शिमला में अब बच्चों को सिखा रहे हैं स्कूल, मोबाइल की लत… लगाना मत

कोरोनाकाल के दौरान स्कूलों की ओर से ऑनलाइन चलाई कक्षाओं के चलते कई विद्यार्थी मोबाइल के आदी हो गए हैं। अब इन विद्यार्थियों को इस लत से बाहर निकालने के लिए स्कूलों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। शहर के कई स्कूलों में इसके लिए खास रणनीति अपनाई जा रही है। संवाददाता नरेंद्र एस कंवर ने इस संबंध में स्कूल संचालकों से बात की। पेश है रिपोर्ट:-

कोरोनाकाल में स्कूली छात्र-छात्राओं की ऑनलाइन पढ़ाई की बनी आदत को छुड़वाने के लिए शहर के निजी और सरकारी स्कूल कुछ खास रणनीति अपना रहे हैं।  स्कूलों में गेट पर ही चेकिंग कर विद्यार्थियों के मोबाइल फोन जब्त किए जा रहे हैं। इसके अलावा मोबाइल की लत से निकालने के लिए विद्यार्थियों की काउंसलिंग भी की जा रही है। शिक्षक दावा कर रहे हैं कि वह बच्चों को मोबाइल की लत से बाहर निकालने में काफी हद तक सफल रहे हैं।

होमवर्क भी अब ऑनलाइन न देकर स्कूल डायरी में लिखकर देकर पुरानी प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है। स्कूल प्रोजेक्ट जैसे कार्य भी किताबों से ही करवाने को प्राथमिकता दी जा रही है। कोरोनाकाल में हुए पढ़ाई के नुकसान की भरपाई के लिए स्कूल आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त कक्षाएं चला रहे हैं। कक्षाओं के अलावा परिसरों में खेल, सांस्कृतिक और अन्य गतिविधियों की ओर छात्रों का ध्यान आकर्षित किया जा रहा है ताकि मोबाइल की आदत को छुड़वाई जा सके।

पोर्टमोर स्कूल के प्रधानाचार्य नरेंद्र सूद।
पोर्टमोर स्कूल में मोबाइल लाने पर प्रतिबंध
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल पोर्टमोर में विद्यार्थियों को मोबाइल फोन स्कूल परिसर में लाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। रोजाना गेट पर छात्राओं की बनी कमेटी हर छात्रा के बैग की चेकिंग करती है। इसमें मोबाइल मिले तो उसे अभिभावकों के सुपुर्द कर वार्निंग दी जाती है। छात्राओं को पढ़ाई से संबंधित ऑनलाइन सामग्री सर्च करने को कंप्यूटर लैब उपयोग करने की छूट है। छोटी कक्षाओं की छात्राओं को पुस्तकालय में बैठ पढ़ाई करने का अलग से पीरियड रखा है। खेल अन्य गतिविधियां बराबर करवाई जा रही हैं। -नरेंद्र सूद, प्रधानाचार्य पोर्टमोर गर्ल्स स्कूल

अनुपम प्रधानाचार्य, दयानंद पब्लिक स्कूल
सांस्कृतिक गतिविधियों का करवा रहे आयोजन
शुरू में ऑनलाइन से ऑफलाइन पढ़ाई की आदत डालने में काफी दिक्क तें हुईं। विद्यार्थियों का ध्यान बांटने के लिए परिसर में खेल और सांस्कृतिक गतिविधियां तथा योग करवाया जाता है। बोर्ड कक्षाओं के छात्रों को गणित, कामर्स, साइंस जैसी विषयों की अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जा रही हैं। होम वर्क अब स्कूल डायरी में दिया जाता है। अभिभावकों को ही मैसेज सर्विस जारी रखी है। -अनुपम प्रधानाचार्य, दयानंद पब्लिक स्कूल

शंकाओं को दूर करने को होता है अलग से सेशन 
स्कूल में अब सब पहले की तरह सामान्य रूप से ऑफलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। मोबाइल की जो आदत थी वो छूट चुकी है। छात्राओं को स्कूल में मोबाइल लाने की अनुमति नहीं है लेकिन ट्यूशन जाने वाली छात्राएं मोबाइल लाती हैं लेकिन उन्हें क्लास टीचर के पास यह जमा करवाना होता है। स्कूल से छुट्टी के बाद उन्हें मोबाइल दे दिए जाते हैं। स्कूल में हर तरह की गतिविधियां नियमित तौर पर हो रही हैं। -सुनीता जॉन,  प्रधानाचार्य, ऑकलैंड हाउस गर्ल्स स्कूल 

केवी जाखू में दी जा रही काउंसलिंग 
कोरोनाकाल में ऑनलाइन पढ़ाई से ऑफलाइन मोड में लाने के लिए छात्र-छात्राओं की नियमित काउंसलिंग की जा रही है। अब हालात पहले की तरह सामान्य हो गए हैं। स्कूल में मोबाइल लाने पर इन्हें जब्त किया जाता है। ऑनलाइन पढ़ाई को बंद कर इसे कक्षाओं में ही करवाया जा रहा है। स्कूल में दसवीं और बारहवीं कक्षा की अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जा रही हैं। छोटे बच्चों में ऐसी कोई परेशानी नहीं है, वह अब कक्षाओं में ही पढ़ाई करते हैं। अभिभावक मोबाइल की आदत छुड़वाने में सहयोग कर रहे हैं। -मोहित गुप्ता, प्रधानाचार्य केंद्रीय विद्यालय जाखू
प्रो. आरएल जिंटा, एचपीयू साइकोलॉजी विभाग
मोबाइल से रुक रहा बच्चे का मानसिक विकास
मोबाइल की आदत से बच्चा एकांत खोजता है, उसका मानसिक, भावनात्मक, व्यावहारिक विकास रुक रहा है। इसके मस्तिष्क की सोचने की क्षमता कम हो रही है। अभिभावक अपनी निगरानी में ही मोबाइल का उपयोग करवाएं, दूसरे कार्यों में उसका ध्यान लगाने का प्रयास करें। -प्रो. आरएल जिंटा, एचपीयू साइकोलॉजी विभाग