सोलन : मंत्री से कम नहीं चाहते यहां के बाशिंदे अपना नुमाइंदा

शिमला,10 अक्तूबर : सोलन विधानसभा 2007 में डी-लिमिटेशन के बाद एससी वर्ग के लिए आरक्षित हो गई। तब से कांग्रेस के कर्नल धनीराम शांडिल लगातार दो  दफा चुनाव जीतने में सफल हुए है। सुरक्षित होने से पहले यहां भाजपा के दिग्गज डॉ राजीव बिंदल यहां से लगातार चार चुनाव जीत चुके है।  हालांकि बाद में उन्होंने सोलन को छोड़ नाहन को अपना राजनीतिक आशियाना बनाया। शांडिल के आने के बाद भाजपा को उनके खिलाफ अभी तक कोई दमदार उम्मीदवार नहीं मिला है।

2012 में भाजपा ने शांडिल के मुकाबले एक महिला नेता कुमारी शीला को यहां से टिकट दिया था मगर वह चुनाव में जीत नहीं पाई। वर्ष 2017 में युवा उम्मीदवार राजेश कश्यप को मैदान में उतारा गया। कश्यप ने काफी हद तक शांडिल के खिलाफ मुकाबले को रोचक बनाया मगर वह करीब 700 मतों के नजदीक अंतर से हार गए। सोलन विस हिमाचल में आर्थिक रूप से काफी मजबूत मानी जाती है। यहां बागवानी व पर्यटन से लोग सीधे तौर पर जुड़े है। वहीं सोलन शहर के वोट भी प्रत्याशियों को हारने व जीताने का काम करते है। कांग्रेस में कर्नल धनीराम शांडिल का टिकट लगभग पक्का है। वहीं भाजपा में राजेश कश्यप के अलावा कुमारी शीला व पूर्व सांसद वीरेंद्र कश्यप टिकट के प्रबल  दावेदार है। सोलन में भाजपा में आधा दर्जन युवा  भाजपाई भी टिकट की रेस में है। वैसे इस विस क्षेत्र में कांग्रेस के स्वर्गीय  ज्ञान चन्द टुटू व मेजर कृष्णा मोहनी कांग्रेस के विधायक रहे है।

 वहीं महेंद्र नाथ सोफत भी इस हल्के से 1990 में भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते है। वह शांता कुमार सरकार में मंत्री भी रहे। बाद में 2000 में हुए उपचुनाव में डॉ राजीव बिंदल ने यहां से जीत दर्ज की। 2003, 2007 व 2012 में वह लगातार विधायक रहे।  एक बार वह सीधे कैबिनेट मंत्री भी रहे।  इस हल्के का भाग्य 2012 से उदित हुआ है।  लगातार मंत्री पद पर पहले डॉ राजीव बिंदल व फिर धनीराम शांडिल ने काबिज होकर इस हल्के का प्रतिनिधित्व किया। देखना है कि क्या धनीराम शांडिल जीत की हैट्रिक लगा पाते है या नहीं।