संगड़ाह, 20 सितंबर : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) चुनाव की दहलीज पर है। चंद सप्ताह के भीतर चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी। राजनीतिक दलों ने जातीय समीकरण बिठाने शुरू कर दिए हैं।
इसी बीच राजनीतिक दलों के मंसूबों के विपरीत सिरमौर (Sirmour) के संगड़ाह उपमंडल में ग्रामीणों ने आपसी भाईचारे व मेलजोल की एक शानदार मिसाल कायम की है
रिमोट इलाकों में जहां एक तरफ स्वर्ण समाज पर ये आरोप लगते हैं कि वो दलितों को मंदिर या पानी की बावड़ियों पर नहीं आने देते, वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायत बड़ोल के कुणा गांव में ब्राह्मण व सामान्य जाति के लोगों ने करीब 3 घंटे तक खड़ी चढ़ाई में एक दलित व्यक्ति को उठाकर सड़क तक पहुंचाया, ताकि उनका जीवन बचाया जा सके।
सड़क सुविधा न होने के कारण सामान्य वर्ग के ग्रामीणों को सड़क निर्माण का आश्वासन लंबे अरसे पहले मिला था, लेकिन धरातल पर अमलीजामा नहीं पहनाया गया। गांव के रहने वाले नरेश शर्मा, रतिराम शर्मा, बाबूराम शर्मा, वेद प्रकाश, हीरा सिंह शर्मा, इन्द्र सिंह तोमर व वीरेंद्र इत्यादि का कहना है कि बाहरी तत्व गांव के समाज को बांटने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो इस बात को समझ लें कि इसमें कामयाबी नहीं मिलेगी।
नवयुवक मंडल कुणि के अध्यक्ष नरेश शर्मा ने कहा कि दलित समाज के हमारे दोस्त नैन कुमार जी काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। अचानक ही तबीयत खराब होने पर उनके परिवार का फोन आया। रात करीब 2 बजे नैन सिंह को घर से कंधों पर उठाकर बड़ोल बस स्टैंड तक पहुंचाया। रात के वक्त पैदल चढ़ाई में कुछ दिक्कतें भी हुई, लेकिन गांव के नौजवान व अन्य लोग भी नैन सिंह को सड़क तक पहुंचाने की जद्दोजहद करते रहे, इसमें सफलता भी मिली।
उन्होंने कहा कि 2012 के उप चुनाव में भाजपा ने बड़ोल से चुनौटी के लिए सड़क निर्माण के लिए स्वीकृति दी थी। उन्होंने कहा कि नाबार्ड के माध्यम से सड़क को मंजूरी दी गई थी। 2016 में मौजूदा विधायक विनय कुमार ने शिलान्यास किया था। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द सड़क का निर्माण पूरा करने की अपील की है।