शिमला, 07 नवम्बर : शिमला जिला की आठ विधानसभा सीटों में यूं तो आम आदमी पार्टी समेत निर्दलीय भी किस्मत आजमा रहे हैं। लेकिन ज्यादातर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुकाबला माना जा रहा है। कुछ सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव को त्रिकोणीय व बहुकोणीय बना रहे हैं। जिले की पांच सीटों पर भाजपा व कांग्रेस की सीधी टक्कर है। दो सीटों पर त्रिकोणीय और एक सीट पर बहुकोणीय मुकाबला दिख रहा है।
भाजपा और कांग्रेस के सभी मौजूदा विधायक चुनाव मैदान में हैं। भाजपा ने एंटी इनकंबेंसी कम करने के लिए आठ में से पांच सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। जबकि शिमला शहर के मौजूदा भाजपा विधायक व कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज का चुनावी हल्का बदला गया है। भारद्वाज अब कसुम्पटी से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह से है।
भाजपा के नए चेहरों में शिमला शहरी से संजय सूद, शिमला ग्रामीण से रवि मेहता, ठियोग से अजय श्याम, रामपुर से कौल नेगी और जुब्बल कोटखाई से चेतन बरागटा हैं। कांग्रेस ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों को बदला है। शिमला शहर से हरीश जनारथा, ठियोग से कुलदीप राठौर और चौपाल से रजनीश खिमटा को मौका दिया गया है। माकपा के एकमात्र विधायक राकेश सिंघा ठियोग से दोबारा चुनाव मैदान में हैं।
वहीं, जिन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है,उनमें कसुम्पटी, शिमला ग्रामीण, रामपुर, रोहड़ू और जुब्बल सीटें हैं। कुसुम्पटी में भाजपा के कदावर नेता सुरेश भारद्वाज और दो बार के कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है। शिमला ग्रामीण में पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के सुपुत्र विधायक विक्रमादित्य सिंह और भाजपा के रवि मेहता आमने-सामने हैं। रामपुर में कांग्रेस विधायक नन्द लाल के सामने भाजपा के युवा उम्मीदवार कौल नेगी हैं। रोहड़ू सीट पर पिछली बार के दोनों निकट प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के मौजूदा विधायक मोहन लाल और भाजपा की शशि बाला के बीच टक्कर है।
इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला
शिमला शहरी और चौपाल विस सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को तीसरा उम्मीदवार कड़ी टक्कर दे रहा है। ऐसे में इन सीटों पर बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। शिमला शहर में माकपा के टिकेंद्र पंवर ने चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। टिकेंद्र पंवर शिमला नगर निगम के डिप्टी मेयर रह चुके हैं।
वर्ष 2012 में नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर के लिए हुए सीधे मुकाबलों में ये दोनों पद माकपा की झोली में गए थे। शिमला शहरी सीट पर माकपा वर्ष 1993 में परचम लहरा चुकी है। यहां भाजपा ने चाय बेचने वाले अपने पुराने कार्यकर्ता संजय सूद पर भरोसा जताते हुए उम्मीदवार बनाया है। वहीं कांग्रेस ने पूर्व डिप्टी मेयर हरीश जनारथा को मौका दिया है। हरीश जनारथा पिछले दो विधानसभा चुनाव करीबी मतों से हार गए थे।
अप्पर शिमला के चौपाल हल्के की बात करें तो कांग्रेस के बागी सुभाष मंगलेट के निर्दलीय उतरने से यह सीट त्रिकोणीय मुकाबले में फंस गई है। सुभाष मंगलेट कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। यहां भाजपा के मौजूदा विधायक बलबीर वर्मा और कांग्रेस के रजनीश किमटा आमने-सामने हैं। हालांकि सुभाष मंगलेट के कूदने से भाजपा बेहतर स्थिति में आ गई है।
ठियोग सीट पर बहुकोणीय मुकाबला अप्पर शिमला की एक अन्य सीट ठियोग पर बहुकोणीय मुकाबला है। भाजपा और कांग्रेस के बागियों ने माकपा के कब्जे वाली इस सीट पर चुनावी समीकरण रोचक बना दिए हैं। ठियोग में माकपा के मौजूदा विधायक राकेश सिंघा हैं। भाजपा ने यहां युवा नेता अजय श्याम तो कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर पर दांव खेला है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री दिवंगत जय बिहारी लाल खाची के बेटे विजय पॉल खाची और भाजपा के पूर्व विधायक दिवंगत राकेश वर्मा की पत्नी इंदू वर्मा के ताल ठोकने से यह सीट बहुकोणीय मुकाबले में फंस गई है। ऐसे में यहां से चौंकाने वाला परिणाम आ सकता है।