पर्यावरण दिवस पर सोलन शहर वासियों ने जताई चिंता कहा अगर इसी तरह शहर में कंक्रीट के जंगल खड़े होते गए तो पर्यावण विकास की बलि चढ़ जाएगा | उन्होंने कहा कि करीबन तीन दशक पहले सोलन हरा भरा होता था चारों तरफ हरियाली होती थी | शहर में सेब के बगीचे होते थे फ्रीज और पंखों की ज़रूरत महसूस नहीं होती थी लेकिन आज के समय में फ्रीज पंखों के साथ साथ ऐसी की भी ज़रूरत पड़ने लग गई है | इस लिए हमे जागरूक होने की आवश्यकता है और पर्यावरण को संजोने की ज़रूरत है | अगर आज भी हम जागरूक नहीं होंगे तो फसलने बर्बाद हो जाएँगी जैसे सेब की बगीचे सोलन से लुप्त हो गए है पर्यावरण के बदलाव से अन्य वनस्पतियों की किस्मे भी लुप्त हो सकती है |
चिंता जाहिर करते हुए शहर वासियों ने बताया कि सोलन चंडीगढ़ के बेहद पास है इस लिए हर व्यक्ति यहाँ बसना चाहता है जिसकी वजह से यहाँ की हरियाली खत्म होती जा रही है और कंक्रीट के जंगल जिसे हम अपना आशियाना कहते है वह खड़े होते जा रहे है | पेड़ों की लगातार कटाई की जा रही है ताकि पथ्थर सीमेंट के जंगल खड़े हो सकें | उन्होंने कहा कि पहले सोलन में देवदार के पेड़ लगा करते थे लेकिन अब सोलन में यह पेड़ लग पाएंगे उसकी कल्पना नहीं कर सकते हैं | हमारा कर्तव्य है कि आने वाली पीड़ी को अच्छा साफ़ सुथरा पर्यावरण नहीं दे कर जाएंगे तो वह हमें कभी भी माफ़ नहीं करेगी | उन्होंने कहा कि आज मानव मानव का दुश्म न तो है ही लेकिन पर्यावरण का भी सब से बड़ा दुश्मन साबित हो रहा है | उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ सख्त नियम बनाने चाहिए ताकि प्रकृति से कोई छेड़ छाड़ न हो सके |