हिमाचल का एक गांव “कैहडरू” में मौसमी व अनार की बहार के रंग में डूबा है। बंजर जमीन पर किसानों के लिए फलदार पौधे सपने के समान थे। लेकिन मौजूदा में इलाका फलदार पौधों की हरियाली से पटा हुआ है।
मौसमी का रस साबुन, शराब तथा अन्य पेय पदार्थों में इस्तेमाल होता है। इसके छिलके से निकाला हुआ तेल जल्दी उड़ जाता है। इसलिए इसके तेल को जैतून के तेल के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह “सुक्खू” के गृह जिला में परियोजना की एक खास उपलब्धि है। कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बागवानी एवं फल उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों-बागवानों की आय बढ़ाने के लिए आरंभ की गई एचपी शिवा परियोजना (HP Shiva Project) से हमीरपुर में भी एक नई क्रांति का सूत्रपात हुआ है। इसकी शानदार झलक गांव कैहडरू में देखी जा सकती है।
मुख्यालय के निकटवर्ती गांव “कैहडरू” में मौसंबी के लहलहाते पौधे साफ बयां कर रहे है कि कम ऊंचाई वाले क्षेत्र में भी फल उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। एचपी शिवा परियोजना संभावनाओं को हकीकत में बदलने में बड़ी भूमिका अदा कर रही है। परियोजना के तहत गांव के क्लस्टर में लगभग 25 कनाल भूमि पर लगाए गए मौसमी और अनार के बगीचों में फल लगने शुरू हो गए है।
दरअसल, हाल ही के वर्षों के दौरान मौसम की बेरुखी, कम उत्पादन एवं नाममात्र आय तथा अन्य कारणों से गेहूं, मक्की और धान की पारंपरिक खेती से तौबा कर चुके किसानों के खेत बंजर हो चुके थे। पुश्तैनी जमीन ने कई पीढ़ियों का पालन-पोषण किया, उसी जमीन को अपनी आंखों के सामने बंजर होता देख गांव के बुजुर्गों को रह-रहकर ग्लानि महसूस हो रही थी। इसका कोई समाधान भी नजर नहीं आ रहा था।
इसी बीच, उद्यान विभाग के अधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश सरकार की एचपी शिवा परियोजना के तहत गांव कैहडरू में मौसमी और अनार का क्लस्टर विकसित करने का निर्णय लिया। गांव के मेहनतकश एवं प्रगतिशील किसानों विशेषकर, बुजुर्ग किसानों को उम्मीद की एक नई किरण नजर आई।
परियोजना में बागवानों के लिए भूमि विकास, बीज, पौधारोपण, सिंचाई, बाड़बंदी, सामूहिक उत्पादन, विपणन, प्रसंस्करण और अन्य सभी सुविधाओं का प्रावधान किया गया है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक राजेश्वर परमार ने बताया कि विभाग ने जिला में एचपी शिवा परियोजना के तहत ‘एक क्लस्टर, एक फल’ की रणनीति अपनाई है। इसी रणनीति के तहत गांव कैहडरू के क्लस्टर में बड़े पैमाने पर
मौसमी के पौधे रोपे गए। इसके साथ ही अनार का बगीचा भी तैयार किया गया है। लगभग 25 कनाल भूमि पर मौसमी और अनार के पौधों को लहलहाते देख गांव कैहडरू के प्रगतिशील बागवान कैप्टन प्रकाश चंद, रमेश चंद और अन्य बागवान सुकून महसूस कर रहे हैं। उन्हें बगीचे से अच्छी आय हो रही है। पिछले सीजन में छोटे पौधों से ही प्रति बीघा एक से डेढ़ लाख रुपए तक आय हुई।