बहन बनी अफसर, भाइयों ने कंधे पर बैठा गांव में घुमाया, महिलाओं ने गाए मंगल गीत, जानें हेमलता के संघर्ष की कहानी

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. कहते हैं कि मुश्किलें इंसान को रोक सकती हैं लेकिन तोड़ नहीं सकती, झुका नहीं सकती. यही बात बाड़मेर में कभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही एक बेटी पर लागू होती है. इस बेटी ने अपनी मेहनत से अपने कंधों पर न केवल खाकी वर्दी पहनने का गौरव हासिल किया है बल्कि दो सितारे भी लगाए हैं. आसपास के इलाके की पहली सब इंस्पेक्टर बनी हेमलता जब सब इंस्पेक्टर बनने के बाद पहली बार घर आई तो उसे कंधे पर उठा लिया और गांव में घुमाया गया. इतना ही नहीं घर की औरतों ने मंगल गीत गाकर उसका स्वागत किया.

पाकिस्तान की सीमा से कंधा मिलाने वाले सरहदी बाड़मेर जनपद के छोटे से गांव सरणू की हेमलता जाखड़ के पिता दुर्गा राम जाखड़ को आज अपनी बेटी पर गर्व है. पढ़-लिखकर कुछ बनने के जुनून की वजह से वह आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रहते हुए पढ़ाई में जुटी रही और उसका चयन राजस्थान पुलिस में बतौर सब इंस्पेक्टर हुआ है.

हेमलता ने अपनी आठवीं तक की पढ़ाई राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल सरनुचिमनजी से की. वह 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई करने के लिए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सरनु में रोजाना 14 किलोमीटर पैदल सफर तय करती थी. आगे की पढ़ाई उन्होंने स्वयंपाठी विद्यार्थी के तौर पर की. हेमलता के पिता एक किसान हैं. वह एक सामान्य किसान परिवार से नाता रखती हैं.

सब इंस्पेक्टर के पद पर चयन

हेमलता का कहना है कि 2021 परीक्षा में मेरा राजस्थान पुलिस सब इंस्पेक्टर के लिए चयन हुआ. मेरे गांव सरनु और सरणू चिमनजी से अभी तक कोई पुरुष या महिला सब इंस्पेक्टर नहीं बना है. वह अपने गांव की प्रथम सब इंस्पेक्टर बनी हैं. हेमलता ने बताया कि मुझमें बचपन से ही पुलिस में जाने का जुनून था. पुलिस की वर्दी से उसे बचपन से ही बेपनाह मोहब्बत थी, इसी वजह से दिन रात एक कर खाकी वर्दी पहनने का गौरव हासिल हुआ है.

हेमलता का जीवन काफी संघर्ष पूर्ण रहा. उसके माता-पिता को बहुत ताने सहने पड़े. इसके बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और खाकी वर्दी का जुनून पालकर पढ़ाई जारी रखी. हेमलता ने बताया कि मेरा जीवन उतार चढ़ाव भरा रहा. उसने अपनी मेहनत से सफलता को पाया है. उन्होंने बताया कि मुझे खेल से भी बेहद लगाव रहा है. हेमलता कबड्डी की राज्य स्तरीय खिलाड़ी रह चुकी हैं. वह अपनी सफलता का श्रेय मां, पापा, दादी, भाई, बहन और पूरे परिवार को देती हैं.

हेमलता के पिता दुर्गाराम जाखड़ का कहना है कि बेटी को पढ़ाने के लिए गांववालों के बहुत ताने सुनन्ने पड़े. इसके बावजूद अपनी बेटी पर भरोसा था कि एक दिन कामयाब जरूर होगी और आज उसके सब इंस्पेक्टर बनने पर पूरे परिवार सहित गांव में खुशी की लहर है.