श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Delhi) में दिल्ली पुलिस ने बुधवार यानी कल भी महरौली के जंगल में खोजबीन की। पुलिस डॉग स्क्वॉड लेकर पहुंची थी। दिल्ली पुलिस को अभी तक कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है। वहीं यह भी बात निकल कर सामने आ रही है कि शायद श्रद्धा हत्या के वक्त प्रेगनेंट थी। हालांकि इसकी जांच होना बाकी है।
महरौली थाना पुलिस शव के टुकड़े खोजने के लिए बुधवार सुबह छतरपुर के जंगलों में डॉग स्क्वॉड लेकर पहुंची। हालांकि, डॉग स्क्वॉड को अभी तक शव के टुकड़ों की कोई गंध नहीं सुंघाई गई। इसलिए डॉग स्क्वॉड ने जंगलों में पड़ी इंसान और जानवरों की कुछ हड्डियों को खोजने में मदद की। मंगलवार को पुलिस को जंगलों से पेल्विक बोन मिली थी, जिसे श्रद्धा के कमर के निचले हिस्से का माना जा रहा है। पुलिस को उम्मीद है कि यह पेल्विक बोन श्रद्धा के शव की पहचान साबित करने में अहम साबित होगी।
श्रद्धा के प्रेगनेंट होने पर उठ रहे सवाल
दिल्ली पुलिस ने अपनी जांच में पाया है कि श्रद्धा शायद हत्या के वक्त गर्भवती थी। हालांकि इसकी आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो पाई है। एक्सपर्ट का कहना है कि इतने समय बाद हड्डियां मिलने से इस बात का पता लगने की संभावना बेहद कम है कि वह गर्भवती थीं या नहीं। घर या उनके मोबाइल फोन पर मिले डॉक्टर के किसी पर्चे या चैटिंग से शायद यह पता लग सके कि वह गर्भवती थीं। श्रद्धा की हत्या करने के बाद भी आफताब उनका इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया अकाउंट चलाता रहा था। उसने जून महीने तक श्रद्धा का मोबाइल फोन भी ऑन रखा था, लेकिन वह किसी से बात नहीं करता था और मेसेज के जरिए ही जवाब देता था। उसने श्रद्धा के अकाउंट से 26 मई को 54 हजार रुपये भी निकाले थे।
वसई के घर से शिफ्ट हुआ आफताब का परिवार
आफताब के परिवार में इसके माता-पिता और एक छोटा भाई हैं। यह महराष्ट्र के वसई इलाके में रहते हैं। बताया जाता है कि हत्याकांड का खुलासा होने से कुछ दिन पहले ही पूरा परिवार यहां घर से कहीं और शिफ्ट हो गया है। यहां रहने वाले अंकुश जायसवाल नाम के पड़ोसी ने मीडिया को बताया कि जब तक आफताब यहां रहता था, वह बड़े ही शांत स्वभाव का था। किसी से लड़ता-झगड़ता नहीं था। हम हैरान हैं कि उसने इतना बड़ा कांड कर दिया।
मोबाइल लोकेशन से भी मिल सकती है अहम जानकारी
सूत्रों का कहना है कि पुलिस केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाने की भी अर्जी दे सकती है। लेकिन बड़ी समस्या यह सामने आ रही है कि पुलिस को सबूत जुटाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम सबूत मिलने पर पुलिस जल्द से जल्द चार्जशीट दायर करने की कोशिश करेगी। इसके लिए पुलिस आफताब के मोबाइल फोन की पिछले एक साल की डिटेल भी निकलवा रही है, जिसमें कत्ल से कुछ समय पहले और बाद में इसकी तमाम लोकेशन की जानकारी मिल सके।
फताब के घर से मिला श्रद्धा का बैग
पुलिस ने बुधवार को छतरपुर पहाड़ी इलाके में किराए पर लिए गए आफताब के घर की भी जांच की। बताया जाता है कि इस दौरान पुलिस को लेडीज बैग समेत कुछ अन्य चीजें मिली हैं। आफताब से पूछकर इनकी तफ्तीश की जाएगी कि क्या यह श्रद्धा का ही बैग है या किसी और महिला का। क्योंकि, यह बात भी सामने आ रही है कि आफताब किसी और लड़की के संपर्क में भी था, जो इसके घर भी आती थी। पुलिस आफताब के सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाल रही है कि उसमें इसके कौन-कौन दोस्त हैं। कौन ऐसी दोस्त है, जो लगातार इसके संपर्क में रही। यह भी तफ्तीश की जा रही है कि आफताब श्रद्धा के अलावा और कितनी लड़कियों के संपर्क में था। क्या वह श्रद्धा को धोखा दे रहा था, जिसकी भनक उसे लग गई और दोनों के बीच झगड़े होने लगे। श्रद्धा के दोस्तों की मानें तो श्रद्धा आफताब से छुटकारा चाहती थी। लेकिन पता नहीं क्यों, वह चाहकर भी इससे अलग नहीं हो पा रही थी।
क्या आफताब ने अकेले किया यह जुर्म?
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हम किसी भी बात से इनकार नहीं कर रहे हैं। आफताब के मोबाइल फोन, लैपटॉप और सोशल मीडिया अकाउंट की जांच के बाद ही साफ हो सकेगा कि क्या इसने श्रद्धा हत्याकांड को अकेले ही अंजाम दिया या फिर इसके साथ कोई और लड़की या फिर दोस्त था। यह भी जांच की जा रही है कि श्रद्धा के शव के टुकड़े करने और फिर इन्हें ठिकाने लगाने में भी तो क्या आफताब के किसी और दोस्त का हाथ तो नहीं था। पुलिस ने मोबाइल फोन पर सर्विस देने वाली एजेंसियों से भी संपर्क किया है। यह बात भी सामने आ रही है कि आरोपी ने श्रद्धा के शव के कुछ हिस्से को जलाया भी था।
अभी तक नहीं मिला है श्रद्धा का सिर
महरौली थाना पुलिस को जंगलों से कुछ हड्डियां बरामद हुई हैं जिनमें पेल्विक बोन भी है। लेकिन पुलिस को तलाश है श्रद्धा के सिर की, जो अभी तक नहीं मिला है। हो सकता है कि आफताब ने श्रद्धा के सिर के भी टुकड़े-टुकड़े कर दिए हों। मुमकिन है कि उसने श्रद्धा के सिर को दिल्ली से कहीं बाहर या यमुना में फेंक दिया हो। पुलिस को जंगलों से बुधवार को भी आठ-दस हड्डियां मिली हैं। लेकिन यह इन सभी की डीएनए जांच के बाद ही पता लगेगा कि ये हड्डियां श्रद्धा के शव की हैं, किसी जानवर की या फिर किसी और इंसान की। ऐसा भी हो सकता है कि मामले में श्रद्धा के अलावा किसी और की हत्या का राज भी खुल जाए।
फरेंसिक रिपोर्ट में लगता है समय
बुधवार शाम खबर लिखे जाने तक रोहिणी फरेंसिक लैब के पास महरौली थाना पुलिस द्वारा जंगलों से बरामद हड्डियों के नमूने जमा नहीं कराए गए थे। ना ही छतरपुर एन्क्लेव स्थित आफताब के किराए के घर की रसोई से मिला ब्लड सैंपल ही जमा कराया गया है। इसके अलावा लैब के पास अभी तक श्रद्धा के पिता और भाई के सैंपल आए हैं, जिन्हें जंगलों से बरामद हड्डियों के डीएनए से मैच कराया जा सके। एफएसएल का कहना है कि तमाम नमूने जमा होने के बाद भी ऐसे मामलों में डीएनए का मिलान करने में एक से दो सप्ताह का समय लग सकता है। हां, पुलिस ने अगर इस मामले को पहली प्राथमिकता पर रखते हुए जल्द से जल्द डीएनए मैच कराने का प्रयास किया तो भी तीन से चार दिन का वक्त इसकी रिपोर्ट आने में लग जाएगा।
नार्को टेस्ट में एक घंटे में तमाम राज उगल देगा आरोपी!
महरौली थाना पुलिस ने आरोपी आफताब अमीन पूनावाला का नार्को टेस्ट कराने के लिए कोर्ट में अर्जी दे रखी है। अगर मामले में तमाम कानूनी प्रक्रिया पूरी करते हुए आरोपी नार्को टेस्ट कराने को तैयार हो जाता है, तो एक घंटे में श्रद्धा हत्याकांड के राज का पर्दाफाश हो जाएगा। इसके लिए एफएसएल टीम आरोपी को आंबेडकर हॉस्पिटल लेकर जाएगी। जहां अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम, मनोवैज्ञानिक और विडियोग्राफी करने वाली टीम समेत अन्य एक्सपर्ट मौजूद होगी जो आफताब को एनेस्थीसिया की इतनी डोज देगी जिससे वह पूरी तरह से बेहोश ना हो और टीम द्वारा किए जाने वाले सवालों के जवाब दे। एक्सपर्ट का कहना है कि असल में नार्को टेस्ट का रिजल्ट लाई डिटेक्टर टेस्ट से बेहतर रहता है।