मशहूर वकील शांति भूषण का 97 की उम्र में बीते मंगलवार को निधन हो गया. वो कुछ दिनों से बीमार थे. वो मोरारजी देसाई सरकार में 1977 से 1979 के बीच देश के कानून मंत्री थे. देसाई को PIL का चैंपियन्स, वकालात की दुनिया का ध्रुव तारा भी कहा जाता है. शांति भूषण ने अपने जीवन में कई केस लड़े, कई जनहित याचिकाएं दायर की लेकिन एक केस के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा. इस केस के बाद ही भारत में इमरजेंसी लगा दी गई थी.
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शांति भूषण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में राज नारायण सिंह का प्रतिनिधित्व किया था. 1971 में देश में 5वां लोक सभा चुनाव हुआ. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राय बरेली से चुनाव लड़ रही थी और राज नारायण ने गांधी के खिलाफ़ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी की ओर से पर्चा भरा. 7 मार्च को चुनाव हुआ, राज नारायण को अपनी जीत का इतना भरोसा था कि नतीजे आने से पहले ही जीत की रैलियां करवा दी. 10 मार्च को चुनावी नतीजे आए. इंदिरा गांधी ने 1 लाख से भी ज़्यादा वोटों से राज नारायण को हराया.
राज नारायण को ये हार बर्दाशत नहीं हुई और उन्होंने इंदिरा गांधी पर चुनाव में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाए और सांवैधानिक तरीके से गांधी से लड़ने का निर्णय लिया. हाई कोर्ट में इलेक्शन पेटिशन चुनाव नतीजे के 45 दिन के अंदर दायर करनी होती है. राज नारायण ने इंदिरा गांधी के खिलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की.
शांति भूषण ने ही राज नारायण की तरफ़ से कोर्ट में दलीलें दी. राज नारायण की लंबी फहरिश्त में से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज़्यादातर को खारिज कर दिया और 2 सबूत पर ही इंदिरा गांधी को दोषी पाया.
12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस जगमोहन लाल सिंह ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया और उन पर 6 साल का प्रतिबंध लगा दिया.
तीन पार्टियों के मुख्य सदस्य रहे
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शांति भूषण कांग्रेस और जनता पार्टी दोनों के ही एक्टिव सदस्य थे. 14 जुलाई 1977 से 2 अप्रैल 1980 तक वे राज्य सभा के सदस्य रहे. 1977 से 1979 तक वो मोरारजी देसाई सरकार में कानून मंत्री रहे. 1980 में वो भाजपा से जुड़े और 1986 में इस्तीफ़ा दे दिया. शांति भूषण आप के भी फ़ाउंडिंग मेम्बर थे.
इन केसेज़ के लिए भी जाने जाते हैं
शांति भूषण ने 1993 मुंबई बम ब्लास्ट के दो अभियुक्तों, संसद हमले के आरोपी शौकत हुसैन की तरफ़ से कोर्ट में केस लड़ा.
सुप्रीम कोर्ट में 2002 में अरुंधति रॉय पर कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगा. शांति भूषण ने रॉय का पक्ष रखा.
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ आवाज़ उठाने से लेकर देशहित और समाज हित पर बात करने के लिए उन्हें याद किया जाएगा.