#Shimla : आजादी के 75 वर्ष बाद भी नलटड़ी खडड पर नहीं बना फुटब्रिज

शिमला 09 अक्तूबर : जुन्गा और ठियोग तहसील की सीमा पर बहने वाली नलटड़ी खडड हर वर्ष बरसात के दिनों में बटोला, नालटा, बागड़िया के बाशिंदों के लिए मुसीबत बनकर आती है। इन गांव के लोग बरसात में जान जोखिम में डालकर खडड को लांघते हैं। बीते 5 अगस्त को बटोला के निवासी किरपा राम ने इस खडड की वीडियो बनाकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भेजी गई थी, जिसमें एक स्कूल का बच्चा पेड़ का सहारा लेकर खडड लांघ रहा था।

मुख्य सचिव द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए नलटड़ी खडड का वीडियो उपायुक्त शिमला को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा गया था। दो माह बीत जाने पर भी प्रशासन की ओर से कोई भी वरिष्ठ अधिकारी बटोला व नालटा गांव के लोगों का दुख दर्द सुनने नहीं आया। जिससे प्रतीत होता है कि सरकार के आदेश जिला प्रशासन के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं।

बता दें कि इन गांव में सौ फीसदी परिवार अनुसूचित जाति से संबध रखते हैं, जिनका पशुओं का चरांद, घराट इत्यादि है। कुछ परिवार सिरमौर में मेहनत मजदूरी करने को जाते हैं। बरसात के दिनों में इन गांव के लोग उफनती नलटड़ी खडड को जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। अनेकों बार पशु इन खडड में बहकर काल का ग्रास बन चुके हैं।

बीते पांच दशक से इस क्षेत्र  के लोग पैदल चलने योग्य पुल निर्मित करने की लगातार मांग कर रहे हैं, परंतु किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे इन गांव के लोगों ने आगामी चुनाव में इसका जवाब देने का मन बना लिया है।

      इस वर्ष की बरसात में खडड में बाढ़ आने पर बटोला गांव का एक बच्चा छः दिनों तक स्कूल नहीं जा सका। सातवें दिन उसे रस्सी बांध पर खडड को पार करवाया गया। इसी प्रकार इस गांव का रामसा नामक व्यक्ति  को 15 दिन तक सिरमौर में रुकने को मजबूर होना पड़ा।

जानकारी के मुताबिक वर्ष 2006 में नलटड़ी खडड पर पैदल चलने योग्य पुल का निर्माण किया गया था, जोकि भारी बरसात से खडड में बाढ़ आने पर क्षतिग्रस्त हो गया था।

      दरअसल यह पुल मशोबरा ब्लाॅक की दूरदराज पीरन व सतलाई पंचायत को ठियोग की सतोग पंचायत को जोड़ता है। इस क्षेत्र के लोगों की आपस में काफी रिश्तेदारियां हैं। इसके अतिरिक्त नालटा बटोला गांव के लोगों का चारागाह व घराट इत्यादि खडड पार कांवती में हैं। जिस कारण  क्षेत्र के लोगों का आना-जाना लगा रहता है।

फुटब्रिज न होने के कारण लोगों को कई बार मजबूरी में वाया जघेड होते हुए करीब 15 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। सीमा पर लगते सिरमौर के जघेड़ तक जाने के लिए कोई भी सरकारी परिवहन व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
खंड विकास अधिकारी मशोबरा मोहित कुमार ने बताया कि उन्होने कुछ महीनों पहले ही बतौर बीडीओ ज्वाइन किया है। पैदल चलने योग्य पुल निर्माण करने बारे आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।