#Sirmaur : मिस्ट्री बना हुआ है सहायक आयुक्त कार्यालय में टैंडर टेंपरिंग का मामला

नाहन, 06 सितंबर: सिरमौर में सहायक आयुक्त के कार्यालय में टैंडर की टेंपरिंग का मामला रहस्य बना हुआ है। चूंकि इस मामले में आपराधिक मामला दर्ज नहीं हुआ है, लिहाजा इस बात की भी उम्मीद कम है कि इस रहस्य से शायद ही पर्दा उठ पाए कि वो कौन लोग थे, जो सहायक आयुक्त के कार्यालय में घुसकर टैक्सी सेवा के ठेके के टैंडर को खोलने में कामयाब हो गए थे।

 इस मामले में टैंडर डालने वाले ठेकेदार भी आमने-सामने नजर आ रहे हैं। टेक्निकल बिड में चार बिडर्स ठेके के पात्र पाए गए थे। ये पूरा मामला कई कारणों से सवालों के घेरे में है। पहले केवल टेक्निकल बिड ही खोली जाती है। इसके बाद फाइनेंशियल बिड को 29 अगस्त तक स्थगित कर दिया जाता है। फिर फाइनेंशियल बिड को खोलने पर पाया जाता है कि निविदाओं से छेड़छाड़ हुई है।

इस मामले में तीन फर्मों से जुड़े विनीत कुमार, मनीष, सतीश कुमार, अरुण कुमार, रोहित, राजीव कुमार व पूरन सामने आए हैं। एक सुर में उन्होंने कहा कि 29 अगस्त को मलिक टूर एंड ट्रेवल्स द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई गई थी। 31 अगस्त को उपायुक्त द्वारा लिए गए फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए इस पक्ष का कहना था कि चारों फर्मों को वाहन उपलब्ध करवाने की मंजूरी दी गई।

उनका कहना है कि उपायुक्त का ये फैसला सही था। वित्तीय निविदाओं में उनकी फर्मों के रेट सार्वजनिक हुए हैं। यदि एक फर्म के पक्ष में टैंडर को विस्तार दिया जाता रहा तो उनके साथ अन्याय होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में टैंडर के लिए कुछ शर्तें लगाई जानी चाहिए। इसमें तीन साल का अनुभव, तीन वाहनों का मालिकाना हक व तीन साल फर्म का पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए।

कुल मिलाकर फर्मों की लड़ाई तो अलग बात है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सहायक आयुक्त कार्यालय आने वाले समय में ये पता लगाने में सफल होगा या नहीं कि निविदाओं से छेड़छाड करने वाला कौन है। क्या इस पूरे मामले को एक साजिश के तहत अंजाम दिया गया है।

बता दें कि उपायुक्त राम कुमार गौतम कह चुके हैं कि मामले में जाँच की जा रही है।