शहबाज शरीफ को लाहौर हाई कोर्टसे 16 अरब रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बड़ी राहत मिली है। लगभग डेढ़ साल चली सुनवाई के बाद कोर्ट ने शहबाज शरीफ और उनके बेटे को आरोपों से दोष मुक्त कर दिया है। इमरान खान के कार्यकाल में केस दर्ज करने वाली पाकिस्तानी जांच एजेंसी कोई सबूत पेश नहीं कर सकी है।
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बेटे हमजा शहबाज 16 अरब रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग केस में बाइज्जत बरी हो गए हैं। लाहौर हाई कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि बेनामी खाते से पीएम शहबाज और उनके बेटे हमजा के बैंक खातों में कोई भी सीधा लेनदेन नहीं किया गया था। शहबाज शरीफ के खिलाफ यह केस 2021 में इमरान खान के प्रधानमंत्री रहने के दौरान चीनी मिल घोटाले को लेकर दर्ज किया गया था। इस मामले में शहबाज शरीफ को पाकिस्तानी संसद में विपक्ष का नेता होने के बावजूद जेल की हवा खानी पड़ी थी। अब इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने आरोप लगाया है कि सरकार दबाव की राजनीति कर अपने पक्ष में फैसलों को मोड़ रही है। वहीं, शहबाज की पार्टी पीएमएल-एन ने कहा है कि यह सच्चाई की जीत है और झूठ का पर्दाफाश हो गया है। लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश एजाज हसन अवान ने एक दिन पहले सुरक्षित रखे गए फैसले को सुनाया।
शहबाज का एक बेटा भगोड़ा घोषित हुआ था
मंगलवार की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान की फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) ने अदालत को बताया था कि बेनामी (अनाम) खातों से पीएम शहबाज और उनके बेटे के बैंक खातों में कोई सीधा लेनदेन नहीं किया गया था। एफआईए ने नवंबर 2020 में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 419, 420, 468, 471, 34 और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 109 के तहत शहबाज और उनके दो बेटों, हमजा और सुलेमान के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए सुलेमान पाकिस्तान छोड़कर फरार हो गया था। इसके बाद मुकदमे की कार्यवाही के लगातार अनुपस्थित रहने के कारण पाकिस्तानी अदालत ने सुलेमान को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
शहबाज शरीफ ने कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी
हाई कोर्ट के फैसले के बाद शहबाज शरीफ ने ट्विटर पर खुशी का इजहार किया। उन्होंने लिखा कि मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे, आधारहीन और राजनीतिक बदला-आधारित मामले में जीत के लिए अल्लाह को धन्यवाद। उन्होंने कहा, “आज हम अदालत, कानून और देश के सामने सही साबित हुए हैं।” पीएमएल-एन नेता तलाल चौधरी ने डॉन न्यूज से बात करते हुए फैसले को पीएमएल-एन की जीत कहा। उन्होंने दावा किया कि यह फर्जी मामला था और इसका एक न एक दिन पर्दाफाश होना तय था। इस बीच, पीएमएल-एन ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट में कहा कि “राजनीतिक उत्पीड़न के लिए बनाया गया एक और मनगढ़ंत मामले का निश्चित अंत हो गया है।
बुधवार की सुनवाई में क्या हुआ
बुधवार को हुई सुनवाई की शुरुआत में पीएम शहबाज और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री हमजा के वकील अमजद परवेज ने अदालत से अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री को उनकी अपरिहार्य आधिकारिक व्यस्तताओं के कारण सुनवाई से एक और छूट दी जाए। अदालत ने मंगलवार को इसी तरह के एक अनुरोध को मंजूरी दे दी थी। परवेज ने जज अवान को बताया कि किसी भी गवाह ने पीएम या उनके बेटे के खिलाफ गवाही दर्ज नहीं की। उन्होंने जांच अधिकारी पर गवाहों के बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने एफआईए को फटकार लगाते हुए कहा कि एजेंसी ने दुश्मनी के आधार पर मामले बनाए। उन्होंने दावा किया कि अभियोजन पक्ष रिश्वत के आरोप पर अब तक कोई सबूत पेश नहीं कर सका है।
एफआईए ने क्या दलील दी
एफआईए की तरफ से पेश हुए वकील फारूक बाजवा ने अदालत को बताया कि इस मामले में संदिग्ध मसरूर अनवर, शहबाज शरीफ के बैंक खाते का संचालन कर रहा था। इन सभी बेनामी खातों को रमजान चीनी मिल के कर्मचारियों द्वारा संचालित किया गया था। उन्होंने कहा कि एक अन्य संदिग्ध गुलजार अहमद का अकाउंट उसकी मौत के बाद भी संचालित होता रहा। न्यायाधीश ने पूछा, “क्या आपके पास अपने बयान की पुष्टि करने के लिए कोई सबूत है।” बाजवा ने जवाब दिया कि उपलब्ध रिकॉर्ड में इस संबंध में कोई सबूत नहीं है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। मंगलवार को न्यायाधीश ने शुरू में अभियोजक से पूछा कि रमजान शुगर मिल्स में एक चपरासी मलिक मकसूद अहमद के नाम से कितने बैंक खाते संचालित किए गए थे, जिसकी संयुक्त अरब अमीरात में फरार होने के दौरान मृत्यु हो गई थी। अभियोजक ने कहा कि चालान में मकसूद अहमद के आठ बैंक खातों का उल्लेख किया गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि शहबाज और हमजा के बैंक खातों में सीधे जमा या निकासी का कोई सबूत नहीं है।