कहते हैं अपनी संतान के लिए एक मां किसी भी हद तक जा सकती है. केजीएफ का डायलॉग भी है- इस दुनिया में सबसे बड़ा योद्धा मां होती है. मां की इच्छाशक्ति के आगे कोई नहीं टिक सकता और वो अकेले ही अपने बच्चे के लिए असंभव को संभव कर दिखलाती है. अपने बारे में विचार करना छोड़ देती है, पहले अपनी संतान के बारे में सोचती है. तमिलनाडु (Tamil Nadu) से एक ऐसी मां की कहानी सामने आई है, जिसे जानने के बाद सभी शीश झुका देंगे.
बेटी के लिए स्त्री से पुरुष बन गई एक मां
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News18 के लेख के अनुसार, तमिलनाडु के ज़िला थूथुकुड़ी (Thoothukudi, Tamil Nadu) के काटुनायक्कनपट्टी (Katunayakkanpatti) गांव की रहने वाली पेचियम्मल (Pechiyammal) की शादी को 15 ही दिन हुए थे कि उसके पति की हार्ट अटैक से मौत हो गई. पेचियम्मल की उम्र उस समय यही कोई 20 साल रही होगी. उसने एक बेटी, शन्मुगसुंदरी (Shanmugasundari) को जन्म दिया और उसे पालने के लिए काम-काज शुरू किया लेकिन उसे प्रताड़ना और शोषण झेलना पड़ा. बेटी के लिए वो पेचियम्मल से मुत्थु बन गई.
30 साल का मुत्थु बनकर रही पेचियम्मल
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पेचियम्मल ने अपने बाल कटवा लिए और साड़ी छोड़कर लुंगी और शर्ट पहनना शुरू किया. उसने आस-पास के गांवों में ऐसे काम किए जो आमतौर पर औरतें नहीं करती थीं. She Sight के लेख के अनुसार पेचियम्मल ने चाय और परोट्टा (परांठा) की दुकान पर काम किया और उन्हें लोग मुत्थु मास्टर बुलाने लगे.
इस्तेमाल करती थी पुरुषों का टॉयलेट
पेचियम्मल ने बताया कि उसने पेंटिंग से लेकर नारियल की दुकान तक, कई तरह के छोटे-मोटे काम करके अपनी बेटी को पाला. मुत्थू उर्फ़ पेचियम्मल ने मेन्स टॉयलेट का इस्तेमाल किया और वो बस में पुरुषों वाले सीट पर ही बैठती थीं. यही नहीं, उन्हें अपनी पहचान बदलने का भी कोई गम नहीं है. गांव में कुछ लोगों के अलावा किसी को नहीं पता था कि मुत्थु असल में एक स्त्री है.
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पेचियम्मल की बेटी की शादी हो चुकी है. उनका यही कहना है कि अब वो ऐसे ही आखिरी सांस लेना चाहती हैं.