कसुम्पटी निर्वाचन क्षेत्र का एकमात्र सिविल अस्पताल जुन्गा स्टाफ व मूलभूत सुविधाओं के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अस्तपताल में विभिन्न श्रेणियों के दस से अधिक पद रिक्त पड़े हैं, जिसमें एक पद डाॅक्टर, दो स्टाफ नर्स, सेवादार, कुक, चौकीदार इत्यादि शामिल हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में मरीजों को शिमला का रुख करना पड़ता है।
बता दें कि यह अस्पताल जुन्गा तहसील की 12 पंचायतों की करीब 25 हजार आबादी के लिए खोला गया है। आलम यह है कि 25 बिस्तर वाले अस्पताल में केवल दो स्टाफ नर्स कार्यरत हैं जोकि दिन-रात ड्यूटी देने को मजबूर हैं। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 80 से 100 मरीज इलाज करवाने आते हैं। कुक का पद रिक्त होने से इनडोर रोगियों के लिए अस्पताल में भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि बीते कुछ महीनों पहले अस्पताल में लैब तकनीशियन का पद भरा गया था, जिससे अस्पताल में आने वाले रोगियों को राहत मिली है।
अस्पताल में बीते करीब एक वर्ष से पानी की सुविधा न होने से अस्पताल में आने वाले रोगियों व कर्मचारियों को जल समस्या से जूझना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल भवन में पानी के रिसाव के चलते गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। अस्पताल प्रशासन द्वारा इस बारे में अनेकों बार उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है, परंतु आज तक इसका समाधान नहीं हो पाया है।
अहम बात यह है कि कसुम्पटी विस के एक मात्र सिविल अस्पताल में 108 एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं है। यही नहीं, सीएचसी मशोबरा को छोड़कर कसुम्पटी विस के किसी भी स्वास्थ्य संस्थान में 108 नेशनल एंबुलेंस सेवा उपलब्ध नहीं है। जबकि मशोबरा सीएचसी जुन्गा क्षेत्र से दूसरे छोर पर है। अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ न होने से समूचे जुन्गा क्षेत्र से लोगों को शिमला अथवा सोलन जाना पड़ता है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी शिमला डाॅ. सुरेखा चोपड़ा ने बताया कि रिक्त पदों को भरने के बारे में मामला उच्चाधिकारियों के साथ उठाया गया है।