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मोरबी के दर्दनाक हादसे की जांच के लिए सरकार ने विशेष जांच दल का गठन किया है। इस पांच सदस्यीय दल में आर एंड बी के सचिव संदीप वसावा, आईएएस राजकुमार बेनीवाल, आईपीएस सुभाष त्रिवेदी, चीफ इंजीनियर के एम पटेल के साथ डॉ. गोपाल टांक को रखा गया है। यह विशेष जांच टीम हादसे के कारणों का पता लगाएगी

अहमदाबाद: गुजरात के मोरबी में रविवार को मच्छु नदी पर बना 140 साल पुराना केबल सस्पेंशन पुल गिर गया। हादसे में कई लोगों की मौत हो गई। वायु सेना, नौसेना और थल सेना समेत एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हैं। स्थानीय लोग भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं। गुजरात में सूचना विभाग के एक अधिकारी जिगर खुंट ने कहा कि कम से कम 177 जीवित बचे लोगों को नदी से निकाला गया और सेना, नौसेना और वायु सेना के दल अन्य लापता लोगों की तलाश कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि औपनिवेशिक युग का पैदल पुल इसलिए ढह गया क्योंकि यह बड़ी भीड़ का भार नहीं संभाल सकता था, क्योंकि हिंदू त्योहारों के मौसम ने हाल ही में खोले गए पर्यटकों के आकर्षण के लिए सैकड़ों दर्शकों को आकर्षित किया था।

27 वर्षीय सिदिक भाई ने मोरबी के एक अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने बताया कि जब पुल टूटना शुरू हुआ तो वह पानी में कूद गए। उन्होंने देखा कि उसके दोस्त को पुल के नीचे तब गए। वह पुल पर चढ़कर और उसके केबलों को पकड़कर आपदा से बच गए, लेकिन उनका दोस्त इसे नहीं बच सका।

हर्ष की पत्नी की भी मौत
इस हादसे में एक चार साल का बच्चा जिंदा बच गया लेकिन उसके माता-पिता की मौत हो गई। उमा बस्ती निवासी के मुताबिक उनके पड़ोसी हार्दिक फल्दू, उनकी पत्नी मीरालबेन, चार साल का बेटा जियांश, हार्दिक का चचेरा भाई हर्ष जलावडिया और उनकी पत्नी केबल ब्रिज देखने गए थे।

Gujarat: लोग ‘बचाओ-बचाओ’ चीख रहे थे, मैं तार से लटका रहा…. मोरबी पुल हादसे में जिंदा बचे लोगों की रूह कंपा देने वाली आपबीती
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    शख्स ने बताया, ‘पुल बहुत तेज हिल रहा था। अचानक पुल नीचे बैठ गया। हम सीधे पानी में जा गिरे। मैं पानी के अंदर बहुत गहराई तक जा पहुंचा था। फिर ऊपर धीरे धीरे आया। पुल का एक तार मेरे हाथ में आ गया। मेरे दो भतीजे भी थे, वे मेरे साथ ही थे। उनकी उम्र आठ और नौ साल थी। मैंने उनका 12 रुपये और अपना 17 रुपये का टिकट लिया था। वे नदी में डूब गए। जब हादसा हुआ हम पुल के बीचोंबीच खड़े थे। तभी पुल अचानक बैठ गया। उस वक्त पुल पर काफी भीड़ थी। वह फुल भरा हुआ था। नीचे गिरने पर मैं तार पकड़कर बैठा था। घंटेभर बाद कुछ पुलिसवाले रस्सियां लेकर आए और हम सबको बारी बारी से बाहर निकाला। एक घंटे तक बचाने के लिए कोई नहीं आया। सब बचाओ बचाओ चिल्ला रहे थे। इस दौरान मैं बस तार पकड़कर बैठा रहा। ठंड भी काफी लग रही थी।’

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    अहमदाबाद के रहने वाले विजय गोस्वामी और उनका परिवार भी पुल पर घूमने गया था लेकिन ये लोग लौट आए। पुल से नीचे आते ही हादसा हो गया। परिवार ने कहा कि उनकी जान ईश्वर की कृपा से ही बची है। विजय ने बताया कि पुल पर बहुत भीड़ थी। वह और उनका परिवार पुल पर चढ़े। उन्होंने बताया कि कुछ युवक पुल को जोर-जोर से हिला रहे थे। हैंगिग पुल हिल रहा था। उनका परिवार डर गया तो वे लोग पुल से उतर आए। नीचे आते ही जोर से चीखें सुनाई दीं और देखा की पुल टूटकर नदी में गिर गया। उन्होंने बताया कि उन लोगों ने वहां मौजूद कर्मचारियों को युवकी की शिकायत भी की लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया।

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    हादसे में अपनी बहन को गंवाने वाले एक युवक ने अपना दर्द बयां किया। उसने बताया कि वह अपनी बहन के साथ मोरबी पुल पर पहुंचा था। बहन के साथ सेल्फी ले रहा था। उसे नहीं पता था कि बहन के साथ यह उसकी आखिरी तस्वीर होगी। तस्वीर खींचते समय ही अचानक पुल नदी में टूटकर गिर गया। बहन का हाथ छू गया। वे नदी में गिर गए। वह किसी तरह बाहर आया। बहन को बहुत ढूंढने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मिली। सुबह उसकी लाश देखी। युवक ने बताया, ‘हम लोग पुल के बीचोबीच थे जब पुल टूटा। मेरी 6 साल की बहन को घुमाने ले गया था। नहीं पता था कि मैं उसे मौत के मुंह में ले जा रहा हूं।’ युवक ने बताया कि वह मजदूरी करता है। रविवार को अपनी मजदूरी का काम छोड़कर बहन को बाहर घुमाने लाया था।

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    मोरबी हादसे में बचे अनिल ने बताया कि वह अपने पूरे परिवार के साथ घूमने गए थे। मेरी 2 बेटियां, पत्नी, भाभी, मेरी पत्नी की चाची और उसके 3 बेटे पुल के ऊपर मौजूद थे। अचानक पुल जोर से हिला और टूटकर नदी में गिर गया। हम लोगों की किस्मत अच्छी थी कि हम पुल से उतरकर किनारे आ गए थे। हमारे परिवार के दो लोग पुल पर थे हालांकि उनकी भी जान बच गई। मेरी पत्नी के सिर पर चोट आई है। सीटी स्कैन किया गया है अभी रिपोर्ट का इंतजार है। वह बहुत सदमे में है।

हादसे में हार्दिक और उनकी पत्नी मिरल की मौत हो गई है, जबकि जियांश की जान बच गई। जियांश के चाचा हर्ष भी बच गए। उनका इलाज इलाज अस्पताल में चल रहा है क्योंकि उन्हें कई चोटें आई हैं। हालांकि हादसे में हर्ष की पत्नी की भी मौत हो गई है।

हलवाड़ कस्बे का रहने वाला था परिवार
उमा कस्बे के एक निवासी ने कहा कि हार्दिक हलवाड़ कस्बे का रहने वाला है और परिवार के मृतक सदस्यों के शवों को सोमवार को अंतिम संस्कार के लिए हलवद ले जाया जाएगा क्योंकि कस्बे में बंद का आयोजन किया जाएगा।