सत्यपाल मलिक को 30 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था। उसके बाद उनको जम्मू-कश्मीर भेज दिया था। धारा 370 हटाने के बाद उनको वहां से हटा दिया था। फिलहाल वह मेघालय के राज्यपाल हैं। सत्यपाल सिंह कई बार बोल चुके हैं, ‘मैं इस्तीफा जेब में लेकर चलता हूं।’
मेरठ: केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर कुछ दिनों से हमलावर मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satyapal Malik) ने पद से रिटायर होने के बाद सक्रिय राजनीति में आने के संकेत दिए हैं। 3 अक्टूबर को शामली में होने वाले किसान सम्मेलन में वह राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के साथ मंच साझा करेंगे। आरएलडी के सूत्रों की माने तो सत्यपाल मलिक कार्यकाल समाप्त होने के बाद आरएलडी में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं। उनकी इच्छा 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की है। शामली जिले की कैराना लोकसभा सीट पर उनकी निगाह है। यह सीट फिलहाल बीजेपी के पास हैं। 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन सतपाल मलिक अलीगढ़ में एक किसान सम्मेलन में शिरकत करेंगे।
सत्यपाल मलिक को 30 सितंबर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था। उसके बाद उनको जम्मू-कश्मीर भेज दिया था। धारा 370 हटाने के बाद उनको वहां से हटा दिया था। फिलहाल वह मेघालय के राज्यपाल हैं। कहा जा रहा है कि 30 सितंबर को ही उनका कार्य़काल पूरा हो जाएगा। लेकिन यह भी बताया जा रहा है कि उनका कार्यकाल चार अक्टूबर 2017 से शुरू हुआ था, इसलिए अब 4 अक्टूबर को ही पूरा होगा। बताते हैं कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार के करीबी होने के कारण सतपाल मलिक बीजेपी में शामिल हो गए थे। उनको पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया था। बीजेपी के एक सीनियर नेता के मुताबिक मलिक की 2009, 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा थी, जो पूरी नहीं हुई। तभी से वह सरकार के खिलाफ टिप्पणी करते रहे हैं। लेकिन किसान आंदोलन के चलते जाट समाज को नाराज नहीं करने के रणनीति के तहत बीजेपी या सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
‘मैं इस्तीफा जेब में लेकर चलता हूं’
सत्यपाल मलिक कई बार बोल चुके हैं, ‘मैं इस्तीफा जेब में लेकर चलता हूं।’ आरएलडी के प्रदेश महासचिव संगठन डॉक्टर राजकुमार सांगवान का कहना है कि आरएलडी किसानों की पार्टी है। सतपाल मलिक पुराने किसान नेता हैं। उनके साथ आने से किसानों का भला होगा। मेरठ कॉलेज में 1968 में छात्रसंघ अध्यक्ष बने थे। वह किसान नेता पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के करीबी रहे हैं। चरण सिंह ने 1974 में पहली बार सत्यपाल मलिक बागपत विधानसभा से टिकट दिया और विधायक बने। चौधरी चरण सिंह ने बाद में राज्यसभा में भी भेजा। 1977 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर मलिक ने चरण सिंह से दूरी बना ली। 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने पर सत्यपाल मलिक कांग्रेस में शामिल हो गए। उसके बाद अलीगढ़ सीट से जनता दल से 1989 से 1991 सांसद रहे। 1996 में एसपी से चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
चुनाव नहीं लड़ाने पर देने लगे बीजेपी विरोधी बयान
राज्यपाल बनने से पहले तक सत्यपाल मलिक बीजेपी में रहे। लेकिन चुनाव नहीं लड़ाने पर वह बीजेपी विरोधी बयान देने लगे। जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते फाइलें पास करने की एवज में 300 करोड़ का ऑफर मिलने, सामाजिक मंचों पर ‘देश को बिकने से रोकना होगा’ जैसे बयान दिए। मलिक ने बीजेपी सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया और गवर्नर पद छोड़ने की बात कह दी। वह कई बार बोल चुके हैं, ‘मैं इस्तीफा जेब में लेकर चलता हूं।’ आरएलडी के प्रदेश महासचिव संगठन डॉक्टर राजकुमार सांगवान का कहना है कि आरएलडी किसानों की पार्टी है। सतपाल मलिक पुराने किसान नेता हैं। उनके साथ आने से किसानों का हित होगा।