शिवसेना के 18 में से 16 सांसदों ने उद्धव ठाकरे से कहा था कि पार्टी को राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए. साथ ही बीजेपी और एकनाथ शिंदे से पैचअप के लिए दरवाजे खुले रखने चाहिए. अब संजय राउत ने कहा है कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है.
मुंबईः महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे के बीजेपी से रिश्ते भले ही और तल्ख हो गए हों, लेकिन आगामी राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन को लेकर पार्टी राजी होती दिख रही है. न्यूज18 को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना की कोर कमिटी ने द्रौपदी मुर्मू के समर्थन का फैसला कर लिया है. वहीं, शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने ANI से कहा है कि द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है.
संजय राउत ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि हमने कल बैठक में द्रौपदी मुर्मू के मसले पर विचार विमर्श किया.. शिवसेना का रुख एक-दो दिन में स्पष्ट हो जाएगा. मुर्मू के मसले पर पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे फैसला लेंगे. द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है. राउत ने कहा कि विपक्ष जिंदा रहना चाहिए. विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के प्रति भी हमारी सद्भावना है… पहले हमने प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था… एनडीए उम्मीदवार का नहीं. हमने प्रणब मुखर्जी का भी समर्थन किया. शिवसेना कोई भी फैसला दबाव में नहीं लेती.
पार्टी के 18 में से 16 सांसद कह चुके हैं कि शिवसेना को एनडीए प्रत्याशी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए. शिवसेना के सांसदों ने उद्धव ठाकरे के घर पर हुई बैठक में ‘अनुरोध’ किया था कि वह राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें. उन्होंने बागी नेता एकनाथ शिंदे और बीजेपी के साथ संभावित पैचअप के लिए अपने दरवाजे खुले रखने का भी आग्रह किया था.बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होना है. इसके लिए पार्टी की तरफ से कोई व्हिप जारी नहीं की जाती. सांसद जिसे चाहें, उसे वोट दे सकते हैं. शिवसेना के सांसद गजानन कीर्तिकर ने मीडिया से कहा था कि पार्टी के 16 सांसदों के बीच सहमति बनी है
कि द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना चाहिए क्योंकि वह जनजातीय समुदाय से संबध रखने वाली महिला हैं. हमने उद्धव ठाकरे जी के सामने अपनी बात रखी है. उन्होंने एक-दो दिन में अपना फैसला बताने के लिए कहा है.कीर्तिकर ने कहा था कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई बैठक में 18 में से 16 सांसद मौजूद थे और सभी ने मुर्मू के समर्थन पर सहमति जताई थी. इस बैठक में (एकनाथ शिंदे गुट के) भावना गवली और श्रीकांत शिंदे नहीं थे.