शाहिद कपूर की बहन सना खान ने कहा- उस दिन शाहरुख खान को डैड से पिटते देख बहुत गुस्सा हो गई थीं मैं

शाहिद कपूर की बहन सना कपूर इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ‘सरोज का रिश्ता’ से और उन्होंने अपनी फिल्म, फिजिकैलिटी, माता-पिता, भाई शाहिद, अपनी सास सीमा पाहवा और अपने क्रश शाहरुख खान को लेकर ढेर सारी बातें कीं।

‘शानदार’, ‘खजूर पे अटके’, ‘रामप्रसाद की तेरहवीं’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी पंकज कपूर-सुप्रिया पाठक की बेटी और शाहिद कपूर की बहन सना कपूर इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ‘सरोज का रिश्ता’ से। इस विशेष मुलाकात में सना ने अपनी फिल्म, फिजिकैलिटी, माता-पिता, भाई शाहिद, अपनी सास सीमा पाहवा और अपने क्रश शाहरुख खान को लेकर मजेदार बातें कीं।

सना अपनी फिजिकैलिटी को लेकर आपमें सेल्फ लव की भावना कब पैदा हुई?
मैं हमेशा से अपनी फेवरेट हुआ करती थी। असल में मेरे घर का माहौल ऐसा था कि कभी मुझे कमतर या अलग तरह से फील नहीं करवाया गया। मगर जब मैं फिल्मों में आई तो यहां आकर मैंने दिखा कि यहां पर खूबसूरती का अपना एक बना-बनाया पैमाना है। उस दौरान ऐसे कई पल आए जब मैं सेल्फ डाउट करने लगी थी कि क्या मैं यहां के लिए फिट हूं? क्या मैं एक्ट्रेस बन सकूंगी? क्योंकि उस सांचे में मैं फिट नहीं बैठ रही थी। जहां तक सेल्फ लव की बात है तो मैं अभी भी स्ट्रगल करती हूं। कोई दिन ऐसे होते हैं, जब मैं सोचती हूं घर से बाहर न निकलूं, मगर कई दिन ऐसे भी होते हैं, जब मैं सोचती हूं कि क्या फर्क पड़ता है? मैं जैसी हूं अच्छी हूं। मगर मैं मानती हूं कि खुद से प्यार करना बहुत जरूरी है। मैं ये जरूर कहना चाहूंगी कि हम मोटे, पतले, काले, गोरे जो भी हों, हम यूनीक हैं।

आपके घर में प्रतिभा का भंडार है, पंकज कपूर-सुप्रिया पाठक जैसे माता-पिता, शाहिद कपूर जैसा भाई और अब सीमा पाहवा-मनोज पहावा जैसे सास-ससुर, कैसा महसूस करती हैं?
कोशिश करती हूं कि इनकी मौजूदगी में प्रेशर महसूस न करूं(हंसती हैं) प्रेशर फील करती हूं। मगर दूसरी तरफ से खुद को बहुत खुशकिस्मत मानती हूं। मेरे सास-ससुर भी काफी क्रिएटिव हैं और साथ-साथ बहुत सपोर्टिव भी। मैंने अपने परिवार से बहुत कुछ सीखा है, मगर अपने काम को लेकर बहुत सतर्क रहती हूं कि अपना सौ फीसदी दूं, क्योंकि मेरे साथ मेरे मायके के साथ-साथ ससुराल वालों का नाम भी जुड़ा हुआ है।

मयंक पाहवा के साथ आपकी शादी काफी अलग और चर्चित रही। मयंक आपको कैसे परिपूर्ण करते हैं?

हम दोनों के लिए ही हमारे माता-पिता काफी अहमियत रखते हैं तो हम दोनों ही अपने पेरेंट्स को ध्यान में रख कर, उन्हें शुक्रिया कहते हुए शादी के बंधन में बांधना चाहते थे। हमने एक तरफ पारंपरिक शादी की तो दूसरी तरफ कोर्ट मैरिज भी की। मैं चाहती थी कि पापा कन्यादान करें। इन सब रिवाजों को बीच हमारी प्यारी भावनाएं थीं कि डैड मेरा हाथ मयंक के हाथ में देते हुए कहें कि अब तक मैंने इसका ध्यान रखा है, आगे आपको रखना है और मयंक ने वो वादा पंजाबी में किया। हमने मंगलसूत्र, सिंदूर, मेहंदी, चूड़ा आदि जैसे रिचुअल्स किए। मयंक को मैं बचपन से जानती हूं और हम अगल-बगल में ही रहते हैं, तो कुछ दूर जाने जैसा अहसास नहीं था। हम दोनों ही एक-दूसरे को हर तरह से परिपूर्ण करते हैं। हम एक ही इंडस्ट्री से हैं और हमारे पारिवारिक मूल्य भी एक जैसे ही हैं। हम लोग पूरी-पूरी रात बैठकर बातें कर सकते हैं ,कई बार बौद्धिक बहस भी होती है। मैं काफी क्रेजी हूं और वे शांत हैं, तो इस तरह वे मुझे बैलेंस करते हैं।

आपकी जल्द रिलीज होने वाली फिल्म है ‘सरोज का रिश्ता’ तो आपको क्या लगता है बच्चों की शादी के मामले में एक रिश्ते में माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या होती है?

यही कि वे अपने बच्चों के लिए सही मैच ढूंढ पाएं। लोग कहते हैं कि शादी के मामले में लड़कियों को ज्यादा जज किया जाता है, मगर मुझे लगता है लड़का-लड़की दोनों जज होते हैं। लड़की सुंदर-सुशील होनी चाहिए, तो लड़का भी नौकरी और घरदार होना चाहिए। सरोज का रिश्ता जैसे फिल्म करने के पीछे मेरी अहम वजह यही थी कि हम यह संदेश देना चाहते हैं कि किसी भी लड़की को उसके आउटर लुक से जज न करें। मानती हूं कि शादी में एडजस्ट करना पड़ता है, मगर किसी के लिए खुद को इतना मत बदलो कि खो ही जाओ।

हाल ही में आपकी सास और एक्ट्रेस सीमा पहावा को रामप्रसाद की तेरहवीं के लिए फिल्मफेयर के बेस्ट डेब्यूटेंट डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला। केस महसूस हुआ?
बहुत ज्यादा गर्व की अनुभूति हुई जब सीमा आंटी को ये अवॉर्ड मिला। वे तो प्रतिभा की खान हैं, उनमें इतना टैलेंट है कि रामप्रसाद की तेरहवीं तो उसकी एक परत भर है। उनके आस-पास रहते हुए मैं भी उनके आइडियाज आदि को सीखती रहती हूं। उन्होंने दुनिया की सचाई को करीब से देखा है। हम उन्हें और ज्यादा डायरेक्शन करने के लिए प्रेरित करते हैं। मगर साथ ही मैंने उनसे एक डील तो कर ही ली है कि रामप्रसाद की तेरहवीं की तरह वे मुझे अपनी हर फिल्म में कास्ट करें। (हंस देती हैं)

अपने इंटरव्यूज में आपके भाई शाहिद कपूर आपके प्रति हमेशा अपना प्रेम दर्शाते हैं, बीते कुछ साल में आप दोनों का रिश्ता कितना इवॉल्व हुआ है?
जब आपका कोई बड़ा भाई होता है तो एक तरह से वो आपका केयर टेकर हो जाता है। वो कंडीशनिंग हो जाती है, आपके पैदा होते ही कि हमें अपने छोटे भाई-बहन का खयाल रखना है तो भैया वैसे ही हैं। वे बेहद केयरिंग हैं। हम दोनों के बीच उम्र का काफी अंतर है तो हम दोनों पार्टी साथ नहीं करते, मगर एक-दूसरे से बहुत जुड़े हुए हैं। अब जब से मेरी जान मीशा और जैन (शाहिद कपूर के बच्चे) पैदा हुए हैं, तो जब मैं उनके घर जाती हूं, तो मेरा सारा समय बच्चों के साथ बीतता है। भैया और मीरा आते भी हैं कमरे में, तो मैं मीशा और जैन के साथ ही मस्त रहती हूं।

आप पिता पंकज कपूर के ज्यादा करीब हैं या मां सुप्रिया पाठक के?
दोनों के। मेरे पापा को कोई कुछ कह नहीं सकता, अगर कहे तो मैं उसकी जान ले लूं। मम्मा मेरी बेस्ट फ्रेंड है, मगर मैं डैड की साइड ज्यादा लेती हूं। आपको एक किस्सा बताती हूं। मैं बचपन से ही शाहरुख खान की दीवानी रही हूं। फिल्म बाजीगर देखने के बाद तो मैं खाना भी सबसे लास्ट में खाती थी। उस फिल्म में एक डायलॉग था उनका कि कभी -कभी दिल जीतने के लिए दिल हारना भी पड़ता है। लास्ट खाने के चक्कर में मुझे आइसक्रीम भी नहीं मिलती थी। उन पर मेरा बड़ा क्रश रहा। फिर एक समय ऐसा आया कि पापा को उनके साथ ‘राम जाने’ करने का मौका मिला। पापा ने शाहरुख जी को बताया कि मेरी बेटी आपकी बहुत बड़ी फैन है, तो उन्होंने बहुत ही स्वीटली मुझे सेट पर बुलवाया। मैं भी अपने क्रश को मिलने डैड की शूट पर गई। वहां क्लाइमैक्स सीन फिल्माया जा रहा था और डैड विलेन बने थे, तो हीरो शाहरुख जी डैड को पीट रहे थे। मैंने जब देखा कि मेरा रील हीरो मेरे रियल हीरो को पीट रहा है, तो मैं बहुत गुस्सा हो गई और उस दिन मैंने बेचारे शाहरुख जी से बात तक नहीं की। आज सोचती हूं, तो लगता है, मैं कितनी बेवकूफ थी। इतना बड़ा गोल्डन चांस मैंने गंवा दिया।

क्या आप टिपिकल बॉलिवुड की हीरोइन प्ले करना चाहेंगी? किन हीरो के साथ काम करने की ख्वाहिश है?

‘सरोज का रिश्ता’ कुछ हद उसी तरह की फन फिल्म है, जिसमें रोमांस, कॉमिडी, नाच-गाना है। जहां तक मेरे पसंदीदा फिल्मों की बात है, तो मैं हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमिडी करना चाहूंगी। जैसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, जब वी मेट, बरेली की बर्फी आदि। भैया के अलावा सभी हीरोज की हीरोइन बनना चाहती हूं। जल्द ही मैं एक फिल्म और हैपी फैमिली में नजर आऊंगी।