वित्त एवं विकास निगम ने की मांग
हिमाचल सरकार के वित्त एवं विकास निगम ने सरकार से 100 करोड़ रुपये की राशि की माफी को अर्जी भेजी है। सूत्रों के अनुसार वित्त विभाग को यह प्रस्ताव आया है जिसमें कहा गया है कि उनका लोन और ब्याज को वेव ऑफ कर दिया जाए। यह प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जाएगा लेकिन उससे पहले वित्त विभाग अपनी कार्रवाई कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि सालों पहले वित्त विकास निगम को सरकार ने करीब 60 करोड़ रुपये की राशि का लोन दिया था ताकि वह आगे लोगों को लोन देकर उसके ब्याज से अपना काम चलाता। मगर ब्याज 40 करोड़ रुपये के आसपास हो चुका है और उसे उन लोगों से लोन की फूटी कौड़ी भी वापस नहीं मिल पाई है। सरकार का अब कुल 100 करोड़ रुपये वित्त विकास निगम के पास हो गया है जिसे लेकर महालेखाकार हर साल अपनी ऑडिट रिपोर्ट में जिक्र करते हैं। वित्त विभाग की वित्तीय किताबें इस आंकड़े से खराब हो चुकी हैं।
वित्त विकास निगम ने ऐसे लोगों को लोन दे दिए जिन्होंने लोन को वापस चुकता नहीं किया। इसका ब्याज आना तो दूर उसे मूलधन भी हासिल नहीं हो सका। ऐसे में अब यह निगम पूरी तरह से दिवालिया हो चुका है और सरकार को उसका पैसा भी वापस नहीं कर पाया है। करीब 40 से ज्यादा मामले अदालतों में चल रहे हैं जिनसे पैसे की वसूली की जानी है। जिस भी व्यक्ति को लोन दिया गया है उसका मामला अब अदालत में चल रहा है। ऐसे में हालात काफी ज्यादा खराब हैं। अदालत से यदि कोई फैसला हो जाता है तो कुछ पैसा हासिल कर यह निगम चल रहा है जहां पर गिनती के ही लोग लगाए गए हैं। क्योंकि जब तक लोन की वापसी नहीं होती तब तक संस्था को भी बंद नहीं किया जा सकता।
सूत्र बताते हैं कि वित्त निगम की तरफ से वित्त विभाग के माध्यम से सरकार को अर्जी भेजी गई है जिसमें उससे 100 करोड़ रुपये को वेव ऑफ करने की मांग उठाई गई है। खुद सरकार की भी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वो इतना बड़ा अमाउंट छोड़ दे। हालांकि यह पैसा आएगा मगर कब तक इसका पता नहीं क्योंकि अदालती मामले आसानी से नहीं निपटते। ऐसे में वित्त विभाग को आगे कोई आर्थिक मदद सरकार की तरफ से नहीं दी जा रही है और उसका पूरा कामकाज रूक गया है। जो पुरानी राशि है उसको लेकर मामला अब कैबिनेट के सामने जाएगा। हो यही सकता है कि सरकार इस पैसे को माफ कर दे और बाद में अदालत के माध्यम से जो पैसा निकलता है वो सरकार को सीधे रूप से मिलता रहे।
फिलहाल अभी प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। वित्त विभाग सभी पहलूओं को देख रहा है और अधिकारी लगातार इस मामले पर बातचीत कर रहे हैं। अब कब तक वित्त विभाग अपना प्रस्ताव कैबिनेट के लिए बनाता है यह देखना होगा। इससे पहले वित्त विभाग ने वित्त निगम के अधिकारियों के साथ भी पूरे मामले पर दोबारा से चर्चा करनी है। सरकार की यह संस्था पूरी तरह से लुट गई है। बताया यह भी जा रहा है कि अधिकारियों ने पूर्व में रसूखदारों को सिफारिशों पर लोन दे दिए और अब वो लोन वापस नहीं मिल रहा है। कई तरह के सवाल इस संस्था को लेकर खड़े हैं जिसपर सरकार को निर्णय लेना है।