सरकारी नौकरी छोड़ चुनाव मैदान में उतरीं सावित्री मंडावी, बीजेपी नेता को हराकर लिया पति की हार का बदला

Bhanupratappur By Polls: सावित्री मंडावी सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में उतरी थीं। उनके लिए सीएम भूपेश बघेल ने जमकर कैंपेन किया था। बीजेपी ने ब्रह्मानंद नेताम को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन इस चुनाव में सावित्री मंडावी को सहानुभूति वोट का फायदा मिला और वो अपना चुनाव बड़े अंतर से जीत गईं।

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रायपुर: कांकेर जिले की भानुप्रतापपुर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मंडावी को जीत मिली है। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार ब्रह्मानंद नेताम को 21171 हजार वोटों से चुनाव हारा दिया है। इस जीत के साथ ही उन्होंने ब्रह्मानंद नेताम से अपने पति मनोज मंडावी की हार का बदला भी ले लिया है। सावित्री मंडावी सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव मैदान में उतरी थीं। उनके लिए सीएम भूपेश बघेल ने जमकर कैंपेन किया था। भूपेश सरकार के काम के साथ-साथ मंडावी की जीत का एक बड़ा फैक्टर सहानुभूति वोट भी था। बता दें कि मनोज मंडावी के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी।

भानुप्रतापपुर से विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी राजनीति में आने से पहले सराकरी स्कूल में लेक्चरर थी। पति के निधन और उपचुनाव की डेट घोषित होने के बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। सावित्री मंडावी को कुल 65 हजार 327 वोट मिले जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 44229 वोट मिले।
नेताम से लिया पति की हार का बदला
भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के लिए बीजेपी ने ब्रह्मानंद नेताम को उम्मीदवार बनाया था। ब्रह्मानंद नेताम पहले भी यहां से विधायक रह चुके थे। ब्रह्मानंद नेताम आदिवासी क्षेत्र के नेता माने जाते थे लेकिन इसके बाद भी इस बार उन्हें जीत नहीं मिली। ब्रह्मानंद नेताम ने 2008 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मनोज मंडावी को हराया था। अब सावित्री मंडावी ने उन्हें हराकर अपने पति की हार का बदला ले लिया है।

आदिवासी फैक्टर रहा
भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट में जीत-हार के लिए आदिवासी वोटर्स बड़ा फैक्टर होता है। यही कारण था कि दोनों ही पार्टी ने यहां आदिवासी उम्मीदवार पर दांव लगाया था। लेकिन आदिवासी वोटर्स को बीजेपी अपने पाले में लाने में सफल नहीं हो सकी।