Shani Jayanti : आज शनि जयंती है। ज्योतिष में शनिदेव को को कर्मफल दाता और न्याय का देवता कहा जाता है। शनि व्यक्ति के जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुख दुख आदि की राह तय करते हैं। शनि जयंती के मौके पर आइए जानते हैं शनि का कुंडली में किस भाव में होने व्यक्ति को राजा बना देता है और कब व्यक्ति को परेशानियों का सामना करना होता है।
शनि जयंती का विशेष मुहूर्त
शनि जयंती ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन मनाई जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का आरंभ 18 मई सुबह 9:42 से 19 मई रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगा उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 19 मई को मनाई जाएगी शनि जयंती।
शनि का कुंडली में अलग अलग भाव में फल
ज्योतिष में कहा गया है कि शनि एक ऐसा ग्रह है जो किसी को भी राजा से रंक बना सकता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि पहले भाव में है तो वो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीता है। उसकी ज़िन्दगी बहुत अच्छी चलती है। हालांकि, ऐसे लोगों को मांसाहारी भोजन से बचना चाहिए। ऐसा करने पर व्यक्ति को शनि काफी सकारात्मक परिणाम देते हैं।
कुंडली में दूसरे भाव में शनि
जिस व्यक्ति के कुंडली में दूसरे भाव में शनि बैठे होते है उस व्यक्ति का भाग्य बहुत साथ देता है। इसके अलावा शनि जब ग्यारहवें भाव में होते हैं तो व्यक्ति को मालामाल बना देते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत ही धनी होता है। कल्पनाशील होता है और ज़िन्दगी के सभी सुख उसको प्राप्त होते हैं।
कुंडली में चौथे भाव में शनि
कुंडली के चौथे भाव में बैठे शनि ज़्यादा शुभ नहीं माना जाता हैं। कुंडली में शनि के चौथे भाव में होने से व्यक्ति को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग कई बार जीवन में मकान बनाने से वंचित हो जाते है। उन्हें मकान का सुख नहीं मिल पाता है।
कुंडली में छठे भाव में शनि का होना
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में छठे भाव में शनि हो तो व्यक्ति शत्रुओं पर विजय हासिल करने में सफल रहता है। लेकिन, शनि वक्री अवस्था में हो तो सर पर कर्जा भी चढ़ा देता है और व्यक्ति को कंगाल भी बना देतें हैं।