Funny Matrimonial Add : सोशल मीडिया और तकनीक के जमाने में भी विवाह के लिए अखबारों में विज्ञापन देने की प्रथा खत्म नहीं हुई है। लोग आज भी पारंपरिक मापदंडों के मुताबिक दूल्हा और दुल्हन की तलाश करते हैं। एक ऐसा ही विज्ञापन सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को कॉल करने से मना किया गया है।
वायरल हो गया है मैट्रिमोनियल एड
समीर अरोड़ा ने इस मैट्रिमोनिय एड को ट्वीट करते हुए लिखा है, ‘आईटी का भविष्य बहुत अच्छा नहीं दिखता है।’खबर लिखने तक यह ट्वीट 526 बार रीट्वीट हो चुका है जबकि इसे 4,307 लाइक्स मिल चुके हैं। साथ भी इस पर 145 कॉमेंट्स भी आए हैं। कॉमेंट्स में मेमे की भरमार है। बहरहाल, जान लेते हैं कि इस विज्ञापन में भावी दूल्हे के लिए क्या-क्या काबिलियत तय की गई है। विज्ञापन की पहली पंक्ति है ‘दूल्हा चाहिए।’ फिर दुल्हन की जाति में ‘हिंदू पिल्लई’ का जिक्र है। आगे लिखा है, ’24 साल की उम्र है, 155 सेंटीमीटर लंबाई है, लड़की का रंग साफ, वह एमबीए की हुई है, समृद्ध कारोबारी परिवार की सुंदर लड़की है।’
दुल्हन के बारे में इतनी जानकारियां उपलब्ध कराने के बाद दूल्हे से क्या-क्या अपेक्षाएं हैं, उसका जिक्र है। इसमें कहा गया है, ‘लड़का समान जाति का आईएएस/आईपीएस हो या फिर कामकाजी पोस्ट ग्रैजुएट डॉक्टर हो, उद्योगपति या कारोबारी हो।’ अब बारी आती है कि कौन सा लड़का नहीं चाहिए। एड में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को संपर्क करने से साफ-साफ मना किया गया है। यही वो लाइन है जो लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
विज्ञापन पर आ रहे हैं जोरदार रिएक्शंस
कुछ लोग इस विज्ञापन पर मौज ले रहे हैं तो कुछ इसकी बखिया भी उधेड़ रहे हैं। एक ने लिखा, ’24 साल की उम्र और बौने कद के सिवा लड़की में क्या है? लड़की एमबीए है, वो भी किसी टॉप बिजनस स्कूल से नहीं और लड़का चाहिए आईएएस और आईपीएस। गजब है।’ इस पर एक ने जवाब में कहा कि लड़की मोटा दहेज लेकर आएगी, यही खासियत उसकी। कई लोग कह रहे हैं कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर अखबारों में दुल्हन ढूंढते भी नहीं, वो ऑनलाइन सर्च करते हैं। इस तरह की ढेर सारी दिलचस्प टिप्पणियां की जा रही हैं।
घट रही है सामान्य इंजीनियरों की मांग
बहरहाल, भारत सूचना तकनीक (IT) के क्षेत्र में खुद को दुनिया का बड़ा प्लेयर होने पर गर्व करता है। आईटी सर्विस सेक्टर भारतीयों को बड़ी संख्या में नौकरियां उपलब्ध करवाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से स्थितियां काफी बदल रही हैं। इस सेक्टर में नौकरियां ढूंढने वालों की भरमार है लेकिन हायरिंग के मानदंडों पर खरे उतरने वालों की भारी कमी। इस कारण कभी इंजीनियरों का कद, पद, सम्मान और समृद्धि में बट्टा लगा है। समाज में इसके प्रतिबिंब जब-तब मिलते रहते हैं। यह विज्ञापन भी इसी का एक ताजा उदाहरण है।