कमिश्नरी पुलिस ने दावत-ए-इस्लामी का इतिहास खंगाला शुरू किया है। शहर की तीन मस्जिदों में दावत-ए-इस्लामी का मरकज रहा है। संगठन का नेटवर्क 193 देशों में फैला हुआ है।
कानपुर में कमिश्नरी पुलिस ने दावत-ए-इस्लामी का इतिहास खंगालना शुरू कर दिया है। पुराने विवाद, शिकायतों और संगठन से जुड़े सदस्यों को तलाशा जा रहा है। इसके लिए कमिश्नरी पुलिस ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राजस्थान पुलिस से संपर्क किया है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद पुलिस संगठन के कार्यालय की तलाशी ले सकती है
दावत-ए- इस्लामी कानपुर में वर्षों से अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा है। पिछले साल यह संगठन तब चर्चा में आया था, जब सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कौसर हसन मजीदी ने विभिन्न आरोप लगाए थे। राजस्थान प्रकरण सामने आने के बाद पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा के आदेश पर दावत-ए-इस्लामी की जड़ें खंगालने का काम पुलिस ने शुरू कर दिया है।
पुलिस अधिकारियों ने एनआईए व राजस्थान पुलिस से संपर्क साधा है। अब तक पड़ताल में पता चला है कि दावत-ए-इस्लामी के स्थानीय संचालकों में सबसे बड़ा नाम सरताज भैया का है। वह तलाक महल का रहने वाला है। मुस्लिम क्षेत्रों में संगठन के करीब 50 हजार समर्थक हैं। जाजमऊ में गंगा पार बड़ा मदरसा बनाया जा रहा है।इसके साथ ही नई सड़क बवाल में इस संगठन की भूमिका को लेकर भी जांच की जा रही है। उधर, कानपुर में दावत-ए-इस्लामी, अपराधी संगठन डी-टू (जिला स्तर पर दूसरे नंबर पर पंजीकृत अपराधियों का गैंग), पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया) की गतिविधयां भी मिली हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के कई स्लीपिंग माड्यूल सक्रिय होने की बात कही जा रही है। पिछले साल मतांतरण के विवाद में उमर गौतम की गिरफ्तारी के बाद कुछ संगठन सक्रिया हुए थे। उनके बारे में भी पता किया जा रहा है।