एक अप्रैल से सात अप्रैल तक देवी चंडिका मंदिर कोठी में चली शिव-शक्ति महायज्ञ व शिव महापुराण कथा महायज्ञ का समापन हो गया है। सात दिनों तक कोठी देवी चंडिका मंदिर में 100 पाठ चण्डी के, 11 अभिषेक शिवजी व शिव महापुराण की कथा हुई। अंतिम दिन मंदिर प्रांगण में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में श्रदालुओं ने मां का प्रसाद ग्रहण किया।
सात दिन तक चली शिव महायज्ञ व महापुराण के अंतिम दिन ग्रामीणों ने कलश यात्रा निकाल कर कलश को सतलुज नदी में विसर्जन किया। इस अंतिम कलश यात्रा में पंडितों सहित सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह कलश यात्रा देवी चंडिका मंदिर कोठी से सतलुज नदी के तट पावरी तक निकाली गई। जिसमें किन्नौरी वाद्य यंत्रों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में स्थानीय ग्रामीणों ने किन्नौरी लोक गीतों के साथ भव्य कलश यात्रा में भाग लिया।
पंडित आचार्य जय चंद शर्मा ने कहा कि माता चंडिका, भगवान शंकर, काली मां का बहुत धन्यवाद करते है। इनकी अपार कृपा से शिव शक्ति महायज्ञ का जो लोक कल्याण के लिए आदेश हुआ वह शांति से पूर्ण हुआ। अंतिम दिन सतलुज नदी में कलश विसर्जन व पूर्ण आहुति दी गई। स्थानीय निवासी जय कृष्ण नेगी ने कहा कि सात दिन तक चली चंडी पाठ के बाद कलश विसर्जन किया गया है। यह पाठ सभी की खुशहाली के लिए किया जाता है।