स्वास्थ्य केंद्र ट्रहाई में सुविधाओं का अभाव होने से लोगों को सही परिप्रेक्ष्य में चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि इस स्वास्थ्य संस्थान में जीवन रक्षक इंजेक्शन व अतिसंवेदनशील दवाओं को सुरक्षित रखने के लिए रेफ्रिजरेटर तक की व्यवस्था नहीं है।
बता दें कि इन दिनों क्षेत्र में कुत्ते द्वारा काटे जाने के काफी मामले सामने आए हैं। पीएचसी में एंटी रेबीज इंजेक्शन न होने के कारण लोगों को निजी गाड़ी करके जुन्गा, चायल अथवा सोलन अस्पताल में जाना पड़ रहा है। पीएचसी में एंटी रेबीज अथवा अतिसंवेदनशील इंजेक्शन रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। बीते 8 वर्षों से इस संस्थान में विभिन्न बीमारियों के टैस्ट करने का कोई प्रावधान नहीं हो पाया है।
बता दें कि स्वास्थ्य संस्थान में बीते डेढ वर्ष से कोई भी चिकित्सक उपलब्ध नहीं है, केवल एक फार्मासिस्ट के सहारे पीएचसी चल रही है। संस्थान में चिकित्सक, स्टाफ नर्स, लैब सहायक, पुरूष अथवा महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता सहित सभी आवश्यक पद रिक्त पड़े हैं। लैब न होने के कारण लोगों को बीमारी के टेस्ट करवाने के लिए भी सोलन और शिमला जाना पड़ता है।
समाजसेवी प्रीतम ठाकुर ने बताया कि 16 अप्रैल, 2016 को इस अस्पताल का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर द्वारा किया गया था। अस्पताल के भवन निर्माण के लिए 15 लाख की राशि भी जारी की गई थी। उन्होंने बताया कि बीते आठ वर्षों में अस्पताल के लिए चयनित भूमि के लिए एफसीए की स्वीकृति नहीं मिल पाई है, जिस कारण अस्पताल का अपना भवन आज तक नहीं बन पाया है।
ट्रहाई के लोगों ने क्षेत्र के विधायक एवं ग्रामीण विकास मंत्री से आग्रह किया है कि पीएचसी में सभी आवश्यक पद भरें जाएं, ताकि लोगों को अपना इलाज करवाने के लिए शिमला अथवा सोलन न जाना पड़े।