वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टिट्यूट (डब्ल्यूआरआई) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत समेत दुनिया के 17 देशों पर गंभीर जल संकट का खतरा मंडरा रहा है. सिर्फ़ भारत की बात करें तो नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंच खत्म हो जाएगी. वहीं दिल्ली, बंगलूरू, चेन्नई और हैदराबाद जैसे शहरों में लोगोंं को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.
दुनिया भर के लोग इस समस्या से निपटने के लिए अपने-अपने प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में मेरठ का एक लड़का गांव-गांव जाकर लोगों को पानी की अहमियत समझा रहा है, और उन्हें पानी के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है. यह कहानी सावन कनौजिया की है, जो 9वीं कक्षा से पर्यावरण के लिए समर्पित हैं और अब गांव-गांव जाकर लोगों को पानी की हर बूंद बचाने की शपथ दिलवा रहे हैं. इंडियाटाइम्स हिन्दी से बात-चीत में सावन ने अपना अब तक सफ़र शेयर किया और बताया कि वो कैसे अपनी जल चौपाल लगाते हैं:
कहां से शुरु हुआ सावन कन्नौजिया का सफ़र?
सावन अपने पुराने दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि वो कक्षा-9 में रहे होंगे, जब उनका ध्यान स्कूल में लगे एक पानी के नल्के पर गया. नल्के से धीरे-धीरे पानी गिर रहा था. यह देखकर उन्होंने नल्का बंद कर दिया. मगर उनका दिमाग खुल गया. इसके बाद उन्होंने तय किया कि वो पानी के इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ करेंगे.
शुरुआत उन्होंने खुद से की. दांत ब्रश करते समय नल बंद रखना, शावर की जगह बाल्टी से नहाना, ऐसी छोटी-छोटी चीजों से उन्होंने पानी को बचाना शुरू कर दिया. फिर एक बार जब इसकी आदत हो गई तो उन्होंने प्लान किया कि वो दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे. बस यहीं से शुरु हो गया उनका सफ़र. सावन कहते हैं कि अपने इस सफ़र में उन्हें अपने एक दोस्त प्रतीक शर्मा का पूरा साथ मिला.
हर कदम पर प्रतीक उनके लिए एक मज़बूत स्तंभ बनकर खड़े रहे. सावन का सफ़र उनके लिए बहुत मुश्किल भरा नहीं रहा. पर्यावरण से उन्हें पहले से ही प्यार था. अक्सर वो अपने दोस्तों के साथ पौधारोपण करते रहते थे. उन्होंने ‘एनवायरन्मेंट क्लब’ नामक एक संगठन का गठन किया, जिसमें उनके उम्र के कई साथी शामिल थे. आगे सावन और उनके साथियों ने अपनी पॉकेट मनी से पैसे बचाकर अपना रास्ता आसान किया.
अनोखी पहल ‘जल चौपाल’ से बनाई खास जगह
सावन बताते हैं कि शुरुआत में उनके काम की कोई सराहना नहीं करता था. अधिकतर लोग उनके माता-पिता से कहते थे कि तुम्हारा लड़का फालतू के काम करता रहता है. उसका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता है. यही हाल रहा तो 12वीं तक पास नहीं कर पाएगा. मगर, वो अपने रास्ते से पीछे नहीं हटे और धीरे-धीरे आगे बढ़ते रहे.
इसी क्रम में अब सावन ‘पानी की बात’ नाम की एक मुहिम चला रहे हैं. इसके तहत वो गांव-गांव घूमकर जल चौपाल लगाते हैं और ग्रामीणों को पानी के महत्व को समझाते हैं. सावन लोगों को पानी की हर बूंद बचाने की शपथ भी दिलवाते हैं. सावन बताते हैं कि उनका पूरा फोकस इस बात पर होता है कि पानी को बचाना क्यों जरूरी है?
पानी की हर बूंद बचाने की शपथ दिलवा रहे हैं!
उनके मुताबिक पौराणिक काल से ही प्रकृति के संरक्षण की रीत रही है. पानी को बचाने की बातें आज से नहीं हजारों साल पहले से होती आई हैं. पानी की अहमियत को अगर नहीं समझा गया तो हर किसी को जल संकट झेलना पड़ेगा. यही कारण है कि वो पढ़ाई के साथ-साथ पानी का महत्व समझा रहे हैं. उनका मानना है कि न सिर्फ हमें पानी की बूंद-बूंद बचानी चाहिए, बल्कि औरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए.
सावन अब तक के सफ़र पर खु़शी जाहिर करते हुए कहते हैं कि उनके काम को अब लोग पसंद कर रहे हैं. देशभर से लोग उनकी मदद के लिए आगे आ रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय का ‘लियो क्लब’, ‘द पॉपुलर इंडियन’ जैसे अन्य संगठन उनके समर्थन के लिए आगे आ रहे हैं. आने वाले समय में सावन अपनी इस मुहिम को तेज करना चाहते हैं. इसके लिए वो सप्ताह में एक दिन कोई ना कोई कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं.
बता दें, सावन एक आम परिवार से आते हैं. उनके पिता नीरज कनौजिया मेरठ के एक प्राइवेट स्कूल में पेशे से लैब अस्टिटेंट हैं. सावन अपने नेक काम के लिए कई मौकों पर सम्मानित किए जा चुके हैं. जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘वाटर हीरोज’ प्रतियोगिता में भी वो शीर्ष पर रहे थे.