Sarla Thakral: भारत की पहली महिला पायलट, जो आसमान में उड़ने के लिए जन्मीं थी

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क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे ज्यादा महिला पायलट किस देश में हैं? अगर नहीं तो आपको बता दें कि सभी पश्चिमी देशों को पछाड़कर भारत ही एक ऐसा देश है, जहां सबसे अधिक महिला पायलट हैं. ये सब देश में मुमकिन हो पाया सिर्फ़ एक ऐसी महिला कि बदौलत, जिसने आसमान में प्लेन उड़ाने का न सिर्फ एक सपना देखा, बल्कि उस सपने को पूरा भी किया. ये महिला और कोई नहीं, बल्कि भारत में प्लेन उड़ाने वाली पहली महिला सरला ठकराल (First Women To Fly Plane In India Sarla Thakral) हैं.

पति के साथ ने दिया सरला ठकराल को हौसला

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सरला ठकराल 1914 में दिल्ली के एक नामी परिवार में जन्मी थीं. वो बचपन से ही सिर्फ घर के काम में नहीं उलझना चाहती थीं, बल्कि वो अपनी बंदिशों से आगे बढ़ना चाहती थीं. सरला के इस जुनून को उनके घर वाले नहीं देख पाए. इसके चलते ही महज़ 16 साल की उम्र में उनकी शादी कर दी गई. सरला की शादी जिस परिवार में हुई थी वो सभी असल में पायलट थे. खुद सरला के पति भी एक प्रबल पायलट थे.

उन्होंने सरला के अंदर के कुछ कर दिखने के जुनून को देखा और उनसे एक पायलट बनने के लिए कहा. शुरुआत में तो समाज के डर से सरला ने कई बार मना किया, पर आखिर में उनके पति ने उन्हें मना ही लिया. इतना ही नहीं सरला के परिवार में बाकी सब भी खुश थे कि वो पायलट बनने के लिए तैयार हैं. यही वो पहला मौका था, जब सरला के मन में आसमान में उड़ने का ख़्वाब पला और अब उन्हें इसे हासिल करने के लिए आगे बढ़ना था.

आसमान में उड़ने के लिए ही जन्मी थीं सरला!

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सरला के परिवार में सब पायलट थे और दिन भर व्यस्त रहते थे. ऐसे में उनके पास इतना समय नहीं था कि सरला को खुद प्लेन उडाना सिखा सकें. इसलिए उनके ससुर ने उनका दाखिला एक फ्लाइंग स्कूल में करवाया. जिस फ्लाइंग स्कूल ने आज से पहले कोई लड़की नहीं देखी थी आज वहां एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन चलाना सीखने आई थी. फ्लाइंग स्कूल के लिए ये एक बहुत ही अलग स्थिति थी. खैर, उन्होंने सरला को ट्रेनिंग देना शुरू किया.

सरला का एक प्लेन के किताबी और वास्तविक रूप से परिचय कराया. सरला की रूचि अपने काम के प्रति इतनी अधिक थी कि हर सवाल का जवाब उनकी ज़ुबान पर था. सरला की इस हाजिर जवाबी को उनके ट्रेनर ने देखा और महज़ 8 घंटे के अंदर ही उन्हें सरला पर इतना विश्वास हो गया कि उन्होंने सरला को अकेले प्लेन उड़ाने की इजाजत दे दी. अपनी पहली ही फ्लाइट में सरला इस तरह से उड़ान भरी कि हर कोई उन्हें बस देखता रह गया.

प्लेन के जिस कॉकपिट में लोग पैंट पहनकर घुसा करते थे उसमें सरला साड़ी पहने हवा से बातें कर रही थीं. ऐसा लग रहा था कि जैसे सरला ने प्लेन उड़ाने के लिए ही जन्म लिया है. उस दिन सरला ने न सिर्फ अपना फ्लाइंग टेस्ट पास किया, बल्कि उन्होंने सोच लिया कि वो इसे और आगे तक ले जाएंगी. बता दें, जब सरला ने अपनी पहली उड़ान भरी, तो वह न सिर्फ शादीशुदा थी, बल्कि एक चार साल की बेटी की मां भी थीं.

…और इस तरह बनीं पहली महिला पायलट

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अपना पहला फ्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला का आत्मविश्वास बढ़ चुका था. वह अब अंदर से पायलट बनने के लिए तैयार हो चुकी थीं. अपना पहला ‘A’ लाइसेंस लेने के लिए सरला को करीब 1000 घंटे तक प्लेन उड़ाने का अनुभव करना था. वह उस समय महज़ 21 साल की ही थीं, जब उन्होंने ये कारनामा करके दिखाया और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला बनीं. पहला लाइसेंस मिलने के बाद भी सरला नहीं रुकीं.

वह अब एक कमर्शियल पायलट का लाइसेंस चाहती थीं. इसके लिए उन्होंने जोधपुर में टेस्ट देना था. वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार थीं. मगर इससे पहले ही उन्हें खबर मिली की एक प्लेन हादसे में उनके पति कि मौत हो गयी है. ये सदमा उनके लिए बहुत बड़ा था मगर उनके पति की इच्छा थी कि सरला एक पायलट बनें. अपने पति की इच्छा को पूरा करने के लिए सरला ने सभी रस्में पूरी करते ही जोधपुर के लिए ट्रेन पकड़ी.

उन्होंने अपना लाइसेंस पाया और सोचा कि एयरलाइन्स में अपना करियर शुरू करें मगर उससे पहले ही दूसरा विश्व युद्ध शुरू हो गया. मजबूरन सरला को जोधपुर से लाहौर वापस आना पड़ा.

देश के बंटवारे ने बदल दी जिंदगी

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लाहौर आने के बाद सरला ने फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा लिया. वह जंग के कारण प्लेन नहीं उड़ा सकती थीं, इसलिए उन्होंने एक बिजनेस शुरू किया. उन्होंने साड़ियां डेकोरेट करना, डिज़ाइनर ज्वेलरी बनाने जैसे काम शुरू किए. महिलाओं के बीच उनके बनाए डिज़ाइन काफी प्रसिद्ध भी हुए. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसे ही उन्हें लगा कि उनका बिजनेस सही से चल पड़ा उससे पहले ही देश का बंटवारा हो गया. लाहौर अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था.

कई जगहों पर दंगे भड़क उठे थे, जिसके चलते सरला को रातों-रात अपनी दोनों बच्चियों के साथ भारत वापस आना पड़ा. दिल्ली आने के बाद उनके पास इतना वक़्त ही नहीं रहा कि वो पायलट बन पाएं. इसलिए उन्होंने परिवार के लिए अपना बिजनेस फिर से खड़ा किया. विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं को उनके बनाए डिज़ाइन काफी पसंद आए. कई सालों तक सरला इसी तरह से अपना बिजनेस चलाती रही और 15 मार्च 2008 को 94 की उम्र में उनका निधन हो गया.

सरला ठकराल भले ही एक कमर्शियल पायलट नहीं बन पाईं, मगर उन्होंने भारतीय महिलाओं के लिए आसमान छूने का एक रास्ता छोड़ दिया था. उनके दिखाए लक्ष्य क़दमों पर चलकर ही आज कई महिलाएं देश में पायलट बन रही हैं.

Google ने दिया ख़ूबसूरत Tribute

Sarla Thakral Google Doodle Google

8 ्अगस्त को उनके 107वें जन्मदिवस पर Google ने एक ख़ूबसूरत Doodle बना कर उन्हें याद किया. इस डूडल को आर्टिस्ट वंदना ज़ावेरी में बनाया.