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सीमा वर्मा ने 12वीं तक के बच्चों को शिक्षा को लेकर जागरूक करने के लिए एक अनखा आइडिया निकाला है. उन्होंने एक रुपया मुहीम शुरु की है. ABP Live के लेख के मुताबिक, सीमा वर्मा 5 साल में 13,500 से अधिक स्कूली के छात्रों को स्टेशनरी मुहैया करवा चुकी हैं. सीमा 34 स्कूल के छात्रों की पढ़ाई का खर्च खुद उठा रही है, जब तक ये छात्र 12वीं पास नहीं करते सीमा उनकी फ़ीस भरेंगी.
क्या है एक रुपया मुहीम?ETV Bharatसीमा वर्मा लोगों से एक-एक रुपये जमा करती हैं और ग़रीब, ज़रूरतमंद बच्चों की मदद करती हैं. वो किसी से भी एक रुपये से ज़्यादा नहीं लेती. इस मुहीम से अब तक लाखों रुपये जमा हो चुके हैं और हज़ारों बच्चों की ज़िन्दगी बदल चुकी है. उनकी इस मुहीम की आम लोगों से लेकर अफ़सरों तक ने तारीफ़ की है.काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से आया मुहीम का आइडिया
ABP Liveएक रुपये मुहीम का आइडिया सीमा को महामना मदन मोहन मालविय से आया. महामना मदन मोहन मालविय ने एक-एक रुपये चंदा इकट्ठा करके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय बनवाया था. सीमा को इस मुहीम की वजह से लोग भिखारी भी कह देते हैं लेकिन उन्हें ऐसे तानों से फ़र्क नहीं पड़ता. 2016 में सीमा ने अपने कॉलेज इस मुहीम की शुरुआत की और 395 जमा किए, इस राशि से एक छात्रा की स्कूल की फ़ीस भरी गई थी.सीमा वर्मा न सिर्फ़ ख़ुद समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं बल्कि उन्हें देखकर दूसरे लोग भी समाज के लिए कुछ करने को प्रेरित हो रहे हैं.