मुख्य सचिव आरडी धीमान के सामने यह प्रस्ताव ब्रिटेन की उप उच्चायुक्त कैरोलिन रॉवेट ने रखा है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार भी ब्रिटेन में निवेश की संभावना देखेगी।
हर साल प्रदेश के सेब उत्पादक फसल के अच्छे दाम नहीं मिल पाने का मुद्दा उठाते हैं। अधिकारियों की ओर से राज्य की सेब आर्थिकी के बारे में भी उप उच्चायुक्त को अवगत करवाया गया। सेब बागवानी के साथ एग्रो प्रोसेसिंग को और मजबूत करने की संभावना पर भी चर्चा की गई। एग्रो प्रोसेसिंग में जूस प्लांट, अचार, चटनी, मुरब्बा, सिरका के अलावा फलों और सब्जियों से बनने वाले टिकाऊ उत्पाद शामिल होते हैं। मुख्य सचिव आरडी धीमान ने इस संबंध में बताया कि उप उच्चायुक्त ने एग्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग पर द्विपक्षीय साझेदारी की बात की है। ग्रीन हाइड्रोजन के भंडारण की तकनीक पर भी सहयोग देने की बात कही है। इससे प्रदेश के किसानों और बागवानों को फायदा होगा।
इन्वेस्टर्स मीट की कड़ी के तहत हो सकते हैं समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
इस बैठक के बाद मुख्य सचिव आरडी धीमान ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे दोनों ही क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग लेने की संभावनाएं तलाशें। इस संबंध में कृषि, बागवानी और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है। एग्रो प्रोसेसिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के संबंध में इन्वेस्टर्स मीट की कड़ी के तहत समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन
ग्रीन हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सोलर पावर का इस्तेमाल कर पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटने से पैदा होती है। बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। यह हाइड्रोजन कई चीजों के लिए ऊर्जा का काम कर सकती है। इसमें ब्रिटेन अच्छा काम कर रहा है।