इंटेल के सीईओ पैट जेल्ससिंगर ने कहा- मांग में अचानक आई गिरावट हमारे सारे आरंभिक अनुमानों की तुलना में बहुत ज्यादा है। अब इस उद्योग के पूरे इलेक्ट्रॉनिक सप्लाई चेन पर असर देखने को मिल रहा है।
सेमीकंडक्टर के मामले में चीन पर लगाए अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण यह पूरा उद्योग संकट में फंसता दिख रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस कारोबार में पिछले कुछ वर्षों के दौरान जो खुशहाली देखी गई थी, उस पर अब विराम लग गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि अमेरिका ने यह प्रतिबंध चिप और सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी में चीन की प्रगति रोकने के लिए लगाया, लेकिन इसका नुकसान अमेरिका और अमेरिका के सहयोगी देशों की कंपनियों को भी हो रहा है। यह बात कंपनियों की हाल में जारी आमदनी संबंधी रिपोर्टों से हुई है। अमेरिकी कंपनी इंटेल ने गुरुवार (27 अक्तूबर) को बताया कि इस वर्ष की तीसरी तिमाही में साल भर पहले की तुलना में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के राजस्व में 85 प्रतिशत की बड़ी गिरावट आई। ऐसा 20 फीसदी बिक्री घटने के कारण हुआ है।
इंटेल के सीईओ पैट जेल्ससिंगर ने कहा- मांग में अचानक आई गिरावट हमारे सारे आरंभिक अनुमानों की तुलना में बहुत ज्यादा है। अब इस उद्योग के पूरे इलेक्ट्रॉनिक सप्लाई चेन पर असर देखने को मिल रहा है। फिलहाल तो अच्छी खबर की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना महामारी के समय वर्क फ्रॉम होम के चलन के कारण पर्सनल कंप्यूटरों की मांग में भारी उछाल आया था। यह दौर अब गुजर चुका है। एक अमेरिकी रिसर्च फर्म के मुताबिक स्मार्टफोन के निर्यात में पिछली तिमाही में दस प्रतिशत की गिरावट आई। इस रुझान का खराब असर मेमरी चिप बनाने वाली कंपनियों पर पड़ा है। इंटेल जैसी प्रोसेसर निर्माता कंपनियां भी इसकी आंच महसूस कर रही हैँ। सेमीकंडक्टर का कारोबार करने वाली वेस्टर्न डिजिटल कंपनी की कुल आय में पिछली तिमाही में 96 प्रतिशत और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के आय में 49 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमीकंडक्टर सेक्टर को विश्व अर्थव्यवस्था का एक बैरोमीटर समझा जाता है। इसकी वजह यह है कि चिप उत्पादन में महीनों का वक्त लगता है। यानी इसकी मांग दीर्घकालिक संभावनाओं के आधार पर होती है। इस सेक्टर में आई अचानक गिरावट इस बात का संकेत है कि दुनिया मंदी की तरफ बढ़ रही है। अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी के सीईओ संजय मेहरोत्रा ने इस वेबसाइट को बताया कि उनकी कंपनी के ग्राहकों ने पिछली तिमाही में अपनी मांग में अभूतपूर्व कटौती की।
जुलाई में दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की बिक्री में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में दो प्रतिशत की गिरावट आई। 32 महीनों के बाद ऐसा हुआ, जब इस मांग में कमी देखी गई। वर्ल्ड सेमीकंडक्टर ट्रेड स्टैटिस्टिक्स (डब्लूएसटीएस) के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में यह गिरावट चार प्रतिशत तक पहुंच गई। जानकारों के मुताबिक इस ट्रेंड में अगले साल की पहली छमाही तक कोई बदलाव आने की संभावना नहीं है।
जानकारों के मुताबिक, इस ट्रेंड का बड़ा कारण यह है कि चीन चिप डिजाइन में भले अभी पीछे हो, लेकिन इस कारोबार के सप्लाई चेन में वह सबसे बड़ा बाजार है। अमेरिका, दक्षिण कोरिया, जापान या ताइवान में बने चिप का इस्तेमाल चीन के कारणों में होता है, जहां तैयार उत्पाद दुनिया भर में भेजे जाते हैँ। चीन खुद एक बड़ा बाजार है। चिप कंपनियों के हाथ से चीन का बाजार निकलने के बाद उनकी बिक्री में तेज गिरावट को एक स्वाभाविक परिणाम माना जा रहा है