यूक्रेन पर हमले के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत को सबसे अधिक तेल बेचने वाले देशों की सूची में सऊदी को पीछे छोड़ते हुए रूस दूसरा बड़ा देश बन गया है. पहले पायदान पर अब भी इराक़ है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, रूस की ओर से रियायती दरों पर तेल लेने वाले भारतीय रिफ़ाइनरी ने मई महीने में ही 2.5 करोड़ बैरल तेल आयात किया है, जो कि कुल आयात का 16 फ़ीसदी है.
इस साल अप्रैल महीने में समुद्र के रास्ते भारत आने वाले कुल कच्चे तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी पाँच फ़ीसदी रही, जो बीते पूरे साल और 2022 के पहले तिमाही में एक फ़ीसदी से भी नीचे थी.
यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों के बीच दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश भारत लगातार रूस से सस्ती दरों पर तेल ख़रीदने के अपने फ़ैसले का बचाव कर रहा है.
बीते महीने तेल मंत्रालय ने कहा था कि भारत के कुल उपभोग की तुलना में रूस से आयात होने वाले तेल की मात्रा बहुत कम है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने ये साफ़ कर दिया था कि रूस से भारत जितना तेल ख़रीद रहा है, उतना यूरोप एक दिन से भी कम समय में ख़रीदता है. भारत लगातार ये कहता आ रहा है कि रूस से तेल ख़रीदकर वो किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं कर रहा है.
मई महीने में भारत को तेल निर्यात करने वाले देशों में इराक़ पहले पायदान पर रहा और अब सऊदी अरब तीसरे नंबर पर पहुँच गया है.
अमेरिका और चीन के बाद भारत तेल ख़पत के मामले में तीसरा सबसे बड़ा देश है और वो अपना 85 फ़ीसदी तेल दूसरे देशों से आयात करता है.
यूक्रेन पर हमले को 100 दिनों से अधिक बीत चुके हैं और रूस पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद उसने तेल निर्यात कर के पहले की तुलना में अधिक कमाई की है.
एक रिपोर्ट के अनुसार रूस ने यूक्रेन पर हमले के बाद पहले 100 दिनों में केवल तेल-गैस के निर्यात से ही क़रीब 100 अरब डॉलर (7800 अरब रुपये) की कमाई की है.
सेंटर फ़ॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरइए) नाम की एक स्वतंत्र संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि तमाम प्रतिबंधों के बीच मार्च महीने से रूस की आमदनी घटी ज़रूर है लेकिन अभी भी ये अपने उच्चतम स्तर पर बनी हुई है.
रिपोर्ट में रूस से आयात घटाने या रोकने के मक़सद से लगाए गए प्रतिबंधों में ख़ामियों की भी जानकारी दी गई है.
यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और यूके उन देशों में शामिल हैं जिन्होंने रूस से आयात पूरी तरह बंद करने का वादा किया है.
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सीआरइए की रिपोर्ट में क्या है?
सीआरइए ने बताया है कि यूक्रेन पर हमले के पहले 100 दिनों के भीतर रूस ने जीवाश्म ईंधन बेचकर 97 अरब डॉलर कमाए हैं. ये आंकड़े 24 फ़रवरी से लेकर तीन जून तक के हैं.
इसमें से 61 फ़ीसदी आयात अकेले यूरोपीय संघ के सदस्य देशों ने किया है, जो कि करीब 59 अरब डॉलर के आसपास है.
हालाँकि, रूस का तेल और गैस का कुल निर्यात और इससे होने वाली कमाई मार्च महीने की तुलना में घटी है. मार्च में रूस को तेल-गैस निर्यात से एक दिन के अंदर 1 अरब डॉलर से ज़्यादा की आमदनी हो रही थी.
लेकिन ये आमदनी उस ख़र्च से अभी भी अधिक है जो रूस एक दिन में यूक्रेन युद्ध पर कर रहा है. सीआरइए की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि यूक्रेन युद्ध पर रूस हर दिन 87.6 करोड़ डॉलर ख़र्च कर रहा है.
भारत कहाँ-कहाँ से लेता है तेल
- मई महीने में भारत में इराक़ के बाद रूस दूसरा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश बना
- भारत अपनी ज़रूरत का 85 फ़ीसदी तेल आयात करता है
- पिछले तीन सालों में तेल की दुनिया में दो अहम बदलाव हुए हैं और इनका असर बहुत ही व्यापक हुआ है
- पहला यह कि अमेरिका में तेल का उत्पादन बढ़ा है. यह उत्पादन इतना बढ़ा है कि अमरीका बड़े तेल आयातक से दुनिया का अहम तेल निर्यातक देश बन गया है
- दूसरा तेल की क़ीमतों को स्थिर रखने के लिए रूस और सऊदी अरब के बीच का सहयोग
- अमेरिका, रूस और सऊदी अरब दुनिया के तीन सबसे बड़े तेल उत्पादक देश हैं
- पहले नंबर पर अमेरिका है और दूसरे नंबर रूस-सऊदी के बीच प्रतिद्वंद्विता चलती रहती है
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अभी और देश भी घटाएंगे रूस से ऊर्जा आयात
यूरोपीय संघ ने 2022 के आख़िर तक समुद्र के रास्ते रूस के तेल आयात को पूरी तरह बंद करने का फैसला किया है. ईयू ने रूस से कुल आयात को दो-तिहाई तक घटाने की योजना बनाई है.
इस बीच अमेरिका ने रूस से तेल, गैस और कोयला के आयात को पूरी तरह बंद करने का एलान किया है. वहीं, यूके ने भी इस साल के अंत तक चरणबद्ध तरीके से रूस से ऊर्जा आयात को कम करने का निर्णय किया है.
सीआरइए की रिपोर्ट में कहा गया है कि ईयू की ओर से रूस के तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने की जो योजना बनाई है, उसके लागू होने पर व्यापक असर पड़ेगा.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ईयू के प्रतिबंध से रूस की आमदनी में साला करीब 36 अरब डॉलर की कमी आ सकती है.
“भारत को बड़ी मात्रा में भेजा जा रहा तेल”
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि अब भारी मात्रा में रूस का तेल भारत भेजा जा रहा है. पहले भारत के कुल आयातित तेल में से एक फ़ीसदी ही रूस से आता था लेकिन इस साल मई महीने में ये आंकड़ा 18 फ़ीसदी तक पहुँच गया है.
सीआरइए की रिपोर्ट के अनुसार, रूस से भारत आ रहे तेल के एक ‘बड़े हिस्से’ को रिफ़ाइन करके अमेरिका और यूरोप के ग्राहकों को बेचा जा रहा है. रिपोर्ट में इसे भी प्रतिबंधों में एक बड़ी ख़ामी बताया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी कच्चे तेल को लाने-ले जाने वाले टैंकरों पर कड़े प्रतिबंध लगाने से संभवतः इस तरह के मामले रोकने में मदद मिलेगी.
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि रूस अब अपने तेल के लिए नए बाज़ार तलाश रहा है. इनमें से अधिकांश मात्रा वो जहाज़ के ज़रिए ही एक से दूसरी जगह भेज रहा है. रिपोर्ट ने इस पर भी ध्यान दिलाया है कि अधिकतर जहाज़ों की मालिक अमेरिका या यूरोपियन कंपनियां हैं.
सीआरइए ने बताया है कि ज़्यादा से ज़्यादा तेल रिफ़ाइनिंग के लिए भारत भेजा जा रहा है और इसमें से कुछ रिफ़ाइंड उत्पाद वापस यूरोपीय बाज़ारों में पहुँच रहे हैं. चूंकि, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों में रिफ़ाइंड उत्पाद शामिल नहीं हैं, इसलिए रिपोर्ट में इसे एक ख़ामी बताया गया है.
भारत के साथ ही रूस से ईंधन के आयात को बढ़ाने वाले देशों में फ़्रांस, चीन, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब शामिल हैं.
किसके पास कितना तेल?
2016 में रिस्ताद एनर्जी की एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें बताया गया था कि अमरीका के पास 264 अरब बैरल तेल भंडार है.
इसमें मौजूदा तेल भंडार, नए प्रोजेक्ट, हाल में खोजे गए तेल भंडार और जिन तेल कुंओं को खोजा जाना बाक़ी है, वे सब शामिल हैं.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और सऊदी अरब से ज़्यादा तेल भंडार अमरीका के पास है.
रिस्ताद एनर्जी के अनुमान के मुताबिक़ रूस में तेल 256 अरब बैरल, सऊदी में 212 अरब बैरल, कनाडा में 167 अरब बैरल, ईरान में 143 और ब्राज़ील में 120 अरब बैरल तेल है.