Shyam Rajak News: एक स्टिंग ऑपरेशन ने तबाह कर दिया था श्याम रजक का पॉलिटिकल करियर, क्या था वो पूरा मामला जानिए

Shyam Rajak Latest News: श्याम रजक 1995 में पहली बार आरजेडी के टिकट पर विधायक चुने गए थे, उसके बाद से ही उन्होंने हार का चेहरा कभी नहीं देखा। बिहार में 1995 से 2005 यानी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल के अलावा एनडीए की सरकार आने के बाद भी श्याम रजक चुनाव लड़ते रहे और जीत हासिल करते गए। बीच में वो जेडीयू में भी गए थे। हालांकि, एक स्टिंग के चलते वो हाशिये पर चले गए और फिर आरजेडी में उनकी वापसी हुई।

श्याम रजक का 2017 का वो स्टिंग
ये स्टिंग हमारे सहयोगी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ के पत्रकार ने जुलाई 2017 में किया था। उस समय बिहार में जेडीयू-महागठबंधन की सरकार थी। श्याम रजक जेडीयू में थे और सरकार में मंत्री रहते अनजाने में वो अपनी ही सरकार के खिलाफ बोल गए थे। उस स्टिंग में श्याम रजक ने सीएम नीतीश कुमार को सिद्धांतविहीन करार दे दिया था। इसके बाद जनता दल यूनाइटेड ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया था। जैसे ही ये स्टिंग निजी न्यूज चैनल पर आया बिहार के सियासी गलियारे में हड़कंप मच गया था।
नीतीश-लालू को लेकर किया था कमेंट
उस स्टिंग में श्याम रजक ने तत्कालीन डिप्‍टी सीएम तेजस्वी यादव पर टिप्पणी की थी। दरअसल, तेजस्वी के डिप्टी सीएम पद से इस्तीफे की मांग विपक्ष की ओर से की जा रही थी। जुलाई 2017 में सामने स्टिंग में श्याम रजक ने तेजस्वी के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में कहा था कि कुछ नहीं होने वाला, राजनीति में कोई आइडियोलॉजी नहीं होती। सब अपनी-अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं। यही नहीं श्याम रजक ने आगे कहा कि एक को अपने लिए कुर्सी चाहिए तो दूसरे को अपने परिवार के लिए सत्ता। इसमें उनका इशारा नीतीश कुमार और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की ओर था।

स्टिंग के बाद राजनीति के हाशिये पर चले गए थे श्याम रजक
ये पूरा घटनाक्रम तब का है जब जेडीयू और आरजेडी गठबंधन में आपसी तनाव चल रहा था। 2015 के विधानसभा चुनाव में लालू-नीतीश साथ आए थे, महागठबंधन में चुनाव लड़ा गया। जिसमें जेडीयू-महागठबंधन की सरकार बनी। हालांकि, ये सरकार 2017 के आखिर में गिर गई थी और नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बनाई थी। उसी दौरान जुलाई में श्याम रजक का स्टिंग सामने आया। जब वो नीतीश पर कमेंट करते सामने आए। जिसका खामियाजा उन्हें उठाना पड़ा। श्याम रजक राजनीति के हाशिये में पर चले गए थे। फिर 2020 विधानसभा चुनाव से पहले श्याम रजक जेडीयू का दामन छोड़कर आरजेडी में शामिल हो गए।

श्याम रजक के पॉलिटिकल करियर पर एक नजर
जेपी आंदोलन के समय से राजनीति का सफर शुरू करने वाले राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक को दलित नेता के तौर पर भी देखा जाता है। श्याम रजक 1995 में पहली बार आरजेडी के टिकट पर विधायक चुने गए थे, उसके बाद से ही उन्होंने हार का चेहरा कभी नहीं देखा। बिहार में 1995 से 2005 यानी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल के अलावा एनडीए की सरकार आने के बाद भी श्याम रजक चुनाव लड़ते रहे और जीत हासिल करते गए।

एक समय आरजेडी छोड़ जेडीयू में गए, फिर 2020 में की ‘घर वापसी’
2005 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर विधायक बने श्याम रजक ने 2010 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल से इस्तीफा देकर नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। इसके बाद 2015 में भी जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर ही वह विधानसभा पहुंचे थे। फिर 2020 विधानसभा चुनाव के ठीक पहले नीतीश कुमार ने श्याम रजक को मंत्री पद से हटा दिया था। इसके बाद श्याम रजक ने पाला बदला और 11 साल बाद ‘घर वापसी’ करते हुए राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गए। हालांकि, अब आरजेडी नेता और तेज प्रताप यादव ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।