Shimla: मनाली-रोहतांग को प्रदूषण मुक्त करने का मामला, एनजीटी के आदेशों के तहत सरकार ने दायर नहीं की रिपोर्ट

सरकार ने मनाली-रोहतांग को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस उपचारात्मक कदम उठाने के मामले में सरकार ने आवधिक रिपोर्ट दायर नहीं की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत प्रदेश के मुख्य सचिव ने अभी आवधिक रिपोर्ट दायर नहीं की है।

एनजीटी

हिमाचल सरकार ने मनाली-रोहतांग को प्रदूषण मुक्त करने के लिए ठोस उपचारात्मक कदम उठाने के मामले में सरकार ने आवधिक रिपोर्ट दायर नहीं की है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों के तहत प्रदेश के मुख्य सचिव ने अभी आवधिक रिपोर्ट दायर नहीं की है। दिसंबर 2021 को ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मुख्य सचिव को तिमाही रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे। ट्रिब्यूनल की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार सरकार ने इस मामले में कोई आवधिक रिपोर्ट दायर नहीं की है। मनाली-रोहतांग को प्रदूषण मुक्त करने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने संज्ञान लिया था। ट्रिब्यूनल के समक्ष मामले के विचाराधीन रहते राज्य सरकार ने रिपोर्ट के माध्यम से अदालत को बताया था कि पर्यावरण स्वीकृति के अभाव में पल्चान से रोहतांग रोपवे का निर्माण कार्य रुका हुआ है। ट्रिब्यूनल ने मढ़ी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, मनाली के एसटीपी के उन्नयन, पार्किंग सुविधा, नेचर पार्क, इलेक्ट्रिक बनों का संचालन आदि कार्यों को पूरा करने में तेजी लाए जाने के आदेश दिए थे।

सरकार ने ट्रिब्यूनल को बताया था कि मढ़ी में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र का निर्माण पूरा कर लिया गया है और यह संयंत्र पूरी तरह से चालू अवस्था में है। गुलाबा में दो पार्किंग का निर्माण कर दिया गया है। इसी तरह मढ़ी में प्रदूषण रहित मार्केट बनाई गई है। ट्रिब्यूनल को बताया गया था कि यह मार्केट एक सप्ताह के भीतर शुरू कर दी जाएगी। गुलाबा में 80 लाख रुपये की लागत से नेचर पार्क बनाया गया है। इसके बचे हुए कार्यों को पूरा करने के लिए और अधिक फंड की जरूरत है। इसके अतिरिक्त मनाली से रोहतांग तक 25 इलेक्ट्रिक बसों को चलाया जा रहा है। सरकार की रिपोर्ट के आधार पर ट्रिब्यूनल ने मामले का निपटारा कर दिया था और मुख्य सचिव को आदेश दिए थे कि रोहतांग को प्रदूषण मुक्त करने के लिए उपचारात्मक कदमों की निगरानी जारी रखी जाए और इसकी आवधिक रिपोर्ट दायर की जाए।

विदेशी नशा तस्कर की जमानत हाईकोर्ट से खारिज

 हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एलएसडी नामक विदेशी नशा तस्कर की जमानत खारिज कर दी है। न्यायाधीश सुशील कुकरेजा ने अपने निर्णय में कहा कि मादक पदार्थ की वाणिज्यिक मात्रा में धारा 37 का पालन किया जाना जरूरी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक आरोपी की ओर से मादक पदार्थ निरोधक अधिनियम की धारा 37 का पालन नहीं किया जाता जब तक उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता।

कुल्लू पुलिस ने आरोपी कशिश गुलयानी से 6.43 ग्राम एमडीएमए और 0.18 ग्राम एलएसडी बरामद की थी। पुलिस को सूचना थी कि एपल गार्डन वैली कैफे में अवैध शराब की बिक्री की जाती है। पुलिस ने कैफे की तलाशी ली। कैफे में बैठा आरोपी पुलिस को देखकर घबरा गया। संदिग्ध पाए जाने पर पुलिस ने उससे विदेशी नशा पकड़ा था इसके अतिरिक्त उससे दो लाख रुपये की नकदी भी बरामद की गई थी। आरोपी की ओर से दलील दी गई कि उसे इस मामले मेें झूठा फंसाया गया है। उसने कोई अपराध नहीं किया है। आरोपी ने अदालत से उसे जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई थी।

क्या है एलएसडी नामक विदेशी नशा
एलएसडी को अमीरों का नशा भी कहा जाता है। इसके एक डाक टिकट जितने साइज की कीमत 4-5 हजार रुपये तक होती है। एलएसडी ड्रग्स का नशा करने वाले लोग इसे स्वर्ग का टिकट भी कहते हैं। पार्टी के शौकिनों का यह सबसे पसंदीदा नशा बनता जा रहा है। भारत में एलएसडी लिक्विड और पेपर दोनों फॉर्म में मिलती है। अमेरिका, ग्रीस, नीदरलैंड, जर्मनी जैसे देशों से तस्करी के जरिये इस नशे को इंडिया में लाया जाता है।