपनी ही सरकार के सिस्टम पर सवाल उठा दिया है। हालांकि इसे लेकर पहले भी कई जनप्रतिनिधि सरकार को घेर चुके हैं। राजस्थान में रोस्टर फार्मूले से होने वाली भर्ती को लेकर विवाद क्यों है। वहीं युवाओं की इसे लेकर नाराजगी और सरकार के घिरने की वजह क्या है। इसे लेकर नवभारत टाइम्स ऑनलाइन ने पूरी रिसर्च करके रिपोर्ट तैयार की है। आईये जानते हैं, क्या है ओबीसी रोस्टर से भर्ती का मामला। सरकार की प्रक्रिया का क्यों हो रहा है विरोध।
राजस्थान में जब भी किसी विभाग में सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती होती है तो उसमें रोस्टर फार्मूले के लिहाज से रिक्त पदों की संख्या तय होती है। रोस्टर फार्मूला आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस और दिव्यांग) के पदों की संख्या तय करने के लिए लागू किया गया था। इस रोस्टर फार्मूले का तात्पर्य यह है कि जिन पदों के लिए भर्ती होनी है। उन पदों पर पिछली भर्ती में आरक्षित पदों की कितनी भर्तियां हुई और पिछले साल उस आरक्षित वर्ग के कितने अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत हुए जिनकी वजह से पद रिक्त हुए। पिछली भर्ती और पिछले साल में हुए रिक्त पदों के हिसाब से ही आरक्षित वर्ग के लिए पदों की संख्या तय होती है। इसी फार्मूले को रोस्टर फॉर्मूला कहते हैं। इस फॉर्मूले के तहत अनारक्षित (सामान्य) पदों पर चयनित होने वाले आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों की गणना आरक्षित वर्ग में ना होकर सामान्य पदों पर की जाएगी।
रोस्टर फॉर्मूला कब और क्यों लागू किया गया
कुछ सालों पहले तक प्रतियोगिता परीक्षाओं में ज्यादा प्रतिस्पर्द्धा नहीं थी। साथ ही कुछ आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों द्वारा एग्जाम क्वालिफाई नहीं कर पाने से पद रिक्त रह जाते थे। राजस्थान में सरकारी भर्तियों में रोस्टर फॉर्मुला वर्ष 1997 में लागू किया गया था। इस फॉर्मुले को इसलिए लागू किया गया ताकि अलग अलग वर्गों (ओबीसी, एससी, एसटी, एमबीसी, ईडब्ल्यूएस और दिव्यांग) को सरकारी नौकरियों के पदों में समान प्रतिनिधित्व दिया जा सके।
अब जानिए… इस रोस्टर फॉर्मूले का विरोध क्यों हो रहा है
रोस्टर फॉर्मुले के तहत बनाए गए नियम की पालना नहीं होने की वजह से आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों को नुकसान भुगतना पड़ रहा है। नियमानुसार अनारक्षित (सामान्य) पदों पर चयनित होने वाले आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों की गणना सामान्य पदों में होनी चाहिए लेकिन वर्ष 2010 के बाद से रोस्टर पंजिका को अपडेट नहीं किया गया। इस कारण आरक्षित वर्ग के जिन अभ्यर्थियों का चयन सामान्य पदों पर हुआ, उनकी गणना सामान्य पदों पर करने के बजाय आरक्षित वर्ग में की गई। उदाहरण के तौर पर अगर ओबीसी के किसी अभ्यर्थी का चयन यदि सामान्य पद पर हुआ हो तो भी रोस्टर के समय आगामी भर्ती में उसकी गणना सामान्य पदों पर ना करके ओबीसी के पदों में की जाने लगी। जिससे आगामी भर्ती में ओबीसी के पदों की संख्या स्वत ही कम होने लगी।
रोस्टर के नियमों की पालना नहीं होने से ओबीसी वर्ग के पदों की संख्या शून्य
कार्मिक विभाग द्वारा वर्ष 2010 के बाद से रोस्टर रजिस्टर को अपडेट नहीं करने के कारण आरएएस भर्ती 2021 की विज्ञप्ति में ओबीसी के लिए आरपीएस के पदों की संख्या शून्य रह गई थी। जबकि राजस्थान में सीधी भर्तियों में ओबीसी वर्ग को 21 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। आरएएस भर्ती 2021 में ओबीसी वर्ग के पदों की संख्या शून्य होने पर ओबीसी के अभ्यर्थियों द्वारा भारी विरोध किया गया। कुछ विधायकों ने इस मामले को राजस्थान विधानसभा में भी उठाया। विरोध के परिणामस्वरूप सरकार ने आरएएस 2021 की भर्ती में ओबीसी के लिए आरपीएस के पदों की संख्या शून्य के स्थान पर 15 कर दी गई।
वनपाल भर्ती 2021 में भी ऐसा ही हो रहा है। इस भर्ती की विज्ञप्ति में ओबीसी के पदों की शून्य रखी गई है जिसका ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी विरोध कर रहे हैं। प्रक्रियाधीन वनपाल भर्ती 2021 में करीब 24 लाख आवेदन भरे गए है्ं। इनमें से करीब साढे 13 लाख आवेदन ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के हैं जबकि ओबीसी वर्ग के पदों की संख्या शून्य है। सरकारी विभागों में होने वाली कई भर्तियों की स्थिति भी यही है।
अब पूर्व मंत्री और विधायक अपनी ही सरकार को ले रहे निशाने पर
आरक्षित वर्गों के बेरोजगार अभ्यर्थी अपनी पीड़ा लेकर जनप्रतिनिधियों के पास जा रहे हैं। 27 मार्च 2022 को निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने राजस्थान विधानसभा में आरक्षित वर्ग के बेरोजगारों की इस पीड़ा को प्रमुखता से सरकार के सामने रखा। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने 20 जून को बाड़मेर में और 27 जून 2022 को जोधपुर की जनसभा में इस प्रकरण पर सरकार को घेरा।
18 जुलाई 2022 को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने भी इसी मुद्दे पर जयपुर स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए। इससे पूर्व हरीश चौधरी इसी प्रकरण को लेकर दो बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात कर चुके। अब हरीश चौधरी ने चेतावनी दी कि अगर ओबीसी आरक्षण से संबंधित विसंगतियों को जल्द दूर नहीं किया तो उन्हें ओबीसी अभ्यर्थियों के साथ आन्दोलन पर उतरना पड़ेगा। अभ्यर्थियों की मांग पर कई जनप्रतिनिधि मु्ख्यमंत्री को पत्र लिख चुके हैं।