दरभंगा. एक तरफ सूबे की सरकार विकास और सुशासन के दावे कर रही है, तो दूसरी तरफ जिनके कंधों पर सुशासन कायम रखने का दायित्व है, उनके सिर के ऊपर छत तक नहीं है. दरअसल आज उस थाने की चर्चा हो रही है जो झोपड़ी में किराये पर चल रहा है. यह दरभंगा जिले का मोरो थाना है जिसे 1972 में ओपी के तौर पर स्थापित किया गया था. वहीं, 15 वर्ष पूर्व इसे थाने का दर्जा मिला था, लेकिन यह थाना आज भी किराये की झोपड़ी में ही चल रहा है. साफ है कि इस थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को एक भवन तक मयस्सर नहीं हो पाया है. यही नहीं, पुलिसकर्मियों को आए दिन जहरीले सांपों से सामना करना पड़ता है, तो थाने में खाना बनाने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है.
मोरो थाना में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों ने अपना नाम गोपीनीय रखने की शर्त पर अपनी समस्याओं को साझा किया. उन्होंने बताया कि छप्पर के ऊपर से सांप गिरते रहते हैं. दो दिन पूर्व भी सांप गिरा था. अक्सर जहरीले सांप देखने को मिल जाते हैं. जबकि बारिश के दिनों में झोपड़ी के छप्पर और छत से लगातार पानी टपकता रहता है. प्लास्टिक बांध कर किसी तरह गुजारा चल रहा है. यह थाना अपने स्थापना काल से से ही बेहतर संसाधन के लिए जूझ रहा है. बता दें कि बसवाड़ा हाई स्कूल के सामने मोरो थाना झोपड़ी नुमा घर में किराये पर संचालित हो रहा है. झोपड़ी की स्थिति भी बदहाल हो चुकी है. फिलहाल इस बदहाल थाने की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
झोपड़ी में चल रहे थाना का किराया है 450 रुपए प्रति माह
स्थानीय श्याम किशोर मिश्र बताते हैं कि बहादुरपुर प्रखंड क्षेत्र के पतोर निवासी रामचंद्र बाबू के पुत्र विपलनंदू का यह मकान है. इसका किराया 450 प्रति माह है. इस थाने में तैनात पुलिसकर्मियों को काफी परेशानी होती है. यह क्षेत्र बाढ़ प्रभावित इलाका है. यहां पुलिसकर्मियों के लिए न तो रहने के लिए भवन है और न ही ढंग का रास्ता है. विभाग को इस और ध्यान देने की जरूरत है, ताकि पुलिसकर्मियों की परेशानी दूर हो सके.
अंतिम चरण में है जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया
हनुमान नगर के सीओ कैलाश चौधरी ने बताया कि मोरो थाना के भवन के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. थानाध्यक्ष द्वारा जिस जमीन का सत्यापन किया गया था. उसे अग्रतम कार्रवाई के लिए विभाग को भेज दिया गया है. जल्द ही भूमि संबंधित समस्या मोरो थाना की समाप्त हो जाएगी. इसके बाद मोरो थाना की अपनी जमीन और भवन होगा.