इस उम्र की लड़़कियों की मेंटल हेल्‍थ के लिए खतरा है सोशल मीडिया, बच्‍चों से पहले पैरेंट्स को होगा संभलना

सोशल मीडिया जहां एक ओर सब के लिए वरदान साबित हुआ है, वहीं दूसरी ओर इसके कुछ अनछुए पहलू भी हैं जिसका असर बच्चे की मानसिकता पर पड़ रहा है। अनजाने में बच्चों को मानसिक दबाव देने का यह रास्ता हर घर का एक आम साधन बन चुका है और पैरेंट्स इस चीज को नजरअंदाज कर रहे हैं

how social media affects teenage girls
इस उम्र की लड़़कियों की मेंटल हेल्‍थ के लिए खतरा है सोशल मीडिया, बच्‍चों से पहले पैरेंट्स को होगा संभलना

इंटरनेट के इस जमाने में हर कोई सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना पसंद करता है। बच्चे हों या उम्रदराज लोग हर किसी को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना बेहद पसंद आता है। आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां अपने काफी दूर होते हैं, वहीं सोशल मीडिया की मदद से आप गैरों के साथ भी कनेक्‍ट कर सकते हैं। जहां सोशल मीडिया लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखता है, वहीं सोशल मीडिया के कुछ नुकसान भी हैं, जिसे हमेशा ही अनदेखा किया जाता है। अगर बात करें सोशल मीडिया के नुकसान की, तो इसका नुकसान हर उम्र के लोगों को होता है लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान होता है बढ़ते हुए बच्चों यानी टीनएजर्स को। सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा नुकसान टीनएजर लड़कियों पर देखा गया है। टीनएजर लड़कियों के मेंटल हेल्थ पर सोशल मीडिया का सबसे ज्यादा असर पड़ता है। जानते हैं कि कौन से ऐसे एज ग्रुप हैं जो लोगों से संपर्क बनाए रखने के इस बेहतरीन साधन से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और ऐसे कौन से नुकसान हैं जो सोशल मीडिया के द्वारा हमारे बच्चों को हो रहे हैं। अगर आपकी भी टीनएज बेटी है तो आप भी इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।

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​टीनएज क्या है?

इस शब्द का उपयोग बढ़ते हुए बच्चों के लिए किया जाता है जिनकी उम्र 15 से 17 साल की होती है। 15 से 17 साल के बीच के बच्चों को टीनएजर्स कहा जाता है। ये एक ऐसी उम्र होती है जहां बच्चा समझने लायक हो जाते हैं। इसी उम्र में अपने आसपास के वातावरण का असर बच्चों की मेंटल हेल्थ पर सबसे ज्यादा पड़ता है।

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​सोशल मीडिया का मानसिक स्वास्थ्य से संबंध

युवाओं में सोशल मीडिया का चलन काफी ज्यादा है। अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और यहां तक कि अनजान लोगों से संपर्क बनाए रखने के लिए इसका इस्तेमाल बच्चे करने लगे हैं। ज्यादा देर तक सोशल मीडिया के इस्तेमाल का असर बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने लगा है। अपने दिन का ज्यादा समय मोबाइल और लैपटॉप पर बिताने की वजह से बच्चों में खेलने, पढ़ने यहां तक कि अपने परिवार के लोगों के साथ समय बिताने में भी कमी करने लगे हैं। इसका असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर दिखाई देने लगता है।

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​नींद में कमी

युवा बच्चों में सोशल मीडिया का सबसे नकारात्मक प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर ही नजर आया है, जैसे कि नींद में कमी का होना। सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चे कम सोने लगे हैं जिसकी वजह से ध्यान में कमी और शारीरिक गतिविधियों में कमी आने लगी है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को खराब करने का कारण बन रही है।

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​रिश्तों पर असर

हालांकि, सोशल मीडिया संपर्क बनाए रखने का अच्छा साधन है, लेकिन डिजिटल रूप से संपर्क बनाए रखने में और आसपास के लोगों से आमने-सामने संपर्क बनाए रखने में बहुत अंतर देखा गया है। ऐसे लोग जो ज्यादा सोशल मीडिया में लोगों से जुड़े होते हैं वह अपने आसपास के लोगों से बात करना या उनसे संपर्क बनाए रखना कम पसंद करते हैं। जिसकी वजह से असल जिंदगी के रिश्तो में दरारें देखी जा सकती हैं।

​व्यवहार में बदलाव

सोशल मीडिया की वजह से युवा बच्चों में जलन की भावना देखी गई है। चूंकि, सोशल मीडिया में लोग अपने जीवन के सुखद पहलुओं को एक-दूसरे से साझा करते हैं जिसकी वजह से टीनएजर्स बच्चे अपनी तुलना उनके सुखद जीवन से करने लगते हैं। तुलना करने की वजह से बच्चों में ईर्ष्या की भावना आने लगती है। व्यवहार में इस तरह के बदलाव होने का कारण सोशल मीडिया को माना जा सकता है।

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​मानसिक दबाव

जब एक युवा बच्चा सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाता है उसके बाद से ही उस पर मानसिक दबाव पड़ना शुरू हो जाता है। बच्चा कुछ ऐसा करना चाहता है जो वह सोशल मीडिया पर डाल सके और लोग उसे देख सकें। दूसरों की तरह वह भी सोशल मीडिया में अपनी जिंदगी के खुशनुमा पहलू दूसरों को दिखा सके। इस तरह की सोच बच्चे को मानसिक दबाव देती है।