सोलन, 21 सितंबर : परवाणु-शिमला फोरलेन का निर्माण पहले दिन से ही विवादों में रहा है। बेतरतीब कटिग से आशियाने उजड़ गए, तो घरो में पानी भी भर रहा है। फोरलेन का कार्य पूरा भी नहीं हुआ था, इससे पहले ही हाईवे शमलेच में धंस गया था। करीब दो माह हो चुके है, लेकिन इसे दुरुस्त करने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। हाईवे का निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारी भी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
शमलेच प्रकरण से घटिया कार्य की पोल तो खुल गई है, वहीं कुम्हारहट्टी बाईपास पर भी दरारें पड़ने लगी हैं, लेकिन सुध नहीं ली जा रही है। कंपनी के स्थानीय अधिकारी ये कह कर पल्ला झाड़ रहे है कि वो प्रतिक्रिया के लिए अधिकृत नहीं है।
दबी जुबान से कंपनी के अधिकारी यह कहते नजर आये कि यदि मीडिया ने शमलेच प्रकरण को बड़े स्तर पर उजागर न किया होता तो एक माह में सड़क निर्माण का कार्य पूरा कर देते। मामला उजागर होने के बाद ड्राइंग के मुताबिक ही कार्य करना पडता है।
खैर, अब जरूरत कुम्हारहट्टी बाईपास पर पड़ी दरारों को देखने की है। अन्यथा शमलेच पार्ट टू देखने को मिल सकता है। इसके अलावा भी कई स्थानों पर दरार पड़ी हैं।
ये था पार्ट -1 …
11 अगस्त की शाम करीब चार बजे कालका-शिमला हाईवे-पर शमलेच में टनल को जोड़ने वाली सड़क का हिस्सा धंस गया था। हिस्से के धंसने के साथ ही नेशनल हाईवे से गुजर रही दो गाड़ियां मलबे के साथ ही खाई में जा गिरी। गनीमत इस बात की रही थी कि हादसे में किसी को चोट नहीं पहुंची। सड़क धंसने के बाद कुछ देर तक मौके पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। सूचना लोगों ने पुलिस और जिला प्रशासन को दी।