कलयुग के श्रवण कुमार: 87 वर्षीय मां का नीलकुरिंजी फूल देखने का था सपना, बेटों ने कंधे पर बैठाकर फूलों की पहाड़ी तक पहुंचाया

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श्रवण कुमार की कहानी याद है? श्रवण कुमार अपने दृष्टिहीन माता-पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थ यात्रा पर ले जाता है. आदर्श बेटे का उदाहरण देना हो तो सभी श्रवण कुमार का उदाहरण देते हैं जिसने अंतिम सांस तक माता-पिता की सेवा की. कलयुग में  श्रवण कुमार के उदाहरण कम देखने को मिलते हैं. आज के दौर में कई लोगों के लिए अपने ही माता-पिता बोझ बन जाते हैं. श्रवण कुमार जैसा ही उदाहरण केरल में देखने को मिला.

पूरा किया वृद्ध मां का सपना

two sons carry mother on shoulder to fulfill her dream of watching neelkurinji

पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर 12 साल में एक बार खिलते हैं बैंगनी रंग के दुर्लभ नीलकुरिंजी फूल. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केरल के कोट्टयम (Kottayam) ज़िले के मुत्तूचिरा की एलिकुट्टी पॉल ये दुर्लभ फूल देखना चाहती थी. 87 वर्षीय एलकुट्टी को वृद्धावस्था की बीमारियां हैं लेकिन पड़ोस के इडुक्की ज़िले में खिले ये ये दुर्लभ फूल वो देखना चाहती थी. एलकुट्टी के बेटों ने उनका सपना पूरा किया.

कंधे पर बैठाकर फूलों वाली पहाड़ी तक ले गए

two sons carry mother on shoulder to fulfill her dream of watching neelkurinji Facebook

एलकुट्टी के बेटे- रोजन और सत्यन ने मां के सपने को पूरा करने का सोचा. वे 100 Km जीप से सफ़र करके मुन्नार के पास स्थित कल्लीपारा हिल्स तक पहुंचे. गंतव्य तक पहुंचकर उन्हें पता चला कि ऊपर तक जाने की कोई सड़क नहीं है.

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बेटे अपनी मां का सपना तोड़ना नहीं चाहते थे. उन्होंने अपनी मां को उठाकर लगभग 1.5 Km की चढ़ाई की. इस तरह बेटों ने मां को दुर्लभ फूल दिखाए.

नीलकुरिंजी के बारे में जानिए

Neelakurinji Facebook

पश्चिमी घाट या वेस्टर्न घाट्स में 12 साल में एक बार खिलते हैं नीलकुरिंजी के फूल. ये फूल वेस्टर्न घाट्स के कुछ चुनींदा क्षेत्रों में ही खिलते हैं. सबसे मशहूर स्पॉट है इदुक्की ज़िले का मुन्नार हिल स्टेशन. 2018 में इस स्थान पर ये दुर्लभ फूल खिले थे. 2030 में अब मुन्नार में नीलकुरिंजी खिलेंगे.

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मुन्नार के अलावा भी कुछ क्षेत्रों में ये फूल खिलते हैं. इस साल कर्नाटक के चिकमगलूर और केरल के कल्लीपारा में ये फूल खिले हैं.