देश में भुखमरी से हजारों मौतें होती रहती हैं. भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 121 देशों में 107 वें स्थान पर है. हालांकि, कुछ ऐसे लोग भी हमारे आस-पास मौजूद हैं जो किसी भूखे का पेट भर रहे हैं. फिर वो मुफ्त में खाना खिला रहे हैं या फिर कम रेट में दूसरों के भूख को मिटा रहे हैं. आज कहानी उन्हीं लोगों की.
लवजी पटेल रोजाना हजारों गरीबों को मुफ्त खिला रहे हैं भोजन
गुजरात के जामनगर के रहने वाले लवजी पटेल ने तक़रीबन 36 साल पहले गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाने का काम शुरू किया. शुरुआत में सिर्फ 2 टिफिन गरीबों को देते थे. लेकिन लोगों के सहयोग और अपने प्रयास से आज वो एक हजार से ज्यादा लोगों को रोजाना मुफ्त भोजन करा रहे हैं.
उन्होंने जामनगर में ही गंगामाता चैरिटेबल ट्रस्ट खोल रखा है. हरिद्वार से जामनगर पहुंचे लवजीभाई ने वहां सड़कों पर लोगों को भूखे रहते देखा तो उन्हें खिलाने का विचार आया. लवजी का कहना है कि कई बार आर्थिक दिक्कतें आईं, लेकिन कोशिश जारी रखा. दो से चार फिर 10 इस तरह दायरा बढ़ता गया. इसके बाद कई लोग मदद के लिए आगे आने लगे. अब वो रोजाना हजारों गरीबों का पेट भर रहे हैं.
1 रुपए में इडली खिलाने वाली इडली अम्मा
तमिलनाडु के कोयंबटूर की रहने वाली इडली अम्मा एक रुपए में लोगों को इडली खिलाती हैं. जिनका असली नाम कमलाथल अम्मा है. 85 वर्षीय यह बुजुर्ग वर्षों से एक रुपए में इडली खिला रही हैं ताकि कोई जरूरतमंद और गरीब भूखा ना रहे.
उनके इस नेक काम को देखते हुए शेफ विकास खन्ना ने उन्हें राशन भिजवाया था. इसके बाद जब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उनकी तारीफ़ की तो वो सुर्ख़ियों में रहीं. बाद में वे उनकी मदद के लिए भी आगे आए. जिसकी खूब चर्चा भी हुई. उन्होंने इडली अम्मा को एक नया घर दिलवाया था.
एक इंजीनियर प्रतिदिन 2000 हजार लोगों का भरता है पेट
हैदराबाद के एक इंजीनियर पिछले कई वर्षों से रोजाना तक़रीबन 2000 गरीब लोगों का पेट भर रहे हैं. इसके साथ ही वो होटलों और पार्टियों में भोजन को बर्बाद होने से भी बचा रहे हैं.
कई वालंटियर्स की मदद के साथ मल्लेश्वर राव “Don’t Waste Food” नाम की एक पहल चला रहे हैं. उन्होंने बताया कि वो बीटेक किए हुए हैं. साल 2011 में उन्होंने बड़े आयोजनों से बचे हुए फ़ूड को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की शुरुआत की. चूंकि इस तरह के आयोजन हर दिन नहीं होते हैं, तो उन्होंने रेस्तरां और होटलों के साथ भी संपर्क किया. उन सभी को अपनी मुहिम में शामिल किया. इस नेक काम के लिए उन्हें लोगों का भरपूर सहयोग भी मिलता है.
रोजाना हजारों लोगों का पेट भर रहे अजहर मकसूसी
हैदराबाद में चंचलगुडा के रहने वाले अजहर मकसूसी पिछले कई वर्षों से रोजाना करीब 1200 गरीब और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त भोजन खिलाते हैं. महज चार वर्ष की आयु में पिता की मृत्यु हो गई. घर में मां के अलावा पांच भाई-बहन थे. उनके नाना ने उनके परिवार की बहुत मदद की. हालात ऐसे हुए कि कभी कभार दिन में एक ही वक़्त का खाना नसीब हुआ.
जो इंसान खुद भूखे रहकर बड़ा होता रहा उसे भूख और मुफलिसी का अंदाजा था. शायद इसी वजह से उसने गरीब और जरूरतमंद लोगों का पेट भरने की जिम्मेदारी उठाई. अजहर ने 12 वर्ष की उम्र से काम करना शुरू कर दिया था. इस दौरान उन्होंने ग्लास फ़िटिंग, टेलरिंग और प्लास्टर ऑफ़ पेरिस काम किया. इस वक्त भी में वह प्लास्टर ऑफ़ पेरिस का ही काम कर रहे हैं. अज़हर की शादी हो चुकी है, उनके तीन बच्चे हैं.
अज़हर साल 2012 में एक बार दबीरपुरा रेलवे स्टेशन से गुज़र रहे थे. उन्होंने एक औरत को दो दिनों से भूख से रोते हुए देखा. महिला का नाम लक्ष्मी था. अज़हर ने तुरंत उसे खाना ख़रीद कर दिया. अगले दिन उन्होंने अपनी पत्नी से 15 लोगों का खाना बनवाया और रेलवे स्टेशन आकर लोगों को खाना खिलाया. इसके बाद उन्होंने रेलवे पुल के नीचे खाना बनाने का इंतज़ाम किया. इसके लिए बावर्ची भी रखे हैं. आज उनका साथ कई लोग दे रहे हैं. अज़हर की पहल पर आज बेंगलुरु, रायचूर, गुवाहाटी और टांडूर सहित कई जगहों पर करीब 1200 लोगों को रोजाना खाना खिलाया जाता है. अजहर मानते हैं, “भूख का कोई धर्म नहीं होता, लिहाज़ा वह हर धर्म, जाति, वर्ग, आयु और क्षेत्र के व्यक्ति का पेट भरना चाहते हैं.”
दिल्ली की सिंगल मदर नौकरी छोड़ गरीबों को मुफ्त खिला रही हैं राजमा चावल
दिल्ली की सरिता कश्यप साल 2019 में अपने करियर के शीर्ष पर थीं. तभी उन्होंने नौकरी छोड़ समाज सेवा की तरफ रुख किया. गरीब, जरूरतमंद और बेसहारा लोगों का सहारा बनीं. वो पश्चिमी दिल्ली के पीरागढ़ी में स्कूटी पर “अपनापन राजमा चावल” का स्टाल लगाती हैं. जहां वो रोजाना तक़रीबन 100 लोगों को मुफ्त में खाना खिलाकर उनका पेट भरती हैं. तीन से चार घंटे में वो अपना खाना लोगों को खिलाकर वापस चली जाती हैं.
दिल्ली में सीता जी की रसोई, 10 रुपए में भरपेट खाना
देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 7 में एक ऐसा स्टॉल लगता है जो लोगों को कम रेट में भर पेट भोजन खिलाता है. जहां 10 रुपए में दाल, रोटी, सब्जी और चावल मिलते हैं. यहां गरीब और जरूरतमंद लोग आकर अपना भेट भरते हैं.
सड़क किनारे लगने वाले इस स्टॉल का नाम ‘सीता जी की रसोई’ है, जो ग्रंथ ट्रस्ट एंड फाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है. जहां, 10 रुपए में भरपेट खाना मिलता है. एक बार दाल या सब्जी खत्म होने पर दोबारा तिबारा भी मांग सकते हैं. इसके साथ ही जो लोग 10 रुपए भी देने में असमर्थ हैं उन्हें मुफ्त में खाना खिलाया जाता है.