मध्य प्रदेश सरकार स्व-सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक अवसर देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। समाज और सरकार की साझा कोशिशें रंग ला रही हैं और सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
जनभागीदारी और महिला सशक्तिकरण का उदाहरण स्वसहायता समूह मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण और जनभागीदारी मॉडल स्थापित करने की दिशा में स्व-सहायता समूह मील का पत्थर साबित हुए हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश के 45 हज़ार से अधिक गांवों के करीब साढ़े 3 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों में 41 लाख से ज़्यादा महिलाएं काम कर रही हैं। करीब 1245 संकुल स्तरीय संगठन गठित किए जा चुके हैं। साल 2012-13 से अब तक 1158 करोड़ का आर्थिक सहयोग स्व-सहायता समूहों को रिवाल्विंग फंड और सी.आई.एफ के रूप में दिया गया है। अब तक 3325 करोड़ बैंक ऋण बांटा गया है। इन पैसों से समूह के सदस्य कृषि और गैर कृषि आधारित 100 से ज्यादा रोज़गारपरक कार्य कर रहे हैं। समूहों से जुड़कर महिलाओं की ज़िदंगी बदली और वे आर्थिक रूप से सशक्त हुई हैं। लाखों महिलाएं जो पहले हर महीने 3 से 4 हज़ार रुपए कमा पाती थीं, आज उनकी आमदनी 10 हज़ार रुपए से अधिक हो चुकी है।
महामारी के समय परिवार को संभाला, समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाई आज आपको प्रदेश के हर गांव में स्व-सहायता समूह मिलेंगे, जिनमें महिलाएं ख़ुद को आर्थिक तौर पर मज़बूत करने के लिए काम करती दिखेंगी। कोरोना महामारी के वक्त भी इनके हाथ नहीं रुके, समाज की सहायता के साथ-साथ समूहों की सदस्यों ने न सिर्फ अपने परिवार की ज़िम्मेदारी उठाई बल्कि अन्य दिनों की अपेक्षा ज़्यादा कमाई भी की। उन्होंने महज अपना ही नहीं समाज का भी ख़्याल रखा। मास्क, सैनिटाइजर के प्रोडक्शन के साथ-साथ सेनेटरी नैपकिन और पीपीई किट तक बनाकर मुसीबत के समय अपना कर्तव्य निभाया।
बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं स्व-सहायता समूह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्व-सहायता समूहों को पोषण आहार फ्रैक्ट्री चलाने की बड़ी ज़िम्मेदारी दी। प्रदेश के कुछ ज़िलों में समर्थन मूल्य पर फसल ख़रीदी का कार्य भी स्व-सहायता समूह कर रहे हैं। आजीविका एक्सप्रेस सवारी वाहनों का संचालन समूह सफलतापूर्वक कर रहे हैं। इतना ही नहीं पंचायत स्तर पर गैस सिलेंडर रिफिलिंग, डीजल और लुब्रिकेंट ऑयल की बिक्री के काम की ज़िम्मेदारी देश की प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियों ने स्व-सहायता समूहों को दी है। देवास ज़िले में इसके लिए चुने गए 35 ग्रामों में से कुछ गांव में समूहों ने इस पर काम शुरू भी कर दिया है। छोटे व्यवसायों की बात करें तो दीदी कैफे का संचालन स्व-सहायता समूहों द्वारा बेहतर तरीके से किया जा रहा है। आज 128 दीदी कैफे आपको कई तरह के व्यंजनों का स्वाद देने के लिए तैयार हैं। स्कूली ड्रेस की सिलाई का काम करके समूह की सदस्यों ने पिछले दो सालों मे करीब 561 करोड़ का कारोबार किया है। जल जीवन मिशन से जुड़कर आधी आबादी हर घर स्वच्छ जल पहुंचाने में योगदान देने के लिए तैयार है। बुरहानपुर प्रदेश का ऐसा पहला ज़िला है, जहां जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन देने के साथ सौ फीसदी पेयजल व्यवस्था समूहों को सौंपी जा रही है।